BBCHindi.com: "ज़ोर लगाके हइया, रेल चला ले भइया"
हाथ के धक्के से रिक्शे और ठेले खींचने की ख़बरें तो आप बराबर पढ़ते-सुनते होंगे. पर आपको यह बताया जाए कि रेल भी हाथ के धक्के से चलाई जाती है तो आपको कैसा लगेगा?
यह चमत्कार रेल मंत्री लालू प्रसाद के गृह राज्य बिहार में पटना-बक्सर लाइन पर हुआ है.
मज़े की बात है कि यह चमत्कार रेलवे ड्राइवर ने नहीं बल्कि ड्राइवर को भरोसे में लेकर यात्रियों ने किया है.
राजधानी पटना से बक्सर को जाने वाली 565 अप सवारी गाड़ी जब बिनाही स्टेशन के क़रीब पहुँची तो एक यात्री ने रोज़मर्रा की आदत के मुताबिक़ स्टेशन से अपने घर की लंबी दूरी तय करने के बजाए घर के सामने ही चेन खींचकर गाड़ी रोक दी.
संयोग से यह गाड़ी न्यूट्रल ज़ोन यानी बिजली प्रवाहित नहीं होने वाले क्षेत्र में पहुँच कर रुक गई.
बस क्या था बिजली चालित इंजन न सिर्फ़ रुक गया बल्कि बंद भी हो गया. बाद में यात्रियों ने ड्राइवर को इस बात पर राज़ी कर लिया कि वह घबराएँ नहीं, अगर किसी यात्री ने गाड़ी रोकी है तो फिर यात्री ही इसे फिर चलाएँगें.
कुछ युवा और उत्साही यात्रियों ने महिला और बच्चों समेत सभी यात्रियों को ट्रेन से उतार दिया.
जय बजरबंग बली के नारों के साथ उत्साही यात्री दस बोगी की ट्रेन को डेढ़ मीटर तक धकेलने में कामयाब रहे.
ज़िंदा तारों के संपर्क में आते ही इंजन ने गति पकड़ ली.
ऐतिहासिक घटना
पटना स्थित दानापुर मंडल के रेलवे जनसंपर्क अधिकारी रंजीत सिंह कहते हैं “वाक़ई यह एक ऐतिहासिक घटना है.”
राजेंद्र नगर स्टेशन जहाँ से ट्रेन चली थी
लेकिन वह इस बात से इनकार करते हैं कि इस मामले पर किसी के ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्रवाई होगी. वे कहते हैं, “ग़ैर-ज़रूरी कारणों से चेन पुलिंग का मामला बिहार में एक गंभीर समस्या है लेकिन इस मामले में हज़ारों यात्रियों में से किसी एक को पहचान कर कार्रवाई करना आसान नहीं है."
रंजीत सिंह कहते हैं कि बिजली वाली लाइनों में हर 25 किलोमीटर के फ़ासले पर एक 41 मीटर लंबी न्यूट्रल ज़ोन वाला तार होता है जिसमें बिजली का प्रवाह नहीं होता.
इस मंडल की लाइनों पर प्रति दिन बिना ज़रूरत चेन पुलिंग की औसतन बीस घटनाएँ होती हैं.
दिलचस्प बात यह है कि रेल मंत्री लालू प्रसाद भारतीय रेल परिचालन को बेहतर बनाकर यूरोप से टक्कर लेने की बात करते हैं. रेल मंत्री बिहार में ट्रेन परिचालन में विलंब के कारण पिछले एक हफ़्ते से रेल अधिकारियों को धमकाते रहे हैं.
पर अब भी ग़ैर-ज़रूरी चेन पुलिंग पर क़ाबू नहीं पाया जा सका है. ख़राब परिचालन के बावजूद पटना स्थित दानापुर मंडल पूर्वी भारत में कोलकाता के बाद सबसे ज़्यादा कमाई करने वाला मंडल है.
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