Tuesday, July 31, 2007

सुष्मिता बनी दुर्गा"

Welcome to Yahoo! Hindi: "सुष्मिता बनी दुर्गा"

सुष्मिता बनी दुर्गा
रमेश सिप्पी की फिल्म में जया बच्चन ने जो भूमिका निभाई थी, वहीं भूमिका सुष्मिता सेन रामगोपाल वर्मा की फिल्म में निभा रही है। जया राधा बनी थी तो सुष्मिता दुर्गा बनी है। सुष्मिता के मुताबिक यह उसके द्वारा अभिनीत की गई श्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक हैं। इतना खामोश किरदार उसने पहली बार निभाया है। इस फिल्म में उसके ज्यादातर दृश्य मलयालम फिल्म के सुपरस्टार मोहनलाल के साथ हैं। मोहनलाल के साथ काम करना उसके लिए यादगार अनुभव रहा है। इस फिल्म में उसके नायक बने प्रशांत राज की तारीफ करती हुई सुष्मिता कहती है कि कई दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद उसने अपना काम बेहतर तरीके से किया है। ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ से सुष्मिता को बेहद आशाएँ हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)

और भी...

‘कैश’ होगी हिट?

फास्ट फॉरवर्ड

देवआनंद की ‘चार्जशीट’

तीन अगस्त को तीन फिल्में

तनावग्रस्त संजय दत्त

सनी का ‘काफिला’ पाकिस्तान में भी


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Tuesday, July 17, 2007

'चश्माचोर' बंदर की तलाश में जुटी पुलिस

BBCHindi.com भारत और पड़ोस 'चश्माचोर' बंदर क�
भारत की विश्वप्रसिद्ध धर्मनगरी वाराणसी में पुलिस इन दिनों एक शरारती बंदर की तलाश में जुटी है जो एक विदेशी पर्यटक का चश्मा लेकर चंपत हो गया है.
वाराणसी घूमने आए दक्षिण कोरियाई पर्यटक किम दांग हून ने चश्मा चुराने वाले इस बंदर के ख़िलाफ़ बाक़ायदा पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है.
पुलिस ने बताया कि यह बंदर किम के होटल के कमरे में घुस आया और वहाँ रखा महँगा नज़र का चश्मा लेकर फ़रार हो गया.
मंदिरों और घाटों के लिए मशहूर वाराणसी में बंदरों की भरमार है. हिंदू बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं.
यहीं ऐतिहासिक संकट मोचन मंदिर और इसमें रखी भगवान हनुमान की मूर्ति को बाबा संकटमोचन कहा जाता है.
पुलिस की परेशानी
वाराणसी के पुलिस निरीक्षक गोविंद सिंह ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, " वैसे तो बंदर का पता लगाना बहुत मुश्किल है, फिर भी मैं उसे ढूँढने की हरसंभव कोशिश कर रहा हूँ."
बंदर
अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है

वाराणसी पुलिस
किम ने अपनी लिखित शिकायत में कहा है कि उसने ताज़ा हवा के लिए होटल के अपने कमरे की खिड़की खोली थी और तभी बंदर चश्मा लेकर चंपत हो गया.
किम का कहना है कि उसने पुलिस में शिकायत इसलिए दर्ज कराई है ताकि उसे इस चश्मे का बीमा मिल सके.
कुछ ख़बरों के अनुसार इस चश्मे की कीमत सौ अमरीकी डॉलर बताई गई है.
वैसे इस बात की उम्मीद बहुत कम ही है कि हज़ारों बंदरों के बीच पुलिस इस 'अभियुक्त' बंदर को ढूंढ निकालने में कामयाब हो सकेगी.
समस्या
समस्या यहीं ख़त्म नहीं होती और पुलिस का कहना है कि अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है."
उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी दिल्ली समेत कई अन्य शहरों में भी बंदरों के उत्पात से लोग परेशान हैं.
पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में नागरिक प्रशासन को महत्वपूर्ण इमारतों को बंदरों से मुक्त कराने को कहा था.
यही वजह है कि शहर के कई सरकारी और निजी कार्यालय इन शरारती बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की सेवाएं लेने को मज़बूर हैं.


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Monday, July 16, 2007

BBCHindi.com | विश्व समाचार | शंभू को मारने के फ�

BBCHindi.com विश्व समाचार शंभू को मारने के फ�: "शंभू को मारने के फ़ैसले पर रोक लगी"



शंभू को मामूली पालतू जानवरों से अलग मानने की दलील दी गई थी
एक हिंदू मंदिर में रहने वाले बैल शंभू को मार डालने के सरकारी आदेश को वेल्स की हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
कुछ महीने पहले स्वास्थ्य जाँच के दौरान पाया गया था कि शंभू टीबी ग्रस्त है जिसके बाद वेल्स सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए उसे मार देने का आदेश दिया था.
मंदिर के पुजारियों ने सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अदालत में अपील की थी.
मंदिर के वकीलों की दलील थी कि यह मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है जबकि सरकार का कहना था कि बीमारी को फैलने से रोकना ज़रूरी है.
वेल्स सरकार ने कहा है कि वे फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे.
मंदिर के वकील ने दलील दी थी कि शंभू से धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं इसलिए उस पर सामान्य पालतू जानवरों के लिए बनाए गए नियम लागू नहीं किए जाने चाहिए.
मंदिर के वकील का कहना था कि अगर शंभू को मार डाला गया तो स्कंदवेल मंदिर से जुड़े हिंदुओं और बौद्धों की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी.
सरकारी वकील का कहना था कि टीबी एक संक्रामक रोग है और शंभू से यह बीमारी वेल्स के मवेशियों, यहाँ तक कि इंसानों में भी फैल सकती है इसलिए उसे मारे जाने का फ़ैसला सही है.
वेल्स के किसानों ने अदालत के इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे रोग निरोधक कार्यक्रम को धक्का पहुँचा है.
सरकारी वकील का कहना था कि फ़ैसला बहुत गंभीर विचार-विमर्श के बाद किया गया था.
छह वर्ष के बैल शंभू को मारने का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था, इंटरनेट पर 20 हज़ार से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लेकर शंभू को बचाने की गुहार लगाई थी.


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नकाब : अतीत में छुपे राज

नकाब : अतीत में छुपे राज
- समय ताम्रकर
निर्माता : कुमार एस तौरानी, रमेश एस तौरानी निर्देशक : अब्बास-मस्तान संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती कलाकार : बॉबी देओल, अक्षय खन्ना, उर्वशी शर्मा रहस्य और रोमांच के आवरण में लिपटी कथा पर फिल्म बनाने का अब्बास-मस्तान का अपना अलग ही अंदाज है। उनके द्वारा निर्देशित कई फिल्में हिट रही है जो इस बात का सबूत है कि वे जनता की पसंद को अच्छी तरह जानते हैं। बॉबी और अक्षय खन्ना को लेकर इन्होंने ‘हमराज’ बनाई थी। इन्हीं कलाकारों को लेकर उन्होंने ‘नकाब’ बनाई है। करण खन्ना (बॉबी देओल) एक बहुत ही अमीर व्यक्ति है। उसका एक मध्यमवर्गीय लड़की सोफी (उर्वशी शर्मा) से लिव इन रिले‍शनशिप का रिश्ता है। विकी मल्होत्रा (अक्षय खन्ना) एक सफल अभिनेता बनने की कोशिश में है। सोफी की मुलाकात विकी से होती है। विकी से मिलने के बाद सोफी को अहसास होता है कि सच्चा प्यार किसे कहते हैं। सोफी न चाहते हुए भी विकी की तरफ खिंची चली जाती है। इन तीनों चरित्रों के अतीत में कुछ राज छिपे हुए हैं। जब ये राज सामने आने लगते हैं तब क्या होता है? उर्वशी करण और विकी में से किसे चुनेंगी? जैसे सवालों के जवाब मिलेंगे ‘नकाब’ में।
(स्रोत - वेबदुनिया)

और भी...

प्यार और दोस्ती का ‘पार्टनर’

चेन कुली की मेन कुली

फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का

झूम बराबर झूम

आवारापन : खुशियों की तलाश

बॉम्बे टू गोवा : अनोखा सफर
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Welcome to Yahoo! Hindi: "सफल अभिनेत्री तब्बू"

सफल अभिनेत्री तब्बू
- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)

और भी...

कला जगत की सहनायिका 'सोनाली'

माता अमृतानंदमयी

दो सितारों के ग्रहों की समानता

परेश रावल श्रेष्ठतम कलाकार

भाग्यशाली रहेंगी रानी

संजय दत्त- उतार-चढ़ाव का योग
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Welcome to Yahoo! Hindi: "सानिया : 38वें स्थान पर बरकरार"

सानिया : 38वें स्थान पर बरकरार
नई दिल्ली (भाषा), सोमवार, 16 जुलाई 2007 ( 17:24 IST )
भारतीय स्टार सानिया मिर्जा डब्ल्यूटीए एकल और युगल रैंकिंग में 38वें स्थान पर बरकरार है। पिछले हफ्ते फेडरेशन कप के सेमीफाइनल के कारण कोई भी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हुआ इससे रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ। सानिया अब टीयर तीन के एक लाख 75 हजार इनामी राशि के सिनसिनाटी ओपन में खेलेंगी जो सोमवार से ही शुरू होगा। इसमें रूस की अन्ना चाकवेत्द्जे और स्विटजरलैंड की पैटी श्नाइडर भी भाग लेंगी। ईशा लखानी थाईलैंड में हुए आईटीएफ टूर्नामेंट के फाइनल में हार गई थी। वह 492वीं रैंकिंग पर काबिज है। विम्बलडन के सेमीफाइनल में फ्रांस की मारियन बार्तोली से हारकर ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट से बाहर होने के बावजूद बेल्जियम की जस्टिन हेनिन शीर्ष पर काबिज हैं। रूसी स्टार मारिया शारापोवा दूसरे स्थान पर बरकरार हैं। अपना विम्बलडन खिताब जीतने वाली वीनस विलियम्स ने मारिया को हराया था। सर्बिया की येलेना यांकोविच तीसरे स्थान पर बरकरार है।
(स्रोत - वेबदुनिया)

और भी...

थियरे हेनरी ने पत्नी से तलाक लिया

ब्राजील ने जीता कोपा अमेरिका खिताब

तेंडुलकर के निशाने पर होंगे कई रिकॉर्ड

बोपन्ना-क्यूवास की जोड़ी आखिरी चुनौती में हारी

लासन पाकिस्तान क्रिकेट कोच बने

हम्पी ने कोपथिंग ओपन जीती


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Monday, July 2, 2007

BBCHindi.com | ओम पुरी और नसीर के साथ गपशप

BBCHindi.com पत्रिका ओम पुरी और नसीर के साथ ग
ऐसी शामें बहुत कम होती हैं. नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के लाखों-लाख प्रशंसकों में से चंद लोगों की मानो लॉटरी निकल आई हो.
ओम पुरी और नसीर को तसल्ली से एक मंच पर बैठकर हँस-हँसकर एक दूसरे की टाँग खींचते, पुराने दिनों को याद करते, भारतीय सिनेमा की दशा-दुर्दशा पर कभी तल्ख़ और कभी संजीदा बहस करते सुनना एक कमाल का अनुभव था.
भारतीय सिनेमा के निर्विवाद रूप से दो सबसे बड़े अभिनेताओं की सार्थक गपशप में शामिल होने अवसर उपलब्ध कराया इंडिया-ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव के परवेज़ आलम ने.

पूरी चर्चा में नसीर की तेज़ी-तुर्शी दिख रही थी तो ओम पुरी अपने विनम्र, धीर-गंभीर अंदाज़ में थे लेकिन दोनों की आपसी समझदारी और दोस्ती इस बातचीत को और दिलचस्प बना रही थी. लंदन के नेहरू सेंटर में अंगरेज़ी, हिंदी और ढेर सारे ठहाकों के साथ हुई गपशप पूरी तरह सहज और अनौपचारिक थी.
'लाइफ़ एंड टाइम इन इंडिया सिनेमा' नाम का यह आयोजन दो बेहतरीन अभिनेताओं के तीन दशकों के अभिनय के सफ़र को बातों-बातों में दिलचस्प तरीक़े से समेट लेने का एक अनूठा प्रयास था, इसकी कामयाबी की तस्दीक हर मिनट पर तालियों की गूंज और ठहाके कर रहे थे.
'बवंडर' और 'प्रोवोक्ड' जैसी चर्चित फ़िल्मों का निर्देशन करने वाले जगमोहन मुंदरा की आने वाली फ़िल्म 'शूट एट साइट' की शूटिंग करने लंदन आए दोनों अभिनेताओं के बीच बैठकर जाने-माने प्रसारक परवेज़ आलम ने गपशप को जीवंत बनाए रखा.
लगभग डेढ़ घंटा चली बातचीत को वे बड़ी सफ़ाई से अलग-अलग गलियों में घुमाते रहे कभी उनका बचपन, कभी शुरूआती करियर, कभी कुछ और. बाद में कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दोनों अभिनेताओं ने दिए.
समानता और अंतर
दोनों अभिनेताओं ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और उसके बाद फ़िल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से अभिनय का कोर्स किया, दोनों ने लगभग एक साथ 1975-76 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत की, दोनों ने पहले श्याम बेनेगल और गोविंद निहलाणी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया और बाद में दोनों व्यावसायिक सिनेमा में भी लगातार सक्रिय रहे.
दोनों अभिनेताओं की आपसी समझ और दोस्ती साफ़ झलक रही थी
नसीर-"कई बार लोग मुझे कहते हैं ओम पुरी जी क्या हाल है, ओम से कहते हैं हैलो नसीरुद्दीन शाह."
ओम पुरी-"हमारा बचपन बहुत अलग है, मैं पंजाबी मीडियम से पढ़ा हूँ और नसीर अँगरेज़ी वाले हैं. अभी अँगरेज़ी बोलूँगा तो पकड़ा जाऊँगा."
ओम पुरी-"नसीर ने बहुत कुछ किया है जो मैंने नहीं किया जैसे स्पर्श, पार और चक्र जैसी फ़िल्में..."
नसीर-"अर्धसत्य, आक्रोश, माइ सन द फैनेटिक जैसी फ़िल्में मैंने नहीं, ओम पुरी ने कीं हैं."
अभिनय
नसीर- "मैं नहीं समझता कि ओवर एक्टिंग, अंडर एक्टिंग जैसी कोई चीज़ होती है, असल चीज़ होती है सच्ची और वास्तविक लगने वाली एक्टिंग. यह फ़र्क़ देखने वाले तुरंत समझ लेता है. अगर अभिनेता आपको महसूस करा सके कि वह जो कह रहा है वह सच है तो वही अच्छी एक्टिंग है."
ईस्ट इज़ ईस्ट को ओम पुरी एक बेहतरीन फ़िल्म मानते हैं
ओम पुरी- "अभिनय सिखाने में इंस्टीट्यूशन की भूमिका होती है, एक्टर तो इंसान के अंदर होता है लेकिन उसे संवारने-निखारने का काम इंस्टीट्यूशन करते हैं. ट्रेनिंग एक्टर को आत्मनिर्भर बनाती है उसे हर बात के लिए निर्देशक (मुंदरा की तरफ़ इशारा करते हुए) पर निर्भर नहीं रहना पड़ता."
नसीर- "मैं अपने बचपन से नाख़ुश था, मैं जल्दी से बड़ा होना चाहता था, कोई और आदमी बन जाना चाहता था. मुझे लगता है कि ज़्यादातर एक्टर बचपन में नाख़ुश होते हैं, कोई और हो जाने की लालसा...ओम आप बताएँ..."
ओम पुरी- "मैं बचपन में बड़ा शर्मीला था, बहुत कम बोलता था, जब नाटक करने लगा तो लगा कि मुझे अपनी आवाज़ मिल गई. इसके बाद मुझे एक्टिंग का एडिक्शन-सा हो गया."
अफ़सोस
नसीर-"मुझे दो बातों का अफ़सोस रहा, एक तो मैं रिर्चड एटनबरो की गांधी नहीं कर पाया और दूसरे कभी सत्यजित राय के साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिला, ओम पुरी ने दोनों किया. ओम ने माइ सन फैनेटिक की, और अब चार्ली विल्सन्स वार में ज़िया उल हक़ भी बन रहा है."
ओम पुरी-"माइ सन द फैनेटिक वाला रोल पहले नसीर को मिला, उन्होंने भुट्टो का रोल करने के चक्कर में वह फ़िल्म छोड़ी तो मुझे मिली, भुट्टो वाली फ़िल्म बनी ही नहीं."
नसीर-"गांधी न करने का अफ़सोस बहुत समय तक रहा, लेकिन अब लगता है कि तब गांधी नहीं बना वही अच्छा हुआ, मेरी उम्र बहुत कम थी, मैं अच्छा नहीं कर पाता. बाद में तो 'हे राम' में गांधी बनने का शौक़ पूरा कर लिया."
बॉलीवुड
नसीर-"इससे बड़ी बेहूदगी कोई नहीं हो सकती, कोई आपको अपमानित करने के लिए 'इडियट' कहे और आप उसको अपना नाम बना लें, ऐसी ही बात है बॉलीवुड कहना. मुझे बहुत नफ़रत है इस शब्द से. इसमें बहुत अपमान है, बॉलीवुड, लॉलीवुड, कॉलीवुड ये सब एक घटिया मज़ाक है."
नसीर को गांधी न बन पाने का अफ़सोस भी और ख़ुशी भी
ओम पुरी-"बॉलीवुड सचमुच बुरा नाम है, कई बार बड़े अपमानजनक ढंग से लोग कहते हैं, सॉंग एंड डांस मूवीज़. यह सब मीडिया का काम है, उन्हें टर्म गढ़ने पड़ते हैं तरह-तरह के लेकिन हम लोगों को इसमें नहीं पड़ना चाहिए."
ओम पुरी ने सत्यजित राय के साथ सदगति फिल्म में काम करने के अनुभव विस्तार से सुनाए और बताया कि वे कितने महान निर्देशक थे.
नेहरू सेंटर में डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के बीच बैठकर भी ऐसा लग रहा था जैसे तीन लोग निजी अंतरंग बातचीत कर रहे हों और आपको छिपकर सुनने का मौक़ा मिल गया हो, इतनी अनौपचारिकता और बेबाकी थी, और ऐसा यूँ ही नहीं हुआ था बल्कि उसके लिए संचालक ने बहुत कल्पनाशीलता से तैयारी की थी.
इंडिया ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव ने इस मौक़े पर दोनों 'महान' अभिनेताओं को सम्मानित भी किया.
'महान' शब्द पर नसीर ने कहा- "बस, बहुत हो गया दो-तीन बार कह चुके आप, अब और नहीं..."


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