Tuesday, December 22, 2015

बारिश और घर की खिड़की


आज  कई सालो के बाद घर केखिड़की से बारिश का नज़ारा ले रहे है। याद आता है वो दिन भी जब पूरी दोपहर बारिश का आनंद लेते रहते थे , और आते जाते लोगो को पानी में भीगते हुये देखा करते थे.
उन दिनों बस पढ़ाई ,अपने करियर के बारे में सोचना , खेलना और  मस्ती करना ही काम था।
एक खिरकी पे मै और दूसरी पे मेरा भाई मैथ बनाते हुए आती जाती लड़कियों को देखते थे , कभी कभार कमेंट , छींटाकसी भी किया करते थे , खासकर जब घर में हम दोनों भाई होते थे।
        तो ऐसा करते करते लडकिया भी जब भी हमारे घर के सामने से जाती तो , एक नज़र उठाके जरूर देखती थी। मेरी माँ भी कभी कभी बोलती थी जब भी कोई लड़की यहाँ से जाती है तो हमारे भर की ओर क्यों देखती है।
लेकिन उनको कभी समझ में नहीं आया। कभी कभी तो लड़कियों को बोलती की यहाँ की लडकिया बहुत बदमाश है।
       वैसे भी आज हम वर्क फ्रॉम होम कर रहे है।  और खिड़की पे बैठ कर काम कर रहे है ,  लेकिन अनायाश बहार की ओर नज़र चली जाती है और काले काले बादलो को देखकर  पुराने दिनों की याद आ रही थी तो सोचा की कुछ लिख लू।
      आज जब ऑफिस में लड़कियों से दिन भर घिरे रहने के बाद भी, वो बारिश का दिन कभी नहीं भूलता , जब हम और सुनीता पानी में भीगते हुए रांची मैन  रोड पे कॉलेज की ओर जा रहे थे , आधे सूखे आधे भीगे , तेज़ बारिश और एक छाता, क्या क्या बकते हुए चल रहे थे आज सोचने पे हसी आती है , लेकिन वो ही कुछ यादे ही तो ज़िंदगी को खुशनुमा और जीने लायक बनती है....
         जितना भी चाहो हम सबकुछ नहीं पा सकते , अगर हम लोस एंगेल्स में रांची की बर्रिश याद कर रहे है तो यहाँ की बारिश की तुलना वह से कर रहे है। मेरे कहने का मतलब ये है हम जहा भी रहे हम उसी को जीते है जिसे हम चाहते है।  रांची छूटे बरसो बीत गया लेकिन आज हम वही है शायद। ...... जी रहे है कही और किसी और जगह को..... जो हमे सबसे पियारा है..... उसी की याद में......
         अक्सर हम सोचते है की हम वह होते तो ऐसा होता..... वो अगर मेरे साथ होती तो वैसा होता...लैकिन ये सब आँखों का भरम है। ........ हम उसी के साथ होते है....और उसी स्थान पे होते है जो की हमे बहुत पियारा है.... सच में नहीं तो दिल में तो जरूर.......और जो दिल में होता है वही सच में होता है........