Monday, April 16, 2007

जिन्दगी के सफ़र में

जिन्दगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं मगर
पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग इक रोज़ जो बिछड़ जाते हैं
वो हज़ारों के आने से मिलते नहीं
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
जिन्दगी के सफ़र में...
आंख धोखा है, क्या भरोसा है
आंख धोखा है, क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने ना दो
कल तड़पना पडे याद में जिनकी
रोक लो रूठ कर उनको जाने ना दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हज़ारों सलाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
जिन्दगी के सफ़र में...
सुबह आती है, शाम जाती है
सुबह आती है, शाम जाती है यूँही
वक्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाटा नहीं
और पर्देय पे मंज़र बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-ओ-शाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
जिन्दगी के सफ़र में॥


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