Saturday, September 11, 2010

हम वो परवाने है जो हुस्न के आग में खामोशा जला करते है

दिल फिर याद किया ...... मेरे विचार से इतना दर्द भरा गाना त्रिकोनिये प्यार पे कोई भी नहीं है, G. L. रावल साब ने बहुत ही खूबसूरती से दर्द के परकाष्ठा को लिखा है ,लेकिन गाने में जान डाला है गीतकार सोनिक ओमी और गीतकारो ने....ये गाना सीधे दिल के अन्दर जाता है...
रफ़ीजी और सुमन कल्यानपुर जी ने तो गाना में जान डाला ही है लेकिन दर्द की सीमा तब पार होती है जब दर्द के बादशाह मुकेश की पंक्तिया आती है , हम वो परवाने है जो शम्मा का दंभ भरते है..जब भी हम ये गाना सुनते है उनकी ही पक्तियों का इंतजार करते है... धर्मेन्द्र , नूतन और रहमान साब का काम बहुत ही अच्हा है । ये गाना हमको तो बार बार सुनने को दिल करता है...
आह भी निकले , तो यह प्यार की रुसवाई है

1 comment:

अजय कुमार झा said...

एक खूबसूरत पोस्ट .....बहुत ही सुंदर ..कमाल एकदम