Monday, April 28, 2008

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Jagran - Yahoo! India - International :: General News: "जीन थेरेपी से भी लौटेगी आंखों की रोशनी"

लंदन [जेरेमी लारेंस, द इंडिपेंडेंस]। आंख की रोशनी गंवा चुके लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है। वैज्ञानिकों ने पहली बार अंधेपन की जन्मजात बीमारी के शिकार एक किशोर की रोशनी सुरक्षित लौटाने के लिए जीन थेरेपी का इस्तेमाल किया है। परीक्षण सफल रहा है।
ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किए गए आपरेशन से स्टीवन हावर्थ देखने में तो पूरी तरह सक्षम नहीं हो पाया है, लेकिन उसकी दृष्टि में अप्रत्याशित सुधार दर्ज किया गया है। हावर्थ की सबसे ज्यादा खराब आंख में इंजेक्शन के जरिए जींस प्रत्यारोपित किए गए। जींस का डोज काफी कम रखा गया था।
इस परीक्षण को अंजाम दिया है यूनिवर्सिटी कालेज आफ लंदन के इंस्टीट्यूट आफ आफ्थामोलाजी और मूरफील्ड आई हास्पिटल के वैज्ञानिकों की टीम ने। इस टीम का नेतृत्व करने वाले प्रो. राबिन अली का कहना था कि हावर्थ की आंख में सुधार इस परीक्षण का सबसे आकर्षक पहलू है। यह कामयाबी उम्मीद से ज्यादा है।
छात्र हावर्थ एक तरह के जेनेटिक म्युटेशन का शिकार था, जिसे लेबर्स कांजेनिटल अमारोसिस कहते हैं। जेनेटिक म्युटेशन उस अवस्था को कहते हैं जिसमें आनुवांशिक तत्वों में मौजूद न्यूक्लियोटाइड में तब्दीली आ जाती है। लेबर्स कांजेनिटल अमारोसिस की शुरुआत शैशव अवस्था में ही हो जाती है। आंखों की रोशनी धीरे-धीरे घटती जाती है। मरीज 20 से 30 वर्ष की अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते पूरी तरह अंधा हो जाता है। फिलहाल इस मर्ज की कोई दवा नहीं है।
स्टीवन हावर्थ पैदाइशी तौर पर दूर की चीज देखने में अक्षम था। रात में तो उसे कुछ भी नहीं दिखाई देता था। लेकिन दो घंटे तक चले आपरेशन के बाद उसने अपनी आंख की क्षमता में आश्चर्यजनक सुधार महसूस किया है। हावर्थ का कहना है कि अंधेरे में देखने में नि:संदेह सुधार हुआ है। यह हालांकि एक छोटा परिवर्तन है, लेकिन बड़ा अंतर ला सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि दो साल के अंदर इस थेरेपी के जरिए रेटिना की आनुवांशिक बीमारियों के शिकार लोगों का इलाज संभव होने की उम्मीद है।

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