Monday, July 2, 2007

BBCHindi.com | ओम पुरी और नसीर के साथ गपशप

BBCHindi.com पत्रिका ओम पुरी और नसीर के साथ ग
ऐसी शामें बहुत कम होती हैं. नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के लाखों-लाख प्रशंसकों में से चंद लोगों की मानो लॉटरी निकल आई हो.
ओम पुरी और नसीर को तसल्ली से एक मंच पर बैठकर हँस-हँसकर एक दूसरे की टाँग खींचते, पुराने दिनों को याद करते, भारतीय सिनेमा की दशा-दुर्दशा पर कभी तल्ख़ और कभी संजीदा बहस करते सुनना एक कमाल का अनुभव था.
भारतीय सिनेमा के निर्विवाद रूप से दो सबसे बड़े अभिनेताओं की सार्थक गपशप में शामिल होने अवसर उपलब्ध कराया इंडिया-ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव के परवेज़ आलम ने.

पूरी चर्चा में नसीर की तेज़ी-तुर्शी दिख रही थी तो ओम पुरी अपने विनम्र, धीर-गंभीर अंदाज़ में थे लेकिन दोनों की आपसी समझदारी और दोस्ती इस बातचीत को और दिलचस्प बना रही थी. लंदन के नेहरू सेंटर में अंगरेज़ी, हिंदी और ढेर सारे ठहाकों के साथ हुई गपशप पूरी तरह सहज और अनौपचारिक थी.
'लाइफ़ एंड टाइम इन इंडिया सिनेमा' नाम का यह आयोजन दो बेहतरीन अभिनेताओं के तीन दशकों के अभिनय के सफ़र को बातों-बातों में दिलचस्प तरीक़े से समेट लेने का एक अनूठा प्रयास था, इसकी कामयाबी की तस्दीक हर मिनट पर तालियों की गूंज और ठहाके कर रहे थे.
'बवंडर' और 'प्रोवोक्ड' जैसी चर्चित फ़िल्मों का निर्देशन करने वाले जगमोहन मुंदरा की आने वाली फ़िल्म 'शूट एट साइट' की शूटिंग करने लंदन आए दोनों अभिनेताओं के बीच बैठकर जाने-माने प्रसारक परवेज़ आलम ने गपशप को जीवंत बनाए रखा.
लगभग डेढ़ घंटा चली बातचीत को वे बड़ी सफ़ाई से अलग-अलग गलियों में घुमाते रहे कभी उनका बचपन, कभी शुरूआती करियर, कभी कुछ और. बाद में कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दोनों अभिनेताओं ने दिए.
समानता और अंतर
दोनों अभिनेताओं ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और उसके बाद फ़िल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से अभिनय का कोर्स किया, दोनों ने लगभग एक साथ 1975-76 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत की, दोनों ने पहले श्याम बेनेगल और गोविंद निहलाणी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया और बाद में दोनों व्यावसायिक सिनेमा में भी लगातार सक्रिय रहे.
दोनों अभिनेताओं की आपसी समझ और दोस्ती साफ़ झलक रही थी
नसीर-"कई बार लोग मुझे कहते हैं ओम पुरी जी क्या हाल है, ओम से कहते हैं हैलो नसीरुद्दीन शाह."
ओम पुरी-"हमारा बचपन बहुत अलग है, मैं पंजाबी मीडियम से पढ़ा हूँ और नसीर अँगरेज़ी वाले हैं. अभी अँगरेज़ी बोलूँगा तो पकड़ा जाऊँगा."
ओम पुरी-"नसीर ने बहुत कुछ किया है जो मैंने नहीं किया जैसे स्पर्श, पार और चक्र जैसी फ़िल्में..."
नसीर-"अर्धसत्य, आक्रोश, माइ सन द फैनेटिक जैसी फ़िल्में मैंने नहीं, ओम पुरी ने कीं हैं."
अभिनय
नसीर- "मैं नहीं समझता कि ओवर एक्टिंग, अंडर एक्टिंग जैसी कोई चीज़ होती है, असल चीज़ होती है सच्ची और वास्तविक लगने वाली एक्टिंग. यह फ़र्क़ देखने वाले तुरंत समझ लेता है. अगर अभिनेता आपको महसूस करा सके कि वह जो कह रहा है वह सच है तो वही अच्छी एक्टिंग है."
ईस्ट इज़ ईस्ट को ओम पुरी एक बेहतरीन फ़िल्म मानते हैं
ओम पुरी- "अभिनय सिखाने में इंस्टीट्यूशन की भूमिका होती है, एक्टर तो इंसान के अंदर होता है लेकिन उसे संवारने-निखारने का काम इंस्टीट्यूशन करते हैं. ट्रेनिंग एक्टर को आत्मनिर्भर बनाती है उसे हर बात के लिए निर्देशक (मुंदरा की तरफ़ इशारा करते हुए) पर निर्भर नहीं रहना पड़ता."
नसीर- "मैं अपने बचपन से नाख़ुश था, मैं जल्दी से बड़ा होना चाहता था, कोई और आदमी बन जाना चाहता था. मुझे लगता है कि ज़्यादातर एक्टर बचपन में नाख़ुश होते हैं, कोई और हो जाने की लालसा...ओम आप बताएँ..."
ओम पुरी- "मैं बचपन में बड़ा शर्मीला था, बहुत कम बोलता था, जब नाटक करने लगा तो लगा कि मुझे अपनी आवाज़ मिल गई. इसके बाद मुझे एक्टिंग का एडिक्शन-सा हो गया."
अफ़सोस
नसीर-"मुझे दो बातों का अफ़सोस रहा, एक तो मैं रिर्चड एटनबरो की गांधी नहीं कर पाया और दूसरे कभी सत्यजित राय के साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिला, ओम पुरी ने दोनों किया. ओम ने माइ सन फैनेटिक की, और अब चार्ली विल्सन्स वार में ज़िया उल हक़ भी बन रहा है."
ओम पुरी-"माइ सन द फैनेटिक वाला रोल पहले नसीर को मिला, उन्होंने भुट्टो का रोल करने के चक्कर में वह फ़िल्म छोड़ी तो मुझे मिली, भुट्टो वाली फ़िल्म बनी ही नहीं."
नसीर-"गांधी न करने का अफ़सोस बहुत समय तक रहा, लेकिन अब लगता है कि तब गांधी नहीं बना वही अच्छा हुआ, मेरी उम्र बहुत कम थी, मैं अच्छा नहीं कर पाता. बाद में तो 'हे राम' में गांधी बनने का शौक़ पूरा कर लिया."
बॉलीवुड
नसीर-"इससे बड़ी बेहूदगी कोई नहीं हो सकती, कोई आपको अपमानित करने के लिए 'इडियट' कहे और आप उसको अपना नाम बना लें, ऐसी ही बात है बॉलीवुड कहना. मुझे बहुत नफ़रत है इस शब्द से. इसमें बहुत अपमान है, बॉलीवुड, लॉलीवुड, कॉलीवुड ये सब एक घटिया मज़ाक है."
नसीर को गांधी न बन पाने का अफ़सोस भी और ख़ुशी भी
ओम पुरी-"बॉलीवुड सचमुच बुरा नाम है, कई बार बड़े अपमानजनक ढंग से लोग कहते हैं, सॉंग एंड डांस मूवीज़. यह सब मीडिया का काम है, उन्हें टर्म गढ़ने पड़ते हैं तरह-तरह के लेकिन हम लोगों को इसमें नहीं पड़ना चाहिए."
ओम पुरी ने सत्यजित राय के साथ सदगति फिल्म में काम करने के अनुभव विस्तार से सुनाए और बताया कि वे कितने महान निर्देशक थे.
नेहरू सेंटर में डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के बीच बैठकर भी ऐसा लग रहा था जैसे तीन लोग निजी अंतरंग बातचीत कर रहे हों और आपको छिपकर सुनने का मौक़ा मिल गया हो, इतनी अनौपचारिकता और बेबाकी थी, और ऐसा यूँ ही नहीं हुआ था बल्कि उसके लिए संचालक ने बहुत कल्पनाशीलता से तैयारी की थी.
इंडिया ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव ने इस मौक़े पर दोनों 'महान' अभिनेताओं को सम्मानित भी किया.
'महान' शब्द पर नसीर ने कहा- "बस, बहुत हो गया दो-तीन बार कह चुके आप, अब और नहीं..."


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