सफल अभिनेत्री तब्बू
- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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