जब भी हम प्रशांत महासागर के इस बाच पे जाते है तो वहा काफी तेज़ लहर आती जाती रहती है...उसपे इस एक झार या पौधे को देख कर अक्सर मेरा मन ये सुचने को मजबूर हो जाता है की ये पौधा कितना जादा संघर्ष करता रहता है और वो भी दिन और रात, सुबह शाम हवा के थोप्रे खाता रहता है... और जब हम ये बार इस झार के पास गए थो देखा की इस पड़ एक मनमोहक सुन्दर सा फूल खिला था ... और ये फूल आपका मुश्कुरा कर स्वागत कर रहा था..ये कितनी अद्भुत्वा बात है , हम मनुष्य थोड़ी सी मुशीबत से कितना घबरा जाते है । इस झार को देखने के बाद मेरे मन में काफी उत्शाह आ गया है इस recession से लड़ने का... आज नहीं तो कल मुझे मेरा लक्ष्य जरुर परारपत होगा...
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