आज पता नहीं क्या सुबह-सुबह दुगा माँ के महालिया की याद आई ...ये वो भजन है जो की हम लोग बचपन से कलास्थापना के दिन सुना करते थे ,ये भजन पूरा बंगला और संस्कृत में है , दिल बे बहुत ही शांति देता है ये भजन।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता , नमस् तस्यै नमस् तस्यै नमस् तस्यै नमो नामन्ह ....
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