अक्टूबर २० के बाद ही से वातावरण में डर छाने लगता है यहाँ ... सभी लोगो में एक दुसरे को डराने की होड़ लगी रहती है.... भूत की बाते भुत बनना एक आम बात होती है ..लोग मज़ा करने के लिए लोग एसा पहनते है ... लेकिन डर का माहोल पैदा हो जाता है....
बात कल की है... कल रात जब सोया तो कुछ आवाज़ आ रही थी... तो आँख खुल गई काफी खोजने पे पता चला की बेड़ रूम का दरवाज़ा टीक से बंद नहीं था तो वही आवाज़ कर रहा था ..फिर थोड़ी देर के बाद आंख खुली इस समय पंखे के कारण एक कागज़ की आवाज़ हो रही थी, फिर सोया तो बीच बीच में कुछ खर खर की आवाज़ हो ही रही थी जिसको की मै खोज नहीं पाया की ये आवाज़ कहा से आ रही है..तो डर के मारे आपना चेहरा भगवान् की मूर्ति के तरफ करके , हनुमानजी को याद करते हुए सोने की कोशिश किया , फिर रूम का लाइट जला कर सोया लेकिन बीच बीच खर खर की आवाज़ आती रही...अचानक रात में मेरा लैपटॉप के रिबूट का आवाज़ आया मै डर गया की कोई नहीं है फिर किसने बूट किया मेरे P C को ..डर तो लगी फिर याद आया की रिबूट ऑटो मोड में है इसलिए रिबूट हो windows अपडेट होने के बाद ...फिर भी हनुमान जी को याद करते करते सोया... आँख लग है ..अचानक ५ बजे सुबह में मेरा म्यूजिक सिस्टम जोर जोर से आपने से बजने लगा ... हार्ट अटैक होते होते बचा , लेकिन सोचा आब काम नहीं चलेगा , राज़ पता लगाना ही होगा .... तो म्यूजिक सिस्टम को आछी तरह से देखा तो पाया की वो रेडियो मोड पे था ...तो समझ में आया की इसलिए रात भर खर खर की आवाज़ आ रही थी...म्यूजिक सिस्टम इसलिए बजा क्योकि बच्चो ने खेलते खेलते म्यूजिक सिस्टम में अलार्म लगा दिया था और ५ बजते ही उसमे लगा सीडी बजना शुरू हो गया .....खैर हल्लोवीन की पूर्ब संध्या बहुत डरावनी रही ...लेकिन बाद में बहुत मज़ा आया सोच सोच कर..और याद आया बचपन जब बाथरूम भी जाने के लिए माँ-पापा को बुलाया करते थे।
आप लोगो को भी बहुत बहुत शुभ कम्नाये हल्लोवीन और सभी तह्वारो की....
Sunday, October 31, 2010
Monday, October 25, 2010
जब भी ये दिल उदास होता है कोई नहीं आसपास होता है...
आज बैठ कर जब सोचते है की क्या वो दिन थे जब भी मूड ख़राब होता था तो कई दोस्त थे जो की कभी भी और कही भी मिल जाते थे और ..कही से आवाज़ आती थी अबे राजू कहा अकेले घूम रहे हो .... लेकिन अब समय बदला दोस्त बदले , देश बदला.. किसी के पास आज टाइम नहीं है... आज के डेट में अगर किसी के दिन बात करना है, तो फ़ोन भी नहीं फसबूक और मेल करो ...फ़ोन करने पे भी कोई फ़ोन नहीं उठता है ...दोस्तों से घिरा रहने वाला , आज एक भी दोस्त नहीं... कोई दोस्त है न रकीब है ये शहर कितना अजीब है ...खैर मैंने ही ये राह चुनी है... अब इस रह पे चलना ही पड़ेगा ....
कभी कभी मन करता है की लौट जाऊ पुनाने राह पे लेकिन फिर ख्याल आता है पुराना राह भी अब वैसा नहीं रहा , जिसके लिए लौटना चाहता हु अब वो लोग भी नहीं है वस शहर में..शहर तो वही है लेकिन चेहरे काफी बदल गए है....अब यही नई दुनिया बनाना है...और नया तोर तरीका सीखना है....
कोंय्की जिंदगी के सफ़र में जो बदलाव आता है उसका उसी रूप में मिलना नामुमकिन है....
जिंदगी तुझको जीया है ....और जिंदगी का एक एक पल का मज्जा लिया है ....अब आगे नई दुनिया बनते जाना है... और दोस्ती दोस्त का इज्जत किया है ... जो भी पाया बहुत पाया है...अब कोई अफ़सोस नहीं ...
कभी कभी मन करता है की लौट जाऊ पुनाने राह पे लेकिन फिर ख्याल आता है पुराना राह भी अब वैसा नहीं रहा , जिसके लिए लौटना चाहता हु अब वो लोग भी नहीं है वस शहर में..शहर तो वही है लेकिन चेहरे काफी बदल गए है....अब यही नई दुनिया बनाना है...और नया तोर तरीका सीखना है....
कोंय्की जिंदगी के सफ़र में जो बदलाव आता है उसका उसी रूप में मिलना नामुमकिन है....
जिंदगी तुझको जीया है ....और जिंदगी का एक एक पल का मज्जा लिया है ....अब आगे नई दुनिया बनते जाना है... और दोस्ती दोस्त का इज्जत किया है ... जो भी पाया बहुत पाया है...अब कोई अफ़सोस नहीं ...
Friday, October 22, 2010
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
ये जगिजीत सब की बहुत ही उत्क्रिस्ट ग़ज़ल है , एक दिन जब हम कॉलेज में थे तो इसका एक लाइन लिख दिए थे
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालुम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा ,
और उस दिन इतफाक से ब्लैक बोर्ड को मिटने का डस्टर नहीं था, और वो बहुत गुस्से में थे... तो मेरे प्रोफेसर साब ने बोला था काश यहाँ दरिया के जगह सागर होता तो वो जरुर बोर्ड मिटा देता॥
आप भी इस खुबसूरत कृति का आनंद ले...
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत इस से वो बेवफ़ हो जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालुम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझा से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
मैं खुदा का नाम ले कर पि रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर
क्या खबर थी मुझ से वो इतना खफा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालुम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा ,
और उस दिन इतफाक से ब्लैक बोर्ड को मिटने का डस्टर नहीं था, और वो बहुत गुस्से में थे... तो मेरे प्रोफेसर साब ने बोला था काश यहाँ दरिया के जगह सागर होता तो वो जरुर बोर्ड मिटा देता॥
आप भी इस खुबसूरत कृति का आनंद ले...
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत इस से वो बेवफ़ हो जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालुम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझा से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
मैं खुदा का नाम ले कर पि रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर
क्या खबर थी मुझ से वो इतना खफा हो जायेगा
Thursday, October 21, 2010
..... दिले बर्बाद से निकला नहीं अबतक कोई
..... दिले बर्बाद से निकला नहीं अबतक कोई
एक लूटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई ....
एक लूटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई ....
Tuesday, October 19, 2010
बारिश में पुराने प्यार की यादें -Rain and Romance
आज यहाँ काफी जोर की बारिश हो रही है , सुबह से ही चारो ओर अँधेरा सा छाया हुआ है , और हम हाथ में चाय की प्याली लिए बारिश का आनंद उठा रहे है खिरकी के बहार झांकते हुए , यहाँ कोई भी दिखाई नहीं ये रहा है बहार एक दो कार , ट्रक के अलावा , साथ की साथ youtube पे संगीत भी चल रहा है , कभी आज मौसम बड़ा बेईमान है तो कभी बरखा रानी जरा जम के बरसो। धीरे धीरे मन यादो में चला जाता है जब हम कॉलेज में थे और घर से बारिश का आनद लेते थे। एक बार मेरे पड़ोस की लड़की भीगते हुए घर आ रही थी तो उसको देख कर आचानक "सजन आ जाओ" गाना जोर जोर से गाना सुरूर कर दिए थे, और वो सिर्फ मुस्कुराते हुए आपने घर चली गई थी, ये मुश्कान आज भी मेरे दिल में बसी है।
हमारे घर ये सामने उसकी भी खिरकी थी, जब भी बारिश होता वो जरुर खिरकी में आती और हम भी ख्र्की के पास ही बिराजमान रहते थे , वो प्यार भरी आँखों से बाते आज भी दिल के किसी कोने में बसी है, अब हमेसा उन पलों की यादें नहीं आती है लेकिन जब भी बादल चाता है और तो उसकी हर एक याद दिल में ताज़ा हो जाती है...
आज भी ये दिल सोचता है वो दुसरे की ही थी लेकिन मेरा दिल कहता है...
ना तुम बेवफा हो ना हम बेवफा है ...मगर क्या करे आपनी राहे जुदा हैं....
जा भी रहो खुश रहो ये मेरी दुवा है , हम जहा भी है बहुत खुश है ....क्योकि तुम्हरी यादें मेरे जीवन में अक्सर एक मुश्कान दे जाती है....और क्या चाहिए जीने के लिए.......
हमारे घर ये सामने उसकी भी खिरकी थी, जब भी बारिश होता वो जरुर खिरकी में आती और हम भी ख्र्की के पास ही बिराजमान रहते थे , वो प्यार भरी आँखों से बाते आज भी दिल के किसी कोने में बसी है, अब हमेसा उन पलों की यादें नहीं आती है लेकिन जब भी बादल चाता है और तो उसकी हर एक याद दिल में ताज़ा हो जाती है...
आज भी ये दिल सोचता है वो दुसरे की ही थी लेकिन मेरा दिल कहता है...
ना तुम बेवफा हो ना हम बेवफा है ...मगर क्या करे आपनी राहे जुदा हैं....
जा भी रहो खुश रहो ये मेरी दुवा है , हम जहा भी है बहुत खुश है ....क्योकि तुम्हरी यादें मेरे जीवन में अक्सर एक मुश्कान दे जाती है....और क्या चाहिए जीने के लिए.......
Friday, October 15, 2010
दुर्गा पूजा और घर से दूर - Durga Puja
दुर्गा पूजा की यादे मेरे दिल में कूट कूट कर भरी हुई है, अगर जिंदगी के कुछ हसीन बीते हुए पल की आज हम जब याद करते है तो उसमे ९०% दुर्गा पूजा से जुडी हुई होती है। याद आता है वो पंडाल जहाँ हमलोग अड़ा मारा करते थे, वो ढॉक के आवाज़ पे नाचते बच्चे बड़े और जवान। और माँ की आरती करते हुए लोग , कभी दोनों हाथो में ले कर तो कभी दोनों हाथो और मुह में ले कर आरती करते थे लोग ढॉक की आवाज़ पे। कभी भक्ति से तो कभी मस्ती के लिए तो कभी अड़ा के लिए लेकिन हमारा जादा समय वही बिताता था।
सभी लोग रोज़ नया कापड़ा पहन कर आते थे वहा , लड़के और लडकिया खूब साज़ धज कर आते थे , क्या दिन थे वो, हमलोगों की साल भर दुर्गा पूजा का इंतजार रहता था, इस पूजा में ये करेगे तो वो करेगे।
आज घर से हजारो हज़ार मीलों दूर उन हसीन पलों को याद कर रहे है और दुर्गा पूजा के मस्ती को मिस कर रहे है लेकिन भक्ति को नहीं...जय माँ दुर्गे....
सभी लोग रोज़ नया कापड़ा पहन कर आते थे वहा , लड़के और लडकिया खूब साज़ धज कर आते थे , क्या दिन थे वो, हमलोगों की साल भर दुर्गा पूजा का इंतजार रहता था, इस पूजा में ये करेगे तो वो करेगे।
आज घर से हजारो हज़ार मीलों दूर उन हसीन पलों को याद कर रहे है और दुर्गा पूजा के मस्ती को मिस कर रहे है लेकिन भक्ति को नहीं...जय माँ दुर्गे....
Wednesday, October 13, 2010
और आखरी मजदूर खान से बहार निकला ......rescue at chile
चिली के खनिको से मेरा आपका कोई सम्ब्बंध नहीं लेकिन उनलोगों से एक दिल से रिश्ता बन चूका था , लगता था कब ये लोग बहार निकलेगे , कब इन की जिंदगी बचेगी , कैसे ये लोग एक एक पल संगर्ष कर रहे थे जिंदगी के लिए... और तकनीक का कमाल देखिये की वो लोग बहरी दुनिया के संपर्क में थे और सभी से बात कर रहे थे....खनिको को निकलने की बात बहुत दिनों से चल रही थी..लेकिन जब कल वो दिन आ गया तो पूरी दुनिया उन लोगो के सुरक्षित निकालने के कामना कर रहा था...लोगो में एक आशा तो थी ही लेकिन दिल ही दिल में एक डर था। लोग सास रोक कर टीवी से चिपके हुए थे और लोग लाइव देख रहे थे । जब ६९ दिनों के बाद पहला खनिक बहार आया तो लोग ख़ुशी से उच्हल उठे और सबके चेहरे पे एक सुखद मुस्कान आ गई ...और आज आखरी खनिक बहार निकला तो सभी ने राहत की सास ली....
आज उन सभी लोगो पे गर्व होता है जो लोगो ने मदद की ये लोगो को बचने में..ये केवल उनकी जीत नहीं है ये पूरी मानवता की जीत है...मेरी बहुत बहुत सुभकामनाये उन कनिको के लिए.....ये घटना ये भी दर्शाता है की आज हम एक दुसरे के कितने करीब हो गए है.....
आज उन सभी लोगो पे गर्व होता है जो लोगो ने मदद की ये लोगो को बचने में..ये केवल उनकी जीत नहीं है ये पूरी मानवता की जीत है...मेरी बहुत बहुत सुभकामनाये उन कनिको के लिए.....ये घटना ये भी दर्शाता है की आज हम एक दुसरे के कितने करीब हो गए है.....
Friday, October 8, 2010
Monday, October 4, 2010
Thak gaya mai yaad karte karte tunjhko
Thak gaya mai yaad karte karte tunjhko
aab tujhe mai yaad aana chahta hu...
aab tujhe mai yaad aana chahta hu...
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