Monday, July 28, 2025

राखी - प्यार की डोर



“प्यार की डोर”

एक शांत नदी किनारे बसे छोटे से शहर में भाई-बहन — आरव और मीरा रहते थे। उनका घर छोटा था लेकिन उसमें हंसी, चाय की महक, नोंक-झोंक और माँ की मीठी डाँट से भरी ज़िंदगी बसती थी।

आरव, मीरा से पाँच साल बड़ा था — उसका रक्षक, साथी और सबसे अच्छा दोस्त। हर रक्षाबंधन पर मीरा उसके हाथ में राखी बाँधती और वह उसे हमेशा उसकी रक्षा करने का वादा करता।

लेकिन इस बार कुछ बदला था। मीरा दिल्ली में एक स्कूल में अध्यापक बन गई थी। पहली बार राखी पर वह घर से दूर थी। आरव ने कुछ नहीं कहा, लेकिन सब जानते थे कि वह उसे बहुत मिस कर रहा था।

वह हर रोज़ आँगन साफ़ करता, कम बोलता, और बार-बार बस स्टॉप की तरफ नज़रें टिकाए रहता।

राखी की सुबह आई। गलियाँ मिठाइयों की खुशबू से महक रही थीं, मंदिर से भजन बज रहे थे, और बच्चे नए कपड़े पहनकर घूम रहे थे। आरव अकेला बैठा था, हाथ में अधूरी चाय का प्याला।

तभी डाकिया आया — एक लिफ़ाफ़ा और एक छोटा सा पार्सल। मीरा की लिखावट थी।

“भैया,
माफ़ करना मैं नहीं आ सकी। स्कूल में ज़रूरी मीटिंग थी। मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंदीदा चॉकलेट और राखी भेजी है।
इसे बाँध लेना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।

तुम्हारी मीरा।”

आरव मुस्कुराया। धीरे से राखी खोली और खुद के हाथ पर बाँध ली।

वह बस घर के अंदर जाने ही वाला था कि अचानक बाहर से शोर सुनाई दिया। सामने मोड़ पर एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।

आरव दौड़ा — साँसें तेज़ हो गईं। भीड़ में घुसा और देखा — एक दुपट्टा कार के शीशे में फंसा था।

फिर किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा।

मीरा थी। ज़िंदा, सुरक्षित, और भावुक।

"मैंने तुम्हें सरप्राइज़ देने के लिए रात की बस पकड़ी," वह बोली, "रास्ते में माँ के लिए फूल लेने उतरी थी, तभी हमारा ऑटो एक्सीडेंट में आ गया… लेकिन मैं ठीक हूँ।"

आरव ने उसे कसकर गले लगाया। वह रो पड़ी, “राखी पर तुम्हें देखे बिना रह नहीं पाई। कोई नौकरी, कोई शहर — तुम्हारे बिना सब अधूरा है।”

आरव की आँखों में चमक थी, “तुमने आज मुझे डरा दिया। ये घर तुम्हारे बिना बस ईंट-पत्थर है।”

उस रात पूरा मोहल्ला साथ आया। सबने मिठाइयाँ और पूजा थाली बाँटीं, नीम के पेड़ को फेयरी लाइट्स से सजाया गया। मीरा ने आरव को दूसरी राखी बाँधी — एक प्यार के लिए और दूसरी उस जीवन के लिए जो उन्हें फिर से एक साथ ले आया।

💫
"राखी सिर्फ एक डोर नहीं है — ये दिल की धड़कन है। और कभी-कभी, डर ही हमें यह एहसास दिलाता है कि हम कितने गहराई से जुड़े हुए हैं।"

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