संबंधों की गहराई तय करते सुर्ख़ लब
शोध में पाया गया कि समय के साथ चुंबन का महत्व बढ़ा है
कहते हैं कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है लेकिन क्या एक चुंबन हज़ार बातें कह सकता है....युवतियों की मानें तो शायद हां...
एक अमरीकी विश्वविद्यालय में युवाओं के बीच किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि युवतियां संबंधों के निर्धारण में चुंबन को सबसे अधिक महत्व देती हैं.
न्यूयॉर्क राज्य विश्वविद्यालय की एक टीम ने लगभग 1000 विद्यार्थियों से इस बारे में सवाल पूछे.
इवोल्यूशनरी साइकोलॉजिस्ट नाम के जर्नल में छपे शोध में कहा गया है कि लड़कियाँ संभावित साथी को समझने के लिए चुंबन को एक तरीके के रूप में अपनाती हैं और इसी आधार पर संबंधों की घनिष्ठता का स्तर तय करती हैं.
वहीं दूसरी तरफ पुरुषों ने चुंबन को कम महत्व दिया और इसे सिर्फ़ शारीरिक संबंध बनाने से जोड़कर देखा.
शोध के दौरान पता लगा कि पुरुष इस बारे में बहुत भेदभाव नहीं करते कि किसका चुंबन ले रहे हैं या किस के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं.
महत्व
महिलाओं और पुरुषों दोनों ही चुंबन से फ़ायदा पाते हैं लेकिन जीवनसाथी की खोज में चुंबन के महत्व पर दोनों में अलग-अलग राय देखने में मिली
डॉक्टर गॉर्डन गैलप, शीर्ष शोधकर्ता
शोध में पाया गया कि पुरुष किसी के भी साथ शारीरिक संबंध बनाने पर राज़ी थे. पुरुषों ने चाहे दूसरे साथी का चुंबन न लिया हो, उसके प्रति आकर्षित न हों या उसे ख़राब चुंबन करने वाला समझते हों फिर भी वो शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमत थे.
लंबे समय के संबंधों में महिलाओं ने चुंबन को पुरुषों से अधिक महत्व दिया और कहा कि पूरे संबंध के दौरान चुंबन का बहुत महत्व होता है.
वहीं पुरुषों का कहना था कि जैसे-जैसे संबंध पुराना होता जाता है वैसे-वैसे चुंबन का महत्व और कम होता जाता है.
महिलाओं और पुरुषों में चुंबन के तरीके को लेकर भी अंतर देखने को मिला.
शीर्ष शोधकर्ता डॉक्टर गॉर्डन गैलप ने कहा कि समय के साथ चुंबन प्रेम-संबंध का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है.
लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "महिलाओं और पुरुषों दोनों ही चुंबन से फ़ायदा पाते हैं लेकिन जीवनसाथी की खोज में चुंबन के महत्व पर दोनों में अलग-अलग राय देखने में मिली."
तो फिर युवक हों या युवती...आपको भी चुंबन पर ध्यान देना पड़ सकता है.
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Monday, September 3, 2007
Thursday, August 23, 2007
BBCHindi.com | विज्ञान | यौन संबंधों में आड़े न�
BBCHindi.com विज्ञान यौन संबंधों में आड़े न�: "यौन संबंधों में आड़े नहीं आ रहा बुढ़ापा"
एक शोध में कहा गया है कि अमरीकी लोगों के लिए बुढ़ापा यौन संबंधों के आड़े नहीं आ रहा है और 70-80 साल की उम्र में भी वे यौन संबंध बना रहे हैं.
57 से 85 साल उम्र के 3005 लोगों के बीच उनके यौन जीनव या सेक्स लाइफ़ के बारे में एक शोध किया गया और बड़ी संख्या में लोगों ने कहा कि वे अभी भी यौन संबंध बनाते हैं.
इस सर्वेक्षण या शोध से पता चला कि इस उम्र में भी यौन संबंधों के लिए सबसे बड़ी बाधा के रुप में साथी की कमी का ज़िक्र किया गया और यौनेच्छा की कमी और बीमारी को छोटी बाधा बताया गया.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध में यौन संबंधों और उम्र के मामले में परंपरागत धारणाओं से अलग तथ्य उजागर हुए हैं.
वैसे भी इस मामले में कम ही अध्ययन हुए हैं.
नए तथ्य
शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एडवर्ड ल्यूमैन शोधकर्ताओं में से एक हैं और उनका कहना है, "ऐसे बहुत से लोग थे जो मानते हैं कि उम्र को यौन संबंध या यौनेच्छा से बहुत सख़्ती के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है."
उनका कहना है, "लेकिन पता चला कि बहुत से स्वस्थ लोगों के पास यदि साथी है तो वे सहज रुप से यौन संबंध बना रहे हैं और यह उनके जीवन का अहम हिस्सा है."
आधे पुरुषों और एक चौथाई स्त्रियों ने बताया कि वे हस्तमैथुन करते हैं और इसका इस बात से कोई संबंध नहीं होता कि उनके पास साथी है या नहीं
जिन उम्रदराज़ लोगों ने कहा कि उनका यौन जीवन सुचारु रुप से चल रहा है, उनका कहना था कि वे महीने में दो या तीन बार यौन संबंध बनाते हैं.
आधे पुरुषों और एक चौथाई स्त्रियों ने बताया कि वे हस्तमैथुन करते हैं और इसका इस बात से कोई संबंध नहीं होता कि उनके पास साथी है या नहीं.
इस शोध से यह भी ज़ाहिर हुआ कि स्वास्थ्य का लोगों के यौन जीनव से सीधा संबंध होता है क्योंकि जो लोग स्वस्थ नहीं हैं उनका यौन जीवन उतना सक्रिय भी नहीं है.
पुरुषों में आम समस्या उत्तेजना की कमी थी और 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इसके लिए यौन-उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाएँ लेते हैं.
जबकि महिलाओं में यौनेच्छा की कमी और चरमसुख की अवस्था तक पहुँचने जैसी समस्याएँ थीं.
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एक शोध में कहा गया है कि अमरीकी लोगों के लिए बुढ़ापा यौन संबंधों के आड़े नहीं आ रहा है और 70-80 साल की उम्र में भी वे यौन संबंध बना रहे हैं.
57 से 85 साल उम्र के 3005 लोगों के बीच उनके यौन जीनव या सेक्स लाइफ़ के बारे में एक शोध किया गया और बड़ी संख्या में लोगों ने कहा कि वे अभी भी यौन संबंध बनाते हैं.
इस सर्वेक्षण या शोध से पता चला कि इस उम्र में भी यौन संबंधों के लिए सबसे बड़ी बाधा के रुप में साथी की कमी का ज़िक्र किया गया और यौनेच्छा की कमी और बीमारी को छोटी बाधा बताया गया.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध में यौन संबंधों और उम्र के मामले में परंपरागत धारणाओं से अलग तथ्य उजागर हुए हैं.
वैसे भी इस मामले में कम ही अध्ययन हुए हैं.
नए तथ्य
शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एडवर्ड ल्यूमैन शोधकर्ताओं में से एक हैं और उनका कहना है, "ऐसे बहुत से लोग थे जो मानते हैं कि उम्र को यौन संबंध या यौनेच्छा से बहुत सख़्ती के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है."
उनका कहना है, "लेकिन पता चला कि बहुत से स्वस्थ लोगों के पास यदि साथी है तो वे सहज रुप से यौन संबंध बना रहे हैं और यह उनके जीवन का अहम हिस्सा है."
आधे पुरुषों और एक चौथाई स्त्रियों ने बताया कि वे हस्तमैथुन करते हैं और इसका इस बात से कोई संबंध नहीं होता कि उनके पास साथी है या नहीं
जिन उम्रदराज़ लोगों ने कहा कि उनका यौन जीवन सुचारु रुप से चल रहा है, उनका कहना था कि वे महीने में दो या तीन बार यौन संबंध बनाते हैं.
आधे पुरुषों और एक चौथाई स्त्रियों ने बताया कि वे हस्तमैथुन करते हैं और इसका इस बात से कोई संबंध नहीं होता कि उनके पास साथी है या नहीं.
इस शोध से यह भी ज़ाहिर हुआ कि स्वास्थ्य का लोगों के यौन जीनव से सीधा संबंध होता है क्योंकि जो लोग स्वस्थ नहीं हैं उनका यौन जीवन उतना सक्रिय भी नहीं है.
पुरुषों में आम समस्या उत्तेजना की कमी थी और 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इसके लिए यौन-उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाएँ लेते हैं.
जबकि महिलाओं में यौनेच्छा की कमी और चरमसुख की अवस्था तक पहुँचने जैसी समस्याएँ थीं.
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Friday, August 17, 2007
BBCHindi.com | विश्व समाचार | जॉर्ज बुश की बेटी �
BBCHindi.com विश्व समाचार जॉर्ज बुश की बेटी �: "जॉर्ज बुश की बेटी की सगाई हुई"
व्हाइट हाउस के मुताबिक अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की जुड़वां बेटियों में से एक, जेना बुश की उनके पुरुष मित्र हेनरी हेगर से सगाई हो गई है.
राष्ट्रपति बुश की पत्नी लॉरा बुश के कार्यालय से गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जेना और हेनरी की सगाई बुधवार यानी 15 अगस्त को हो गई है.
हालांकि इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है कि इन दोनों का विवाह कब और कहाँ होगा.
हेनरी वर्जीनिया के पूर्व लेफ़्टीनेंट गवर्नर जॉन हेगर के बेटे हैं. जॉन हेगर इन दिनों वर्जीनिया में रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष हैं.
25 वर्षीय जेना की जुड़वां बहन का नाम बारबरा बुश है. दोनों बहने जॉर्ज बुश की बेटी होने के नाते ही नहीं बल्कि अपनी गतिविधियों को लेकर भी पिछले समय में चर्चा में रही हैं.
वर्ष 2001 के दौरान कॉलेज के दिनों में कम उम्र में मदिरापान करने को लेकर भी ये विवादों में रहीं थीं और इन्हें पुलिस की हिरासत में जाना पड़ा था.
एक-दूजे के लिए..
जेना की सगाई की सूचना लॉरा बुश के कार्यालय से जारी की गई है
हेनरी और जेना एक दूसरे को पिछले कुछ वर्षों से जानते हैं और दोनों में गहरी दोस्ती रही है.
दोनों ही कई बार सार्वजनिक मौकों पर एकसाथ सामने आते रहे हैं. इसमें व्हाइट हाउस की ओर से हुए कई महत्वपूर्ण समारोह भी शामिल हैं.
यहां तक कि हेनरी हेगर राष्ट्रपति बुश के दूसरे चुनाव के दौरान अभियान का कामकाज भी देख रहे थे.
फिलहाल हेनरी व्यापार प्रबंधन में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने की तैयारी में हैं और जेना अपनी एक किताब पर काम कर रही हैं जो कि एक एचआईवी संक्रमित मां पर आधारित है.
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व्हाइट हाउस के मुताबिक अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की जुड़वां बेटियों में से एक, जेना बुश की उनके पुरुष मित्र हेनरी हेगर से सगाई हो गई है.
राष्ट्रपति बुश की पत्नी लॉरा बुश के कार्यालय से गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जेना और हेनरी की सगाई बुधवार यानी 15 अगस्त को हो गई है.
हालांकि इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है कि इन दोनों का विवाह कब और कहाँ होगा.
हेनरी वर्जीनिया के पूर्व लेफ़्टीनेंट गवर्नर जॉन हेगर के बेटे हैं. जॉन हेगर इन दिनों वर्जीनिया में रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष हैं.
25 वर्षीय जेना की जुड़वां बहन का नाम बारबरा बुश है. दोनों बहने जॉर्ज बुश की बेटी होने के नाते ही नहीं बल्कि अपनी गतिविधियों को लेकर भी पिछले समय में चर्चा में रही हैं.
वर्ष 2001 के दौरान कॉलेज के दिनों में कम उम्र में मदिरापान करने को लेकर भी ये विवादों में रहीं थीं और इन्हें पुलिस की हिरासत में जाना पड़ा था.
एक-दूजे के लिए..
जेना की सगाई की सूचना लॉरा बुश के कार्यालय से जारी की गई है
हेनरी और जेना एक दूसरे को पिछले कुछ वर्षों से जानते हैं और दोनों में गहरी दोस्ती रही है.
दोनों ही कई बार सार्वजनिक मौकों पर एकसाथ सामने आते रहे हैं. इसमें व्हाइट हाउस की ओर से हुए कई महत्वपूर्ण समारोह भी शामिल हैं.
यहां तक कि हेनरी हेगर राष्ट्रपति बुश के दूसरे चुनाव के दौरान अभियान का कामकाज भी देख रहे थे.
फिलहाल हेनरी व्यापार प्रबंधन में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने की तैयारी में हैं और जेना अपनी एक किताब पर काम कर रही हैं जो कि एक एचआईवी संक्रमित मां पर आधारित है.
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Tuesday, August 14, 2007
Friday, August 10, 2007
ऐश्वर्या की मोम की मूर्ति
ऐश्वर्या की मोम की मूर्ति
न्यूयॉर्क (भाषा), शुक्रवार, 10 अगस्त 2007 ( 18:29 IST )
लंदन को नमस्ते कहने के बाद अब पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड की अदाकारा ऐश्वर्या राय न्यूयॉर्क आ रही हैं। यहाँ 15 अगस्त को उनकी मोम निर्मित प्रतिमा का अनावरण होगा।न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में मैडम तुसाद का संग्रहालय है। इसी संग्रहालय में ऐश्वर्या की मोम निर्मित प्रतिमा का 15 अगस्त को अनावरण किया जाएगा।भारत इस वर्ष 15 अगस्त पर अपनी आजादी की 60वीं सालगिरह मनाएगा। संग्रहालय के अधिकारियों के अनुसार ऐश्वर्या के प्रशंसकों के अनुरोध पर प्रतिमा का अनावरण 15 अगस्त को किया जाएगा। इस अवसर पर बॉलीवुड के कलाकार एक कार्यक्रम भी पेश करेंगे।लंदन स्थित मैडम तुसाद के संग्रहालय में भी ऐश्वर्या की मोम निर्मित प्रतिमा लगी है। इसका अनावरण 2004 में हुआ था। उस समय ऐश्वर्या की फिल्म ब्राइड एंड प्रिजुडिस रिलीज होने वाली थी।लंदन स्थित संग्रहालय से ऐश्वर्या की प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित संग्रहालय ने मँगवाई और उसके आधार पर छह सप्ताह में नई प्रतिमा तैयार कराई। मैडम तुसाद के संग्रहालय में अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत की भी मोम निर्मित प्रतिमाएँ हैं।अभिषेक बच्चन से विवाह कर चुकी ऐश्वर्या पहली भारतीय अभिनेत्री हैं, जिनकी प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित तुसाद संग्रहालय में लगेगी। अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद ऐश्वर्या प्रतिमा के अनावरण के लिए न्यूयॉर्क आ सकें।मैडम तुसाद के संग्रहालय लंदन, एम्स्टर्डम, लॉस वेगास, हांगकांग और शंघाई में भी हैं और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने लंदन में की थी।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
पूर्व अरबपति के लिए माफी का अनुरोध
•
ताहिती के पास विमान समुद्र में गिरा
•
एन्डेवर मिलेगा आईएसएस से
•
पाक में 12 आतंकवादी मारे गए
•
मर्डोक की भारत में नए चैनल की योजना
•
मुशर्रफ का आपातकाल लगाने से इनकार
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न्यूयॉर्क (भाषा), शुक्रवार, 10 अगस्त 2007 ( 18:29 IST )
लंदन को नमस्ते कहने के बाद अब पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड की अदाकारा ऐश्वर्या राय न्यूयॉर्क आ रही हैं। यहाँ 15 अगस्त को उनकी मोम निर्मित प्रतिमा का अनावरण होगा।न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में मैडम तुसाद का संग्रहालय है। इसी संग्रहालय में ऐश्वर्या की मोम निर्मित प्रतिमा का 15 अगस्त को अनावरण किया जाएगा।भारत इस वर्ष 15 अगस्त पर अपनी आजादी की 60वीं सालगिरह मनाएगा। संग्रहालय के अधिकारियों के अनुसार ऐश्वर्या के प्रशंसकों के अनुरोध पर प्रतिमा का अनावरण 15 अगस्त को किया जाएगा। इस अवसर पर बॉलीवुड के कलाकार एक कार्यक्रम भी पेश करेंगे।लंदन स्थित मैडम तुसाद के संग्रहालय में भी ऐश्वर्या की मोम निर्मित प्रतिमा लगी है। इसका अनावरण 2004 में हुआ था। उस समय ऐश्वर्या की फिल्म ब्राइड एंड प्रिजुडिस रिलीज होने वाली थी।लंदन स्थित संग्रहालय से ऐश्वर्या की प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित संग्रहालय ने मँगवाई और उसके आधार पर छह सप्ताह में नई प्रतिमा तैयार कराई। मैडम तुसाद के संग्रहालय में अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत की भी मोम निर्मित प्रतिमाएँ हैं।अभिषेक बच्चन से विवाह कर चुकी ऐश्वर्या पहली भारतीय अभिनेत्री हैं, जिनकी प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित तुसाद संग्रहालय में लगेगी। अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद ऐश्वर्या प्रतिमा के अनावरण के लिए न्यूयॉर्क आ सकें।मैडम तुसाद के संग्रहालय लंदन, एम्स्टर्डम, लॉस वेगास, हांगकांग और शंघाई में भी हैं और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने लंदन में की थी।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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ताहिती के पास विमान समुद्र में गिरा
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एन्डेवर मिलेगा आईएसएस से
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मर्डोक की भारत में नए चैनल की योजना
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मुशर्रफ का आपातकाल लगाने से इनकार
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लालू ने हेमा से रोल माँगा
Welcome to Yahoo! Hindi: "लालू ने हेमा से रोल माँगा" लालू ने हेमा से रोल माँगा नई दिल्ली (भाषा), शुक्रवार, 10 अगस्त 2007 ( 17:57 IST ) बिहार में मुख्यमंत्री रहते प्रदेश की सड़कों को ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के गालों की तरह चिकना बना देने का कभी दावा करने वाले रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को उनसे फिल्म में अपने लिए रोल माँगा। संसद परिसर में उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के बाद हेमा मालिनी और लालू प्रसाद आपस में गपियाते हुए साथ साथ बाहर आए। बीच में दोनों खड़े होकर देर तक बात करते रहे। बात करने के बाद लालू आगे बढ़ गए तो हेमा ने फिर उनसे कुछ कहा और वह दोबारा उनके पास लौट आए। दोनों फिर देर तक आपस में बातें करते रहे और हँसते रहे। इस बीच मीडियाकर्मियों के बीच यह कौतुहल का विषय बन गया कि दोनों के बीच इतनी देर तक आखिर क्या बातचीत हो रही है। बातचीत के बाद संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि वे हेमा मालिनी से इतनी देर तक क्या गपियाते रहे तो लालू ने अपने चिर परिचित अंदाज में हँसते हुए कहा 'हेमा जी एक फिल्म बना रही हैं। हमने उनसे कहा कि उसमें हमें भी रोल दीजिएगा।' यह पूछे जाने पर कि फिल्म का नाम क्या है, उन्होंने कहा यह अभी गोपनीय है। (स्रोत - वेबदुनिया) http://www.svdeals.com/ super value deals
Wednesday, August 8, 2007
BBCHindi.com | विज्ञान | महत्वपूर्ण मानव जीवा�
BBCHindi.com विज्ञान महत्वपूर्ण मानव जीवा�
केन्या में दो ऐसे मानव जीवाश्म मिले हैं जिनसे मानवों के विकास की अब तक की स्थापित अवधारणा को चुनौती मिल सकती है.
विज्ञान पत्रिका नेचर में इन जीवाश्मों के बारे में कहा गया है कि ये ऊपरी जबड़े का हिस्सा और जुड़ा हुआ मस्तिष्क मानव जैसे प्राणियों के हैं.
पहले ऐसा माना जाता रहा है कि मानव का विकास होमो हैबिलिस ( मानव जैसा प्राणी) से होमो इरेक्टस ( दो पैरों पर चलने वाला) विकसित हुआ है जिससे आज का मानव बना है.
लेकिन नए जीवाश्मों से ऐसा लग रहा है कि होमो इरेक्टस और होमो हैबिलिस एक ही समय में थे जिससे साफ है कि होमो इरेक्टस का विकास होमो हैबिलिस से नहीं हुआ जो आम अवधारणा के बिल्कुल उलट है.
नए जीवाश्मों के अध्ययन से जुड़े कोबी फोरा रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रोफेसर मियाव लीकी का कहना है जबड़े का हिस्सा होमो हैबिलिस का लगता है जबकि मस्तिष्क होमो इरेक्टस का प्रतीत होता है लेकिन दोनों जीवाश्म एक ही समय के लगते हैं.
ये जीवाश्म केन्या के तुरकाना बेसिन क्षेत्र में पाए गए हैं जहां के बारे में कहा जाता है कि मानव की अत्यंत प्राचीन प्रजातियां रहती थीं.
नए जीवाश्मों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह साफ हो सकता है कि होमो सेपियन्स यानी आज के मानव होमो इरेक्टस से विकसित होकर बने हैं और ये होमो इरेक्टस किसी समय में होमो हैबिलिस के साथ रहते होंगे न कि होमो हैबिलिस से विकसित हुए हैं.
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केन्या में दो ऐसे मानव जीवाश्म मिले हैं जिनसे मानवों के विकास की अब तक की स्थापित अवधारणा को चुनौती मिल सकती है.
विज्ञान पत्रिका नेचर में इन जीवाश्मों के बारे में कहा गया है कि ये ऊपरी जबड़े का हिस्सा और जुड़ा हुआ मस्तिष्क मानव जैसे प्राणियों के हैं.
पहले ऐसा माना जाता रहा है कि मानव का विकास होमो हैबिलिस ( मानव जैसा प्राणी) से होमो इरेक्टस ( दो पैरों पर चलने वाला) विकसित हुआ है जिससे आज का मानव बना है.
लेकिन नए जीवाश्मों से ऐसा लग रहा है कि होमो इरेक्टस और होमो हैबिलिस एक ही समय में थे जिससे साफ है कि होमो इरेक्टस का विकास होमो हैबिलिस से नहीं हुआ जो आम अवधारणा के बिल्कुल उलट है.
नए जीवाश्मों के अध्ययन से जुड़े कोबी फोरा रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रोफेसर मियाव लीकी का कहना है जबड़े का हिस्सा होमो हैबिलिस का लगता है जबकि मस्तिष्क होमो इरेक्टस का प्रतीत होता है लेकिन दोनों जीवाश्म एक ही समय के लगते हैं.
ये जीवाश्म केन्या के तुरकाना बेसिन क्षेत्र में पाए गए हैं जहां के बारे में कहा जाता है कि मानव की अत्यंत प्राचीन प्रजातियां रहती थीं.
नए जीवाश्मों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह साफ हो सकता है कि होमो सेपियन्स यानी आज के मानव होमो इरेक्टस से विकसित होकर बने हैं और ये होमो इरेक्टस किसी समय में होमो हैबिलिस के साथ रहते होंगे न कि होमो हैबिलिस से विकसित हुए हैं.
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केन्या में दो ऐसे मानव जीवाश्म मिले हैं जिनसे मानवों के विकास की अब तक की स्थापित अवधारणा को चुनौती मिल सकती है.
विज्ञान पत्रिका नेचर में इन जीवाश्मों के बारे में कहा गया है कि ये ऊपरी जबड़े का हिस्सा और जुड़ा हुआ मस्तिष्क मानव जैसे प्राणियों के हैं.
पहले ऐसा माना जाता रहा है कि मानव का विकास होमो हैबिलिस ( मानव जैसा प्राणी) से होमो इरेक्टस ( दो पैरों पर चलने वाला) विकसित हुआ है जिससे आज का मानव बना है.
लेकिन नए जीवाश्मों से ऐसा लग रहा है कि होमो इरेक्टस और होमो हैबिलिस एक ही समय में थे जिससे साफ है कि होमो इरेक्टस का विकास होमो हैबिलिस से नहीं हुआ जो आम अवधारणा के बिल्कुल उलट है.
नए जीवाश्मों के अध्ययन से जुड़े कोबी फोरा रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रोफेसर मियाव लीकी का कहना है जबड़े का हिस्सा होमो हैबिलिस का लगता है जबकि मस्तिष्क होमो इरेक्टस का प्रतीत होता है लेकिन दोनों जीवाश्म एक ही समय के लगते हैं.
ये जीवाश्म केन्या के तुरकाना बेसिन क्षेत्र में पाए गए हैं जहां के बारे में कहा जाता है कि मानव की अत्यंत प्राचीन प्रजातियां रहती थीं.
नए जीवाश्मों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह साफ हो सकता है कि होमो सेपियन्स यानी आज के मानव होमो इरेक्टस से विकसित होकर बने हैं और ये होमो इरेक्टस किसी समय में होमो हैबिलिस के साथ रहते होंगे न कि होमो हैबिलिस से विकसित हुए हैं.
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केन्या में दो ऐसे मानव जीवाश्म मिले हैं जिनसे मानवों के विकास की अब तक की स्थापित अवधारणा को चुनौती मिल सकती है.
विज्ञान पत्रिका नेचर में इन जीवाश्मों के बारे में कहा गया है कि ये ऊपरी जबड़े का हिस्सा और जुड़ा हुआ मस्तिष्क मानव जैसे प्राणियों के हैं.
पहले ऐसा माना जाता रहा है कि मानव का विकास होमो हैबिलिस ( मानव जैसा प्राणी) से होमो इरेक्टस ( दो पैरों पर चलने वाला) विकसित हुआ है जिससे आज का मानव बना है.
लेकिन नए जीवाश्मों से ऐसा लग रहा है कि होमो इरेक्टस और होमो हैबिलिस एक ही समय में थे जिससे साफ है कि होमो इरेक्टस का विकास होमो हैबिलिस से नहीं हुआ जो आम अवधारणा के बिल्कुल उलट है.
नए जीवाश्मों के अध्ययन से जुड़े कोबी फोरा रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रोफेसर मियाव लीकी का कहना है जबड़े का हिस्सा होमो हैबिलिस का लगता है जबकि मस्तिष्क होमो इरेक्टस का प्रतीत होता है लेकिन दोनों जीवाश्म एक ही समय के लगते हैं.
ये जीवाश्म केन्या के तुरकाना बेसिन क्षेत्र में पाए गए हैं जहां के बारे में कहा जाता है कि मानव की अत्यंत प्राचीन प्रजातियां रहती थीं.
नए जीवाश्मों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह साफ हो सकता है कि होमो सेपियन्स यानी आज के मानव होमो इरेक्टस से विकसित होकर बने हैं और ये होमो इरेक्टस किसी समय में होमो हैबिलिस के साथ रहते होंगे न कि होमो हैबिलिस से विकसित हुए हैं.
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Monday, August 6, 2007
वास्तुपुरुष
Welcome to Yahoo! Hindi: "वास्तुपुरुष"
वास्तुपुरुष
- सुधीर पिम्पले
AP
श्री सुधीर पिम्पले महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित 'वास्तु विशेषज्ञ' हैं। उन्होंने भावातीत ध्यान के साथ वेद, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, फेंगशुई, भवन नियोजन एवं निर्माण, इंटीरियर डिजाइनिंग का गहन अध्ययन किया है। प्रकाशित पुस्तक- स्थापत्य वेद।'वास्तुपुरुष' ब्रह्मदेवता द्वारा दिया हुआ नाम है। निवास-स्थान के पालनकर्ता के रूप में वास्तुपुरुष की कल्पना की गई है। भूमि-पूजन करते समय, मुख्य द्वार लगाते समय, गृह प्रवेश के समय वास्तुपुरुष की शांति एवं पूजा-अर्चना की जाती है। प्राचीन ग्रंथों में वास्तुपुरुष की उत्पत्ति के संबंध में अनेक दंत कथाएँ वर्णित हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार है -1. त्रेतायुग में अचानक एक महाभूत निर्मित हुआ, उसने सभी निवासियों को कष्ट देना प्रारंभ कर दिया। यह देखकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मा के पास उसे शांत करने का उपाय जानने गए। ब्रह्मा ने बताया कि उस राक्षस को धरती पर उलटा लिटा देना चाहिए। बड़े प्रयासों से देवताओं ने उस राक्षस को धरती पर गिराया और उसके प्रत्येक अंग पर प्रत्येक देवता ने अपना स्थान बना लिया। तब वह राक्षस व्याकुल होकर ब्रह्मा की शरण में आया और कहने लगा, हे प्रभु! अब मेरा आहार क्या होगा? तब ब्रह्मा ने बताया कि जो भी व्यक्ति भवन या कोई अन्य स्थापत्य खड़ा करेगा, उसके पहले तुम्हारे लिए हवन-पूजन करेगा। उसी में समर्पित सामग्री का तुम भक्षण करना। जो तुम्हें हवन समर्पित न करे, उसकी वास्तु का तुम भक्षण करना। बस तभी से वास्तुशांति प्रचलित हुई।2. प्राचीन काल में अंधवध के समय शिवजी के शरीर से जो पसीने की बूँदें पृथ्वी पर गिरीं, उनसे एक भीषण और विकराल प्राणी की उत्पत्ति हुई। वह पृथ्वी पर गिरने वाली प्रत्येक रक्त की बूँदों को पीने लगा। जब धरती पर एक भी बूँद रक्त न बचा, तो वह शिवजी की तपस्या करने लगा। शिवजी को प्रसन्न कर वर के रूप में उसने तीनों लोकों को ग्रस लेने की शक्ति प्राप्त कर ली। तब भयभीत हुए देवताओं ने उस राक्षस को स्तम्भित कर दिया और उस समय जिसने जिस अंग पर कब्जा कर रखा था, वहीं अपना निवास स्थान बना लिया। अब उस दबे हुए प्राणी ने पुनः शिवजी से प्रार्थना की कि इस प्रकार तो मैं भूखा ही मर जाऊँगा। मेरी क्षुधा शांत करने का कोई उपाय बताइए। तब शिवजी ने उसे वास्तुशांति के समय चढ़ाई जाने वाली सामग्री भक्षण करने के लिए कहा; और बताया कि जो वास्तुपूजा नहीं करेंगे, वे भी तुम्हारे आहार होंगे। यही प्राणी वास्तुदेवता या वास्तुपुरुष कहलाया और तभी से वास्तुयज्ञ प्रारंभ हुआ।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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वास्तुपुरुष
- सुधीर पिम्पले
AP
श्री सुधीर पिम्पले महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित 'वास्तु विशेषज्ञ' हैं। उन्होंने भावातीत ध्यान के साथ वेद, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, फेंगशुई, भवन नियोजन एवं निर्माण, इंटीरियर डिजाइनिंग का गहन अध्ययन किया है। प्रकाशित पुस्तक- स्थापत्य वेद।'वास्तुपुरुष' ब्रह्मदेवता द्वारा दिया हुआ नाम है। निवास-स्थान के पालनकर्ता के रूप में वास्तुपुरुष की कल्पना की गई है। भूमि-पूजन करते समय, मुख्य द्वार लगाते समय, गृह प्रवेश के समय वास्तुपुरुष की शांति एवं पूजा-अर्चना की जाती है। प्राचीन ग्रंथों में वास्तुपुरुष की उत्पत्ति के संबंध में अनेक दंत कथाएँ वर्णित हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार है -1. त्रेतायुग में अचानक एक महाभूत निर्मित हुआ, उसने सभी निवासियों को कष्ट देना प्रारंभ कर दिया। यह देखकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मा के पास उसे शांत करने का उपाय जानने गए। ब्रह्मा ने बताया कि उस राक्षस को धरती पर उलटा लिटा देना चाहिए। बड़े प्रयासों से देवताओं ने उस राक्षस को धरती पर गिराया और उसके प्रत्येक अंग पर प्रत्येक देवता ने अपना स्थान बना लिया। तब वह राक्षस व्याकुल होकर ब्रह्मा की शरण में आया और कहने लगा, हे प्रभु! अब मेरा आहार क्या होगा? तब ब्रह्मा ने बताया कि जो भी व्यक्ति भवन या कोई अन्य स्थापत्य खड़ा करेगा, उसके पहले तुम्हारे लिए हवन-पूजन करेगा। उसी में समर्पित सामग्री का तुम भक्षण करना। जो तुम्हें हवन समर्पित न करे, उसकी वास्तु का तुम भक्षण करना। बस तभी से वास्तुशांति प्रचलित हुई।2. प्राचीन काल में अंधवध के समय शिवजी के शरीर से जो पसीने की बूँदें पृथ्वी पर गिरीं, उनसे एक भीषण और विकराल प्राणी की उत्पत्ति हुई। वह पृथ्वी पर गिरने वाली प्रत्येक रक्त की बूँदों को पीने लगा। जब धरती पर एक भी बूँद रक्त न बचा, तो वह शिवजी की तपस्या करने लगा। शिवजी को प्रसन्न कर वर के रूप में उसने तीनों लोकों को ग्रस लेने की शक्ति प्राप्त कर ली। तब भयभीत हुए देवताओं ने उस राक्षस को स्तम्भित कर दिया और उस समय जिसने जिस अंग पर कब्जा कर रखा था, वहीं अपना निवास स्थान बना लिया। अब उस दबे हुए प्राणी ने पुनः शिवजी से प्रार्थना की कि इस प्रकार तो मैं भूखा ही मर जाऊँगा। मेरी क्षुधा शांत करने का कोई उपाय बताइए। तब शिवजी ने उसे वास्तुशांति के समय चढ़ाई जाने वाली सामग्री भक्षण करने के लिए कहा; और बताया कि जो वास्तुपूजा नहीं करेंगे, वे भी तुम्हारे आहार होंगे। यही प्राणी वास्तुदेवता या वास्तुपुरुष कहलाया और तभी से वास्तुयज्ञ प्रारंभ हुआ।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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Friday, August 3, 2007
BBCHindi.com | विश्व समाचार | आसमान से बरसे 'नोट
BBCHindi.com विश्व समाचार आसमान से बरसे 'नोट
आसमान से बरसे 'नोट' पुलिस को लौटाए
यह वही इमारत है जिसके ऊपर से येन बरसे थे
जापान में पिछले दिनों 'धन वर्षा' की अजीब घटना हुई और इससे भी हैरत की बात ये रही कि इन नोटों को पाने वाले अधिकतर लोगों ने इन्हें अपनी जेबों में नहीं ठूँसा.
वैसे यह सवाल दुनिया के किसी भी देश के लिए हो सकता है कि अगर किसी को 10000 येन यानी 80 डॉलर लिफ़ाफ़े में रखे मिलें तो वह उनका क्या करेगा.
तमाम मुल्क़ों में इसके जवाब भी अलग-अलग होंगे, लेकिन अगर आप जापान में रहते हैं तो जवाब होगा कि आप इसे नजदीकी पुलिस थाने में जमा करा देंगे.
रहस्यमयी लिफ़ाफ़ा
दरअसल, पिछले कुछ हफ़्तों में जापान में स्थानीय निकाय परिषद के भवनों में पुरुष शौचालयों में 400 से अधिक ऐसे लिफ़ाफ़े मिले, जिनमें से प्रत्येक में 10000 येन रखे थे.
लिफ़ाफ़े में येन के साथ संदेश भी था कि इसे 'आध्यात्मिक ज्ञान' के लिए ख़र्च किया जा सकता है.
धन बरसने का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा, और पिछले कुछ दिनों में टोक्यो बिल्डिंग के 18 निवासियों को अपने मेलबॉक्स में कुल 18 लाख़ 10 हज़ार येन की राशि मिली.
लेकिन इस बार इन लिफ़ाफ़ों में धन के उपयोग के लिए किसी तरह का संदेश नहीं छोड़ा गया था.
धन वर्षा
इस इमारत से कुछ ही दूरी पर पिछले हफ़्ते अचानक आसमान से धन बरसने लगा और लगभग 10 लाख़ येन की बारिश हुई.
लोग हैरान हैं कि आखिर इन सब घटनाओं के पीछे कौन है
इन सभी घटनाओं में ख़ास बात ये रही कि जिन भी भाग्यशाली लोगों को ये धन मिला, वे खुश होने के बजाय 'परेशान' हो गए.
अधिकतर मामलों में इस 'लावारिस धन' को पुलिस को सौंप दिया गया.
मेल बॉक्स के ज़रिये 'रहस्यमयी धन' प्राप्त करने वाले अधिकतर लोगों ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया.
इसी इमारत में रहने वाली एक महिला ने कहा, "मुझे नहीं पता ये सब किसने किया."
आशंका
कुछ लोग इस बात से भी आशंकित रहे कि ये धन 'फ़र्जी' भी हो सकता है. जापानी लोग निजता पसंद करते हैं और इस तरह रहस्यमयी धन मिलने से उनमें घबराहट है.
कुछ लोगों को डर है कि यह धन लूट या किसी आपराधिक घटना का हिस्सा हो सकता है. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें धन के जाली होने पर शक नहीं है.
एक टैक्सी ड्राइवर का कहना है, "मैं नहीं समझता कि किसी अपराधी ने धन इस तरह लुटाया होगा. अपराधी 'धन' को हमेशा अपने पास रखेगा. हाँ अगर तुम्हारे पास अधिक धन है तो आप उसे दान कर सकते हैं."
आसमान से हुई नोटों की इस बारिश को लेकर तमाम कहानियाँ सामने आ रही हैं.
इन घटनाओं का सच कुछ भी हो, लेकिन जापानियों की ईमानदारी किसी भी देश के लिए मिसाल बन सकती है.
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आसमान से बरसे 'नोट' पुलिस को लौटाए
यह वही इमारत है जिसके ऊपर से येन बरसे थे
जापान में पिछले दिनों 'धन वर्षा' की अजीब घटना हुई और इससे भी हैरत की बात ये रही कि इन नोटों को पाने वाले अधिकतर लोगों ने इन्हें अपनी जेबों में नहीं ठूँसा.
वैसे यह सवाल दुनिया के किसी भी देश के लिए हो सकता है कि अगर किसी को 10000 येन यानी 80 डॉलर लिफ़ाफ़े में रखे मिलें तो वह उनका क्या करेगा.
तमाम मुल्क़ों में इसके जवाब भी अलग-अलग होंगे, लेकिन अगर आप जापान में रहते हैं तो जवाब होगा कि आप इसे नजदीकी पुलिस थाने में जमा करा देंगे.
रहस्यमयी लिफ़ाफ़ा
दरअसल, पिछले कुछ हफ़्तों में जापान में स्थानीय निकाय परिषद के भवनों में पुरुष शौचालयों में 400 से अधिक ऐसे लिफ़ाफ़े मिले, जिनमें से प्रत्येक में 10000 येन रखे थे.
लिफ़ाफ़े में येन के साथ संदेश भी था कि इसे 'आध्यात्मिक ज्ञान' के लिए ख़र्च किया जा सकता है.
धन बरसने का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा, और पिछले कुछ दिनों में टोक्यो बिल्डिंग के 18 निवासियों को अपने मेलबॉक्स में कुल 18 लाख़ 10 हज़ार येन की राशि मिली.
लेकिन इस बार इन लिफ़ाफ़ों में धन के उपयोग के लिए किसी तरह का संदेश नहीं छोड़ा गया था.
धन वर्षा
इस इमारत से कुछ ही दूरी पर पिछले हफ़्ते अचानक आसमान से धन बरसने लगा और लगभग 10 लाख़ येन की बारिश हुई.
लोग हैरान हैं कि आखिर इन सब घटनाओं के पीछे कौन है
इन सभी घटनाओं में ख़ास बात ये रही कि जिन भी भाग्यशाली लोगों को ये धन मिला, वे खुश होने के बजाय 'परेशान' हो गए.
अधिकतर मामलों में इस 'लावारिस धन' को पुलिस को सौंप दिया गया.
मेल बॉक्स के ज़रिये 'रहस्यमयी धन' प्राप्त करने वाले अधिकतर लोगों ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया.
इसी इमारत में रहने वाली एक महिला ने कहा, "मुझे नहीं पता ये सब किसने किया."
आशंका
कुछ लोग इस बात से भी आशंकित रहे कि ये धन 'फ़र्जी' भी हो सकता है. जापानी लोग निजता पसंद करते हैं और इस तरह रहस्यमयी धन मिलने से उनमें घबराहट है.
कुछ लोगों को डर है कि यह धन लूट या किसी आपराधिक घटना का हिस्सा हो सकता है. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें धन के जाली होने पर शक नहीं है.
एक टैक्सी ड्राइवर का कहना है, "मैं नहीं समझता कि किसी अपराधी ने धन इस तरह लुटाया होगा. अपराधी 'धन' को हमेशा अपने पास रखेगा. हाँ अगर तुम्हारे पास अधिक धन है तो आप उसे दान कर सकते हैं."
आसमान से हुई नोटों की इस बारिश को लेकर तमाम कहानियाँ सामने आ रही हैं.
इन घटनाओं का सच कुछ भी हो, लेकिन जापानियों की ईमानदारी किसी भी देश के लिए मिसाल बन सकती है.
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Tuesday, July 31, 2007
सुष्मिता बनी दुर्गा"
Welcome to Yahoo! Hindi: "सुष्मिता बनी दुर्गा"
सुष्मिता बनी दुर्गा
रमेश सिप्पी की फिल्म में जया बच्चन ने जो भूमिका निभाई थी, वहीं भूमिका सुष्मिता सेन रामगोपाल वर्मा की फिल्म में निभा रही है। जया राधा बनी थी तो सुष्मिता दुर्गा बनी है। सुष्मिता के मुताबिक यह उसके द्वारा अभिनीत की गई श्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक हैं। इतना खामोश किरदार उसने पहली बार निभाया है। इस फिल्म में उसके ज्यादातर दृश्य मलयालम फिल्म के सुपरस्टार मोहनलाल के साथ हैं। मोहनलाल के साथ काम करना उसके लिए यादगार अनुभव रहा है। इस फिल्म में उसके नायक बने प्रशांत राज की तारीफ करती हुई सुष्मिता कहती है कि कई दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद उसने अपना काम बेहतर तरीके से किया है। ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ से सुष्मिता को बेहद आशाएँ हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
‘कैश’ होगी हिट?
•
फास्ट फॉरवर्ड
•
देवआनंद की ‘चार्जशीट’
•
तीन अगस्त को तीन फिल्में
•
तनावग्रस्त संजय दत्त
•
सनी का ‘काफिला’ पाकिस्तान में भी
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सुष्मिता बनी दुर्गा
रमेश सिप्पी की फिल्म में जया बच्चन ने जो भूमिका निभाई थी, वहीं भूमिका सुष्मिता सेन रामगोपाल वर्मा की फिल्म में निभा रही है। जया राधा बनी थी तो सुष्मिता दुर्गा बनी है। सुष्मिता के मुताबिक यह उसके द्वारा अभिनीत की गई श्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक हैं। इतना खामोश किरदार उसने पहली बार निभाया है। इस फिल्म में उसके ज्यादातर दृश्य मलयालम फिल्म के सुपरस्टार मोहनलाल के साथ हैं। मोहनलाल के साथ काम करना उसके लिए यादगार अनुभव रहा है। इस फिल्म में उसके नायक बने प्रशांत राज की तारीफ करती हुई सुष्मिता कहती है कि कई दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद उसने अपना काम बेहतर तरीके से किया है। ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ से सुष्मिता को बेहद आशाएँ हैं।
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Tuesday, July 17, 2007
'चश्माचोर' बंदर की तलाश में जुटी पुलिस
BBCHindi.com भारत और पड़ोस 'चश्माचोर' बंदर क�
भारत की विश्वप्रसिद्ध धर्मनगरी वाराणसी में पुलिस इन दिनों एक शरारती बंदर की तलाश में जुटी है जो एक विदेशी पर्यटक का चश्मा लेकर चंपत हो गया है.
वाराणसी घूमने आए दक्षिण कोरियाई पर्यटक किम दांग हून ने चश्मा चुराने वाले इस बंदर के ख़िलाफ़ बाक़ायदा पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है.
पुलिस ने बताया कि यह बंदर किम के होटल के कमरे में घुस आया और वहाँ रखा महँगा नज़र का चश्मा लेकर फ़रार हो गया.
मंदिरों और घाटों के लिए मशहूर वाराणसी में बंदरों की भरमार है. हिंदू बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं.
यहीं ऐतिहासिक संकट मोचन मंदिर और इसमें रखी भगवान हनुमान की मूर्ति को बाबा संकटमोचन कहा जाता है.
पुलिस की परेशानी
वाराणसी के पुलिस निरीक्षक गोविंद सिंह ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, " वैसे तो बंदर का पता लगाना बहुत मुश्किल है, फिर भी मैं उसे ढूँढने की हरसंभव कोशिश कर रहा हूँ."
बंदर
अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है
वाराणसी पुलिस
किम ने अपनी लिखित शिकायत में कहा है कि उसने ताज़ा हवा के लिए होटल के अपने कमरे की खिड़की खोली थी और तभी बंदर चश्मा लेकर चंपत हो गया.
किम का कहना है कि उसने पुलिस में शिकायत इसलिए दर्ज कराई है ताकि उसे इस चश्मे का बीमा मिल सके.
कुछ ख़बरों के अनुसार इस चश्मे की कीमत सौ अमरीकी डॉलर बताई गई है.
वैसे इस बात की उम्मीद बहुत कम ही है कि हज़ारों बंदरों के बीच पुलिस इस 'अभियुक्त' बंदर को ढूंढ निकालने में कामयाब हो सकेगी.
समस्या
समस्या यहीं ख़त्म नहीं होती और पुलिस का कहना है कि अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है."
उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी दिल्ली समेत कई अन्य शहरों में भी बंदरों के उत्पात से लोग परेशान हैं.
पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में नागरिक प्रशासन को महत्वपूर्ण इमारतों को बंदरों से मुक्त कराने को कहा था.
यही वजह है कि शहर के कई सरकारी और निजी कार्यालय इन शरारती बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की सेवाएं लेने को मज़बूर हैं.
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भारत की विश्वप्रसिद्ध धर्मनगरी वाराणसी में पुलिस इन दिनों एक शरारती बंदर की तलाश में जुटी है जो एक विदेशी पर्यटक का चश्मा लेकर चंपत हो गया है.
वाराणसी घूमने आए दक्षिण कोरियाई पर्यटक किम दांग हून ने चश्मा चुराने वाले इस बंदर के ख़िलाफ़ बाक़ायदा पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है.
पुलिस ने बताया कि यह बंदर किम के होटल के कमरे में घुस आया और वहाँ रखा महँगा नज़र का चश्मा लेकर फ़रार हो गया.
मंदिरों और घाटों के लिए मशहूर वाराणसी में बंदरों की भरमार है. हिंदू बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं.
यहीं ऐतिहासिक संकट मोचन मंदिर और इसमें रखी भगवान हनुमान की मूर्ति को बाबा संकटमोचन कहा जाता है.
पुलिस की परेशानी
वाराणसी के पुलिस निरीक्षक गोविंद सिंह ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, " वैसे तो बंदर का पता लगाना बहुत मुश्किल है, फिर भी मैं उसे ढूँढने की हरसंभव कोशिश कर रहा हूँ."
बंदर
अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है
वाराणसी पुलिस
किम ने अपनी लिखित शिकायत में कहा है कि उसने ताज़ा हवा के लिए होटल के अपने कमरे की खिड़की खोली थी और तभी बंदर चश्मा लेकर चंपत हो गया.
किम का कहना है कि उसने पुलिस में शिकायत इसलिए दर्ज कराई है ताकि उसे इस चश्मे का बीमा मिल सके.
कुछ ख़बरों के अनुसार इस चश्मे की कीमत सौ अमरीकी डॉलर बताई गई है.
वैसे इस बात की उम्मीद बहुत कम ही है कि हज़ारों बंदरों के बीच पुलिस इस 'अभियुक्त' बंदर को ढूंढ निकालने में कामयाब हो सकेगी.
समस्या
समस्या यहीं ख़त्म नहीं होती और पुलिस का कहना है कि अगर बंदर को पकड़ने में कामयाबी मिल भी जाती है तो समस्या यह है कि बंदर के ख़िलाफ़ क्या क़ानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि देश में बंदर पर चोरी का इल्जाम लगाने का फिलहाल तो कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है."
उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी दिल्ली समेत कई अन्य शहरों में भी बंदरों के उत्पात से लोग परेशान हैं.
पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में नागरिक प्रशासन को महत्वपूर्ण इमारतों को बंदरों से मुक्त कराने को कहा था.
यही वजह है कि शहर के कई सरकारी और निजी कार्यालय इन शरारती बंदरों को भगाने के लिए लंगूर की सेवाएं लेने को मज़बूर हैं.
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Monday, July 16, 2007
BBCHindi.com | विश्व समाचार | शंभू को मारने के फ�
BBCHindi.com विश्व समाचार शंभू को मारने के फ�: "शंभू को मारने के फ़ैसले पर रोक लगी"
शंभू को मामूली पालतू जानवरों से अलग मानने की दलील दी गई थी
एक हिंदू मंदिर में रहने वाले बैल शंभू को मार डालने के सरकारी आदेश को वेल्स की हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
कुछ महीने पहले स्वास्थ्य जाँच के दौरान पाया गया था कि शंभू टीबी ग्रस्त है जिसके बाद वेल्स सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए उसे मार देने का आदेश दिया था.
मंदिर के पुजारियों ने सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अदालत में अपील की थी.
मंदिर के वकीलों की दलील थी कि यह मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है जबकि सरकार का कहना था कि बीमारी को फैलने से रोकना ज़रूरी है.
वेल्स सरकार ने कहा है कि वे फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे.
मंदिर के वकील ने दलील दी थी कि शंभू से धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं इसलिए उस पर सामान्य पालतू जानवरों के लिए बनाए गए नियम लागू नहीं किए जाने चाहिए.
मंदिर के वकील का कहना था कि अगर शंभू को मार डाला गया तो स्कंदवेल मंदिर से जुड़े हिंदुओं और बौद्धों की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी.
सरकारी वकील का कहना था कि टीबी एक संक्रामक रोग है और शंभू से यह बीमारी वेल्स के मवेशियों, यहाँ तक कि इंसानों में भी फैल सकती है इसलिए उसे मारे जाने का फ़ैसला सही है.
वेल्स के किसानों ने अदालत के इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे रोग निरोधक कार्यक्रम को धक्का पहुँचा है.
सरकारी वकील का कहना था कि फ़ैसला बहुत गंभीर विचार-विमर्श के बाद किया गया था.
छह वर्ष के बैल शंभू को मारने का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था, इंटरनेट पर 20 हज़ार से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लेकर शंभू को बचाने की गुहार लगाई थी.
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शंभू को मामूली पालतू जानवरों से अलग मानने की दलील दी गई थी
एक हिंदू मंदिर में रहने वाले बैल शंभू को मार डालने के सरकारी आदेश को वेल्स की हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
कुछ महीने पहले स्वास्थ्य जाँच के दौरान पाया गया था कि शंभू टीबी ग्रस्त है जिसके बाद वेल्स सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए उसे मार देने का आदेश दिया था.
मंदिर के पुजारियों ने सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अदालत में अपील की थी.
मंदिर के वकीलों की दलील थी कि यह मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है जबकि सरकार का कहना था कि बीमारी को फैलने से रोकना ज़रूरी है.
वेल्स सरकार ने कहा है कि वे फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे.
मंदिर के वकील ने दलील दी थी कि शंभू से धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं इसलिए उस पर सामान्य पालतू जानवरों के लिए बनाए गए नियम लागू नहीं किए जाने चाहिए.
मंदिर के वकील का कहना था कि अगर शंभू को मार डाला गया तो स्कंदवेल मंदिर से जुड़े हिंदुओं और बौद्धों की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी.
सरकारी वकील का कहना था कि टीबी एक संक्रामक रोग है और शंभू से यह बीमारी वेल्स के मवेशियों, यहाँ तक कि इंसानों में भी फैल सकती है इसलिए उसे मारे जाने का फ़ैसला सही है.
वेल्स के किसानों ने अदालत के इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे रोग निरोधक कार्यक्रम को धक्का पहुँचा है.
सरकारी वकील का कहना था कि फ़ैसला बहुत गंभीर विचार-विमर्श के बाद किया गया था.
छह वर्ष के बैल शंभू को मारने का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था, इंटरनेट पर 20 हज़ार से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लेकर शंभू को बचाने की गुहार लगाई थी.
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नकाब : अतीत में छुपे राज
नकाब : अतीत में छुपे राज
- समय ताम्रकर
निर्माता : कुमार एस तौरानी, रमेश एस तौरानी निर्देशक : अब्बास-मस्तान संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती कलाकार : बॉबी देओल, अक्षय खन्ना, उर्वशी शर्मा रहस्य और रोमांच के आवरण में लिपटी कथा पर फिल्म बनाने का अब्बास-मस्तान का अपना अलग ही अंदाज है। उनके द्वारा निर्देशित कई फिल्में हिट रही है जो इस बात का सबूत है कि वे जनता की पसंद को अच्छी तरह जानते हैं। बॉबी और अक्षय खन्ना को लेकर इन्होंने ‘हमराज’ बनाई थी। इन्हीं कलाकारों को लेकर उन्होंने ‘नकाब’ बनाई है। करण खन्ना (बॉबी देओल) एक बहुत ही अमीर व्यक्ति है। उसका एक मध्यमवर्गीय लड़की सोफी (उर्वशी शर्मा) से लिव इन रिलेशनशिप का रिश्ता है। विकी मल्होत्रा (अक्षय खन्ना) एक सफल अभिनेता बनने की कोशिश में है। सोफी की मुलाकात विकी से होती है। विकी से मिलने के बाद सोफी को अहसास होता है कि सच्चा प्यार किसे कहते हैं। सोफी न चाहते हुए भी विकी की तरफ खिंची चली जाती है। इन तीनों चरित्रों के अतीत में कुछ राज छिपे हुए हैं। जब ये राज सामने आने लगते हैं तब क्या होता है? उर्वशी करण और विकी में से किसे चुनेंगी? जैसे सवालों के जवाब मिलेंगे ‘नकाब’ में।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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Welcome to Yahoo! Hindi: "नकाब : अतीत में छुपे राज"
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- समय ताम्रकर
निर्माता : कुमार एस तौरानी, रमेश एस तौरानी निर्देशक : अब्बास-मस्तान संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती कलाकार : बॉबी देओल, अक्षय खन्ना, उर्वशी शर्मा रहस्य और रोमांच के आवरण में लिपटी कथा पर फिल्म बनाने का अब्बास-मस्तान का अपना अलग ही अंदाज है। उनके द्वारा निर्देशित कई फिल्में हिट रही है जो इस बात का सबूत है कि वे जनता की पसंद को अच्छी तरह जानते हैं। बॉबी और अक्षय खन्ना को लेकर इन्होंने ‘हमराज’ बनाई थी। इन्हीं कलाकारों को लेकर उन्होंने ‘नकाब’ बनाई है। करण खन्ना (बॉबी देओल) एक बहुत ही अमीर व्यक्ति है। उसका एक मध्यमवर्गीय लड़की सोफी (उर्वशी शर्मा) से लिव इन रिलेशनशिप का रिश्ता है। विकी मल्होत्रा (अक्षय खन्ना) एक सफल अभिनेता बनने की कोशिश में है। सोफी की मुलाकात विकी से होती है। विकी से मिलने के बाद सोफी को अहसास होता है कि सच्चा प्यार किसे कहते हैं। सोफी न चाहते हुए भी विकी की तरफ खिंची चली जाती है। इन तीनों चरित्रों के अतीत में कुछ राज छिपे हुए हैं। जब ये राज सामने आने लगते हैं तब क्या होता है? उर्वशी करण और विकी में से किसे चुनेंगी? जैसे सवालों के जवाब मिलेंगे ‘नकाब’ में।
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सफल अभिनेत्री तब्बू
- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
कला जगत की सहनायिका 'सोनाली'
•
माता अमृतानंदमयी
•
दो सितारों के ग्रहों की समानता
•
परेश रावल श्रेष्ठतम कलाकार
•
भाग्यशाली रहेंगी रानी
•
संजय दत्त- उतार-चढ़ाव का योग
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- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
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कला जगत की सहनायिका 'सोनाली'
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माता अमृतानंदमयी
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दो सितारों के ग्रहों की समानता
•
परेश रावल श्रेष्ठतम कलाकार
•
भाग्यशाली रहेंगी रानी
•
संजय दत्त- उतार-चढ़ाव का योग
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Welcome to Yahoo! Hindi: "सानिया : 38वें स्थान पर बरकरार"
सानिया : 38वें स्थान पर बरकरार
नई दिल्ली (भाषा), सोमवार, 16 जुलाई 2007 ( 17:24 IST )
भारतीय स्टार सानिया मिर्जा डब्ल्यूटीए एकल और युगल रैंकिंग में 38वें स्थान पर बरकरार है। पिछले हफ्ते फेडरेशन कप के सेमीफाइनल के कारण कोई भी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हुआ इससे रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ। सानिया अब टीयर तीन के एक लाख 75 हजार इनामी राशि के सिनसिनाटी ओपन में खेलेंगी जो सोमवार से ही शुरू होगा। इसमें रूस की अन्ना चाकवेत्द्जे और स्विटजरलैंड की पैटी श्नाइडर भी भाग लेंगी। ईशा लखानी थाईलैंड में हुए आईटीएफ टूर्नामेंट के फाइनल में हार गई थी। वह 492वीं रैंकिंग पर काबिज है। विम्बलडन के सेमीफाइनल में फ्रांस की मारियन बार्तोली से हारकर ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट से बाहर होने के बावजूद बेल्जियम की जस्टिन हेनिन शीर्ष पर काबिज हैं। रूसी स्टार मारिया शारापोवा दूसरे स्थान पर बरकरार हैं। अपना विम्बलडन खिताब जीतने वाली वीनस विलियम्स ने मारिया को हराया था। सर्बिया की येलेना यांकोविच तीसरे स्थान पर बरकरार है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
थियरे हेनरी ने पत्नी से तलाक लिया
•
ब्राजील ने जीता कोपा अमेरिका खिताब
•
तेंडुलकर के निशाने पर होंगे कई रिकॉर्ड
•
बोपन्ना-क्यूवास की जोड़ी आखिरी चुनौती में हारी
•
लासन पाकिस्तान क्रिकेट कोच बने
•
हम्पी ने कोपथिंग ओपन जीती
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सानिया : 38वें स्थान पर बरकरार
नई दिल्ली (भाषा), सोमवार, 16 जुलाई 2007 ( 17:24 IST )
भारतीय स्टार सानिया मिर्जा डब्ल्यूटीए एकल और युगल रैंकिंग में 38वें स्थान पर बरकरार है। पिछले हफ्ते फेडरेशन कप के सेमीफाइनल के कारण कोई भी डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हुआ इससे रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ। सानिया अब टीयर तीन के एक लाख 75 हजार इनामी राशि के सिनसिनाटी ओपन में खेलेंगी जो सोमवार से ही शुरू होगा। इसमें रूस की अन्ना चाकवेत्द्जे और स्विटजरलैंड की पैटी श्नाइडर भी भाग लेंगी। ईशा लखानी थाईलैंड में हुए आईटीएफ टूर्नामेंट के फाइनल में हार गई थी। वह 492वीं रैंकिंग पर काबिज है। विम्बलडन के सेमीफाइनल में फ्रांस की मारियन बार्तोली से हारकर ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट से बाहर होने के बावजूद बेल्जियम की जस्टिन हेनिन शीर्ष पर काबिज हैं। रूसी स्टार मारिया शारापोवा दूसरे स्थान पर बरकरार हैं। अपना विम्बलडन खिताब जीतने वाली वीनस विलियम्स ने मारिया को हराया था। सर्बिया की येलेना यांकोविच तीसरे स्थान पर बरकरार है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
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थियरे हेनरी ने पत्नी से तलाक लिया
•
ब्राजील ने जीता कोपा अमेरिका खिताब
•
तेंडुलकर के निशाने पर होंगे कई रिकॉर्ड
•
बोपन्ना-क्यूवास की जोड़ी आखिरी चुनौती में हारी
•
लासन पाकिस्तान क्रिकेट कोच बने
•
हम्पी ने कोपथिंग ओपन जीती
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Monday, July 2, 2007
BBCHindi.com | ओम पुरी और नसीर के साथ गपशप
BBCHindi.com पत्रिका ओम पुरी और नसीर के साथ ग
ऐसी शामें बहुत कम होती हैं. नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के लाखों-लाख प्रशंसकों में से चंद लोगों की मानो लॉटरी निकल आई हो.
ओम पुरी और नसीर को तसल्ली से एक मंच पर बैठकर हँस-हँसकर एक दूसरे की टाँग खींचते, पुराने दिनों को याद करते, भारतीय सिनेमा की दशा-दुर्दशा पर कभी तल्ख़ और कभी संजीदा बहस करते सुनना एक कमाल का अनुभव था.
भारतीय सिनेमा के निर्विवाद रूप से दो सबसे बड़े अभिनेताओं की सार्थक गपशप में शामिल होने अवसर उपलब्ध कराया इंडिया-ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव के परवेज़ आलम ने.
पूरी चर्चा में नसीर की तेज़ी-तुर्शी दिख रही थी तो ओम पुरी अपने विनम्र, धीर-गंभीर अंदाज़ में थे लेकिन दोनों की आपसी समझदारी और दोस्ती इस बातचीत को और दिलचस्प बना रही थी. लंदन के नेहरू सेंटर में अंगरेज़ी, हिंदी और ढेर सारे ठहाकों के साथ हुई गपशप पूरी तरह सहज और अनौपचारिक थी.
'लाइफ़ एंड टाइम इन इंडिया सिनेमा' नाम का यह आयोजन दो बेहतरीन अभिनेताओं के तीन दशकों के अभिनय के सफ़र को बातों-बातों में दिलचस्प तरीक़े से समेट लेने का एक अनूठा प्रयास था, इसकी कामयाबी की तस्दीक हर मिनट पर तालियों की गूंज और ठहाके कर रहे थे.
'बवंडर' और 'प्रोवोक्ड' जैसी चर्चित फ़िल्मों का निर्देशन करने वाले जगमोहन मुंदरा की आने वाली फ़िल्म 'शूट एट साइट' की शूटिंग करने लंदन आए दोनों अभिनेताओं के बीच बैठकर जाने-माने प्रसारक परवेज़ आलम ने गपशप को जीवंत बनाए रखा.
लगभग डेढ़ घंटा चली बातचीत को वे बड़ी सफ़ाई से अलग-अलग गलियों में घुमाते रहे कभी उनका बचपन, कभी शुरूआती करियर, कभी कुछ और. बाद में कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दोनों अभिनेताओं ने दिए.
समानता और अंतर
दोनों अभिनेताओं ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और उसके बाद फ़िल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से अभिनय का कोर्स किया, दोनों ने लगभग एक साथ 1975-76 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत की, दोनों ने पहले श्याम बेनेगल और गोविंद निहलाणी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया और बाद में दोनों व्यावसायिक सिनेमा में भी लगातार सक्रिय रहे.
दोनों अभिनेताओं की आपसी समझ और दोस्ती साफ़ झलक रही थी
नसीर-"कई बार लोग मुझे कहते हैं ओम पुरी जी क्या हाल है, ओम से कहते हैं हैलो नसीरुद्दीन शाह."
ओम पुरी-"हमारा बचपन बहुत अलग है, मैं पंजाबी मीडियम से पढ़ा हूँ और नसीर अँगरेज़ी वाले हैं. अभी अँगरेज़ी बोलूँगा तो पकड़ा जाऊँगा."
ओम पुरी-"नसीर ने बहुत कुछ किया है जो मैंने नहीं किया जैसे स्पर्श, पार और चक्र जैसी फ़िल्में..."
नसीर-"अर्धसत्य, आक्रोश, माइ सन द फैनेटिक जैसी फ़िल्में मैंने नहीं, ओम पुरी ने कीं हैं."
अभिनय
नसीर- "मैं नहीं समझता कि ओवर एक्टिंग, अंडर एक्टिंग जैसी कोई चीज़ होती है, असल चीज़ होती है सच्ची और वास्तविक लगने वाली एक्टिंग. यह फ़र्क़ देखने वाले तुरंत समझ लेता है. अगर अभिनेता आपको महसूस करा सके कि वह जो कह रहा है वह सच है तो वही अच्छी एक्टिंग है."
ईस्ट इज़ ईस्ट को ओम पुरी एक बेहतरीन फ़िल्म मानते हैं
ओम पुरी- "अभिनय सिखाने में इंस्टीट्यूशन की भूमिका होती है, एक्टर तो इंसान के अंदर होता है लेकिन उसे संवारने-निखारने का काम इंस्टीट्यूशन करते हैं. ट्रेनिंग एक्टर को आत्मनिर्भर बनाती है उसे हर बात के लिए निर्देशक (मुंदरा की तरफ़ इशारा करते हुए) पर निर्भर नहीं रहना पड़ता."
नसीर- "मैं अपने बचपन से नाख़ुश था, मैं जल्दी से बड़ा होना चाहता था, कोई और आदमी बन जाना चाहता था. मुझे लगता है कि ज़्यादातर एक्टर बचपन में नाख़ुश होते हैं, कोई और हो जाने की लालसा...ओम आप बताएँ..."
ओम पुरी- "मैं बचपन में बड़ा शर्मीला था, बहुत कम बोलता था, जब नाटक करने लगा तो लगा कि मुझे अपनी आवाज़ मिल गई. इसके बाद मुझे एक्टिंग का एडिक्शन-सा हो गया."
अफ़सोस
नसीर-"मुझे दो बातों का अफ़सोस रहा, एक तो मैं रिर्चड एटनबरो की गांधी नहीं कर पाया और दूसरे कभी सत्यजित राय के साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिला, ओम पुरी ने दोनों किया. ओम ने माइ सन फैनेटिक की, और अब चार्ली विल्सन्स वार में ज़िया उल हक़ भी बन रहा है."
ओम पुरी-"माइ सन द फैनेटिक वाला रोल पहले नसीर को मिला, उन्होंने भुट्टो का रोल करने के चक्कर में वह फ़िल्म छोड़ी तो मुझे मिली, भुट्टो वाली फ़िल्म बनी ही नहीं."
नसीर-"गांधी न करने का अफ़सोस बहुत समय तक रहा, लेकिन अब लगता है कि तब गांधी नहीं बना वही अच्छा हुआ, मेरी उम्र बहुत कम थी, मैं अच्छा नहीं कर पाता. बाद में तो 'हे राम' में गांधी बनने का शौक़ पूरा कर लिया."
बॉलीवुड
नसीर-"इससे बड़ी बेहूदगी कोई नहीं हो सकती, कोई आपको अपमानित करने के लिए 'इडियट' कहे और आप उसको अपना नाम बना लें, ऐसी ही बात है बॉलीवुड कहना. मुझे बहुत नफ़रत है इस शब्द से. इसमें बहुत अपमान है, बॉलीवुड, लॉलीवुड, कॉलीवुड ये सब एक घटिया मज़ाक है."
नसीर को गांधी न बन पाने का अफ़सोस भी और ख़ुशी भी
ओम पुरी-"बॉलीवुड सचमुच बुरा नाम है, कई बार बड़े अपमानजनक ढंग से लोग कहते हैं, सॉंग एंड डांस मूवीज़. यह सब मीडिया का काम है, उन्हें टर्म गढ़ने पड़ते हैं तरह-तरह के लेकिन हम लोगों को इसमें नहीं पड़ना चाहिए."
ओम पुरी ने सत्यजित राय के साथ सदगति फिल्म में काम करने के अनुभव विस्तार से सुनाए और बताया कि वे कितने महान निर्देशक थे.
नेहरू सेंटर में डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के बीच बैठकर भी ऐसा लग रहा था जैसे तीन लोग निजी अंतरंग बातचीत कर रहे हों और आपको छिपकर सुनने का मौक़ा मिल गया हो, इतनी अनौपचारिकता और बेबाकी थी, और ऐसा यूँ ही नहीं हुआ था बल्कि उसके लिए संचालक ने बहुत कल्पनाशीलता से तैयारी की थी.
इंडिया ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव ने इस मौक़े पर दोनों 'महान' अभिनेताओं को सम्मानित भी किया.
'महान' शब्द पर नसीर ने कहा- "बस, बहुत हो गया दो-तीन बार कह चुके आप, अब और नहीं..."
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ऐसी शामें बहुत कम होती हैं. नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के लाखों-लाख प्रशंसकों में से चंद लोगों की मानो लॉटरी निकल आई हो.
ओम पुरी और नसीर को तसल्ली से एक मंच पर बैठकर हँस-हँसकर एक दूसरे की टाँग खींचते, पुराने दिनों को याद करते, भारतीय सिनेमा की दशा-दुर्दशा पर कभी तल्ख़ और कभी संजीदा बहस करते सुनना एक कमाल का अनुभव था.
भारतीय सिनेमा के निर्विवाद रूप से दो सबसे बड़े अभिनेताओं की सार्थक गपशप में शामिल होने अवसर उपलब्ध कराया इंडिया-ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव के परवेज़ आलम ने.
पूरी चर्चा में नसीर की तेज़ी-तुर्शी दिख रही थी तो ओम पुरी अपने विनम्र, धीर-गंभीर अंदाज़ में थे लेकिन दोनों की आपसी समझदारी और दोस्ती इस बातचीत को और दिलचस्प बना रही थी. लंदन के नेहरू सेंटर में अंगरेज़ी, हिंदी और ढेर सारे ठहाकों के साथ हुई गपशप पूरी तरह सहज और अनौपचारिक थी.
'लाइफ़ एंड टाइम इन इंडिया सिनेमा' नाम का यह आयोजन दो बेहतरीन अभिनेताओं के तीन दशकों के अभिनय के सफ़र को बातों-बातों में दिलचस्प तरीक़े से समेट लेने का एक अनूठा प्रयास था, इसकी कामयाबी की तस्दीक हर मिनट पर तालियों की गूंज और ठहाके कर रहे थे.
'बवंडर' और 'प्रोवोक्ड' जैसी चर्चित फ़िल्मों का निर्देशन करने वाले जगमोहन मुंदरा की आने वाली फ़िल्म 'शूट एट साइट' की शूटिंग करने लंदन आए दोनों अभिनेताओं के बीच बैठकर जाने-माने प्रसारक परवेज़ आलम ने गपशप को जीवंत बनाए रखा.
लगभग डेढ़ घंटा चली बातचीत को वे बड़ी सफ़ाई से अलग-अलग गलियों में घुमाते रहे कभी उनका बचपन, कभी शुरूआती करियर, कभी कुछ और. बाद में कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दोनों अभिनेताओं ने दिए.
समानता और अंतर
दोनों अभिनेताओं ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और उसके बाद फ़िल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से अभिनय का कोर्स किया, दोनों ने लगभग एक साथ 1975-76 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत की, दोनों ने पहले श्याम बेनेगल और गोविंद निहलाणी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया और बाद में दोनों व्यावसायिक सिनेमा में भी लगातार सक्रिय रहे.
दोनों अभिनेताओं की आपसी समझ और दोस्ती साफ़ झलक रही थी
नसीर-"कई बार लोग मुझे कहते हैं ओम पुरी जी क्या हाल है, ओम से कहते हैं हैलो नसीरुद्दीन शाह."
ओम पुरी-"हमारा बचपन बहुत अलग है, मैं पंजाबी मीडियम से पढ़ा हूँ और नसीर अँगरेज़ी वाले हैं. अभी अँगरेज़ी बोलूँगा तो पकड़ा जाऊँगा."
ओम पुरी-"नसीर ने बहुत कुछ किया है जो मैंने नहीं किया जैसे स्पर्श, पार और चक्र जैसी फ़िल्में..."
नसीर-"अर्धसत्य, आक्रोश, माइ सन द फैनेटिक जैसी फ़िल्में मैंने नहीं, ओम पुरी ने कीं हैं."
अभिनय
नसीर- "मैं नहीं समझता कि ओवर एक्टिंग, अंडर एक्टिंग जैसी कोई चीज़ होती है, असल चीज़ होती है सच्ची और वास्तविक लगने वाली एक्टिंग. यह फ़र्क़ देखने वाले तुरंत समझ लेता है. अगर अभिनेता आपको महसूस करा सके कि वह जो कह रहा है वह सच है तो वही अच्छी एक्टिंग है."
ईस्ट इज़ ईस्ट को ओम पुरी एक बेहतरीन फ़िल्म मानते हैं
ओम पुरी- "अभिनय सिखाने में इंस्टीट्यूशन की भूमिका होती है, एक्टर तो इंसान के अंदर होता है लेकिन उसे संवारने-निखारने का काम इंस्टीट्यूशन करते हैं. ट्रेनिंग एक्टर को आत्मनिर्भर बनाती है उसे हर बात के लिए निर्देशक (मुंदरा की तरफ़ इशारा करते हुए) पर निर्भर नहीं रहना पड़ता."
नसीर- "मैं अपने बचपन से नाख़ुश था, मैं जल्दी से बड़ा होना चाहता था, कोई और आदमी बन जाना चाहता था. मुझे लगता है कि ज़्यादातर एक्टर बचपन में नाख़ुश होते हैं, कोई और हो जाने की लालसा...ओम आप बताएँ..."
ओम पुरी- "मैं बचपन में बड़ा शर्मीला था, बहुत कम बोलता था, जब नाटक करने लगा तो लगा कि मुझे अपनी आवाज़ मिल गई. इसके बाद मुझे एक्टिंग का एडिक्शन-सा हो गया."
अफ़सोस
नसीर-"मुझे दो बातों का अफ़सोस रहा, एक तो मैं रिर्चड एटनबरो की गांधी नहीं कर पाया और दूसरे कभी सत्यजित राय के साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिला, ओम पुरी ने दोनों किया. ओम ने माइ सन फैनेटिक की, और अब चार्ली विल्सन्स वार में ज़िया उल हक़ भी बन रहा है."
ओम पुरी-"माइ सन द फैनेटिक वाला रोल पहले नसीर को मिला, उन्होंने भुट्टो का रोल करने के चक्कर में वह फ़िल्म छोड़ी तो मुझे मिली, भुट्टो वाली फ़िल्म बनी ही नहीं."
नसीर-"गांधी न करने का अफ़सोस बहुत समय तक रहा, लेकिन अब लगता है कि तब गांधी नहीं बना वही अच्छा हुआ, मेरी उम्र बहुत कम थी, मैं अच्छा नहीं कर पाता. बाद में तो 'हे राम' में गांधी बनने का शौक़ पूरा कर लिया."
बॉलीवुड
नसीर-"इससे बड़ी बेहूदगी कोई नहीं हो सकती, कोई आपको अपमानित करने के लिए 'इडियट' कहे और आप उसको अपना नाम बना लें, ऐसी ही बात है बॉलीवुड कहना. मुझे बहुत नफ़रत है इस शब्द से. इसमें बहुत अपमान है, बॉलीवुड, लॉलीवुड, कॉलीवुड ये सब एक घटिया मज़ाक है."
नसीर को गांधी न बन पाने का अफ़सोस भी और ख़ुशी भी
ओम पुरी-"बॉलीवुड सचमुच बुरा नाम है, कई बार बड़े अपमानजनक ढंग से लोग कहते हैं, सॉंग एंड डांस मूवीज़. यह सब मीडिया का काम है, उन्हें टर्म गढ़ने पड़ते हैं तरह-तरह के लेकिन हम लोगों को इसमें नहीं पड़ना चाहिए."
ओम पुरी ने सत्यजित राय के साथ सदगति फिल्म में काम करने के अनुभव विस्तार से सुनाए और बताया कि वे कितने महान निर्देशक थे.
नेहरू सेंटर में डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के बीच बैठकर भी ऐसा लग रहा था जैसे तीन लोग निजी अंतरंग बातचीत कर रहे हों और आपको छिपकर सुनने का मौक़ा मिल गया हो, इतनी अनौपचारिकता और बेबाकी थी, और ऐसा यूँ ही नहीं हुआ था बल्कि उसके लिए संचालक ने बहुत कल्पनाशीलता से तैयारी की थी.
इंडिया ईयू फ़िल्म इनिशिएटिव ने इस मौक़े पर दोनों 'महान' अभिनेताओं को सम्मानित भी किया.
'महान' शब्द पर नसीर ने कहा- "बस, बहुत हो गया दो-तीन बार कह चुके आप, अब और नहीं..."
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Thursday, June 28, 2007
भारत और पड़ोस भारत में एक लाख से
BBCHindi.com भारत और पड़ोस भारत में एक लाख से भारतीय अर्थव्यवस्था मे आई तेज़ी और स्टॉक मार्केट से मिलते फ़ायदों की वजह से भारत में करोड़पतियों की संख्या एक लाख का आँकड़ा पार कर गई है. मेरिल लिंच और कैपजेमिनी की तरफ से दुनिया के धनी लोगों के बारे में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में एक मिलियन डॉलर यानी लगभग पैंतालिस करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाले एक लाख पंद्रह लोग हैं. इस संपत्ति में लोगों का रहने वाला घर और रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाले उत्पाद शामिल नहीं हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2006 में भारत में करोड़पतियों की संख्या 20.5 फ़ीसदी की रफ़्तार से बढ़ी. एशिया के बाज़ारों मे आई तेज़ी से करोड़पति अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और आज करोड़पतियों की संख्या के मामले में दुनिया के पहले दस देशों में पांच एशिया से हैं रिपोर्ट सिर्फ़ सिंगापुर ही भारत से आगे है जहाँ ये रफ़्तार 21.2 फ़ीसदी रही. भारत में 2005 में करोड़पतियों की कुल संख्या 83 हज़ार थी. इस बारे में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर जयती घोष कहती हैं,"सरकार ने अपनी नीतियों से अमीरों को टैक्स और सब्सिडी में बहुत सी रियायतें दी हैं. भूमंडलीकरण की वजह से कुछ लोगों को डॉलर में तनख़्वाह मिलने लगी है. इसलिए अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है." बाज़ार का बोलबाला सरकार ने अपनी नीतियों से अमीरों को टैक्स और सब्सिडी में बहुत सी रियायतें दी हैं. भूमंडलीकरण की वजह से कुछ लोगों को डॉलर में तनख़्वाह मिलने लगी है. इसलिए अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जयती घोष, अर्थशास्त्री भारत, चीन और सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में तेज़ी से हुई वृद्धि की वजह से एशिया के करोड़पतियों की कुल संपत्ति 10.5 फ़ीसदी की दर से बढ़कर 8.4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है. रिपोर्ट का कहना है,“एशियाई देशों के बाज़ारों मे आई तेज़ी से करोड़पति अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और आज करोड़पतियों की संख्या के मामले में दुनिया के पहले दस देशों में पांच एशिया से हैं.” भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन और अमरीका में भी एक मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या एक लाख से अधिक है. दुनिया के करोड़पति अमीरों की संख्या भी 8.3 फ़ीसदी बढ़कर 95 लाख हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार 2006 में इन लोगों की सामूहिक संपत्ति बढ़कर 37.2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है. मेरिल लिंच और कैपजेमिनी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़पतियों की इतनी ते़ज़ी से बढ़ती संख्या की वजह सकल घरेलु उत्पाद(जीडीपी) में हो रही वृद्धि और दुनिया भर के पूंजी बाज़ार में आई तेज़ी है. http://www.svdeals.com/ super hot deals.
Monday, June 25, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | कुरीति पर आधारित है नई �
BBCHindi.com पत्रिका कुरीति पर आधारित है नई �: "कुरीति पर आधारित है नई फ़िल्म रिवाज"
जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्म रिवाज कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसे परंपरा के नाम पर वेश्यावृत्ति के धंधे में उतरने को मजबूर किया जाता है.
एक ऐसी लड़की की आशा की जिसे पूरी उम्मीद है कि वो एक न एक दिन इस घिनौने कारोबार से बाहर निकल जाएगी.
जी हां,फिल्म का विषय काफी गंभीर है. आज भी भारत में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहाँ आज भी परंपरा आधारित वेश्यावृत्ति का धंधा कायम है.
देश की आज़ादी के इतने सालों के बीतने के बाद भी इस धंधे में कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन जगहों पर जहां ये काम हो रहा है, वहाँ का प्रशासन भी इसे रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम है और ये धीरे धीरे सिस्टम का हिस्सा बन गया है और इसे नाम दिया गया है रिवाज.
पिता के ख़िलाफ़ संघर्ष
कहानी के मुख्य किरदार का नाम है बेला. परंपरा के अनुसार बेला को भी वेश्यावृत्ति के धंधे में ढकेलने के लिए खुद उसका पिता ही मजबूर करता है. फिल्म में बेला को अपने पिता के इस घिनौने काम को रोकने में किए जा रहे संघर्ष को बड़े स्वाभाविक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.
भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहां बड़ी बड़ी कुरीतियाँ ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है.
दीप्ति नवल
बेला का किरदार निभाने वाली रितिशा का इस बारे में कहना है, "मुझे खुशी है कि कैरियर की शुरुआत में ही मुझे इतनी अच्छी और मीनिंगफुल फिल्म में काम करने का मौका मिला. इस किरदार को निभाते वक़्त मैंने उस दर्द को बड़े नज़दीक से महसूस किया जिनके साथ वास्तव में ऐसा होता होगा और उन्हें अपनी ज़िदगी में इतनी तकलीफ़ें झेलनी पड़ती होंगी".
फिल्म में बेला के पिता के किरदार में हैं जाने माने टीवी कलाकार और थिएटर दिग्गज राजेंद्र गुप्ता जबकि मशहूर अदाकारा दीप्ति नवल माँ की भूमिका में हैं.
दीप्ति इस फिल्म के बारे में अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं, "भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बड़ी बड़ी कुरीतियां ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है. इस कहानी में भी हमने उनमें से ही एक कुरीति को पर्दे पर अच्छी तरह से दिखाने की कोशिश की है".
रिवाज अनगिनत लड़कियों की व्यथा बयान करती है
दीप्ति का कहना है कि रिवाज में जितने भी कलाकार हैं उन्होंने फिल्म की कहानी में स्वाभाविकता लाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है.
मेघना नायड़ू
कलियों का चमन एल्बम से हिट होने वाली मेघना नायडू भी इस फिल्म में एक सशक्त भूमिका में नज़र आएँगी.
फ़िल्म में वो एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हैं जिसके ऊपर उसकी बूढ़ी दादी,माँ-बाप और एक नालायक़ भाई की रोज़ी रोटी की जिम्मेदारी है लेकिन वो खूबसूरत न होने की वजह से ग्राहकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में भी कामयाब नही हो पाती और उसे काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
मेघना अपने किरदार के बारे में कहती हैं, "रोल काफी दमदार है. मुझे ये भूमिका करने में बड़ा मजा आया साथ ही रोल को अच्छी तरह से करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ी. लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि मैने एक मीनिंगफुल फिल्म में अच्छा काम किया है".
फिल्म में इन लोगों के अलावा आलोक नाथ, यशपाल शर्मा, मनोज बिदवई सहित थिएटर के कई कलाकारों ने भी अभिनय किया है.
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जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्म रिवाज कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसे परंपरा के नाम पर वेश्यावृत्ति के धंधे में उतरने को मजबूर किया जाता है.
एक ऐसी लड़की की आशा की जिसे पूरी उम्मीद है कि वो एक न एक दिन इस घिनौने कारोबार से बाहर निकल जाएगी.
जी हां,फिल्म का विषय काफी गंभीर है. आज भी भारत में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहाँ आज भी परंपरा आधारित वेश्यावृत्ति का धंधा कायम है.
देश की आज़ादी के इतने सालों के बीतने के बाद भी इस धंधे में कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन जगहों पर जहां ये काम हो रहा है, वहाँ का प्रशासन भी इसे रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम है और ये धीरे धीरे सिस्टम का हिस्सा बन गया है और इसे नाम दिया गया है रिवाज.
पिता के ख़िलाफ़ संघर्ष
कहानी के मुख्य किरदार का नाम है बेला. परंपरा के अनुसार बेला को भी वेश्यावृत्ति के धंधे में ढकेलने के लिए खुद उसका पिता ही मजबूर करता है. फिल्म में बेला को अपने पिता के इस घिनौने काम को रोकने में किए जा रहे संघर्ष को बड़े स्वाभाविक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.
भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहां बड़ी बड़ी कुरीतियाँ ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है.
दीप्ति नवल
बेला का किरदार निभाने वाली रितिशा का इस बारे में कहना है, "मुझे खुशी है कि कैरियर की शुरुआत में ही मुझे इतनी अच्छी और मीनिंगफुल फिल्म में काम करने का मौका मिला. इस किरदार को निभाते वक़्त मैंने उस दर्द को बड़े नज़दीक से महसूस किया जिनके साथ वास्तव में ऐसा होता होगा और उन्हें अपनी ज़िदगी में इतनी तकलीफ़ें झेलनी पड़ती होंगी".
फिल्म में बेला के पिता के किरदार में हैं जाने माने टीवी कलाकार और थिएटर दिग्गज राजेंद्र गुप्ता जबकि मशहूर अदाकारा दीप्ति नवल माँ की भूमिका में हैं.
दीप्ति इस फिल्म के बारे में अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं, "भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बड़ी बड़ी कुरीतियां ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है. इस कहानी में भी हमने उनमें से ही एक कुरीति को पर्दे पर अच्छी तरह से दिखाने की कोशिश की है".
रिवाज अनगिनत लड़कियों की व्यथा बयान करती है
दीप्ति का कहना है कि रिवाज में जितने भी कलाकार हैं उन्होंने फिल्म की कहानी में स्वाभाविकता लाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है.
मेघना नायड़ू
कलियों का चमन एल्बम से हिट होने वाली मेघना नायडू भी इस फिल्म में एक सशक्त भूमिका में नज़र आएँगी.
फ़िल्म में वो एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हैं जिसके ऊपर उसकी बूढ़ी दादी,माँ-बाप और एक नालायक़ भाई की रोज़ी रोटी की जिम्मेदारी है लेकिन वो खूबसूरत न होने की वजह से ग्राहकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में भी कामयाब नही हो पाती और उसे काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
मेघना अपने किरदार के बारे में कहती हैं, "रोल काफी दमदार है. मुझे ये भूमिका करने में बड़ा मजा आया साथ ही रोल को अच्छी तरह से करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ी. लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि मैने एक मीनिंगफुल फिल्म में अच्छा काम किया है".
फिल्म में इन लोगों के अलावा आलोक नाथ, यशपाल शर्मा, मनोज बिदवई सहित थिएटर के कई कलाकारों ने भी अभिनय किया है.
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Friday, June 22, 2007
सफल अभिनेत्री तब्बू
Welcome to Yahoo! Hindi: "सफल अभिनेत्री तब्बू"
सफल अभिनेत्री तब्बू
- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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सितारों के सितारे - फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ...
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सफल अभिनेत्री तब्बू
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Wednesday, June 20, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | 'रानी और आदित्य की सगाई
BBCHindi.com पत्रिका 'रानी और आदित्य की सगाई : "'रानी और आदित्य की सगाई की ख़बर ग़लत'"
यशराज फिल्म्स की प्रवक्ता ने मीडिया में चल रही अटकलों का खंडन करते हुए कहा है कि फ़िल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की सगाई की ख़बर बिल्कुल ग़लत है.
पिछले कुछ दिनों से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि दोनों ने चुपके-चुपके सगाई कर डाली है.
हालांकि मंगलवार के अख़बारों में ऐसी रिपोर्टें छपीं थीं कि आदित्य चोपड़ा और उनके पिता और निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा के बीच बातचीत बिल्कुल बंद है.
रिपोर्टों में ये भी कहा गया था कि इस तनाव की मुख्य वजह आदित्य चोपड़ा का अपनी पत्नी पायल को तलाक़ देने की पेशकश करना है.
जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है. आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है
प्रवक्ता, यशराज फ़िल्म्स
पिछले साल भी ऐसी ख़बरें आईं थीं कि आदित्य ने अपनी पत्नी पायल से तलाक़ के लिए अर्ज़ी दायर की थी. जिसके बाद से यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला ख़ासे नाराज़ बताए गए थे.
लेकिन इस तरह की ख़बरों के बीच जब बीबीसी ने यश चोपड़ा की फ़िल्म कंपनी यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस ख़बर को बेबुनियाद बताया.
उनका कहना था कि पिछले दिनों मीडिया में जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है और आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है.
बाज़ार गर्म
यश चोपड़ा के पुत्र हैं आदित्य
कुछ समाचारपत्रों और चैनलों ने ख़बर चला दी कि सोमवार की रात में ही आदित्य और रानी मुखर्जी की सगाई हो चुकी है.
परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला अपनी बहू पायल के काफ़ी क़रीब हैं.
हाल ही में उन्होंने अपनी बहू को मुंबई के खार इलाक़े में साढ़े तीन करोड़ रुपए का एक शानदार फ्लैट भी ख़रीद कर दिया है.
पायल के पिता यश चोपड़ा के बेहद क़रीबी दोस्त हैं. ऐसे में अगर ये रिश्ता टूटता है तो यश और उनकी पत्नी पामेला को बहुत दुख होगा.
यहाँ तक तो सच है कि आदित्य चोपड़ा और पायल के बीच तलाक़ की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता का कहना है कि रानी मुखर्जी से उनकी सगाई की ख़बर कोरी अफ़वाह है.
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यशराज फिल्म्स की प्रवक्ता ने मीडिया में चल रही अटकलों का खंडन करते हुए कहा है कि फ़िल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की सगाई की ख़बर बिल्कुल ग़लत है.
पिछले कुछ दिनों से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि दोनों ने चुपके-चुपके सगाई कर डाली है.
हालांकि मंगलवार के अख़बारों में ऐसी रिपोर्टें छपीं थीं कि आदित्य चोपड़ा और उनके पिता और निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा के बीच बातचीत बिल्कुल बंद है.
रिपोर्टों में ये भी कहा गया था कि इस तनाव की मुख्य वजह आदित्य चोपड़ा का अपनी पत्नी पायल को तलाक़ देने की पेशकश करना है.
जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है. आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है
प्रवक्ता, यशराज फ़िल्म्स
पिछले साल भी ऐसी ख़बरें आईं थीं कि आदित्य ने अपनी पत्नी पायल से तलाक़ के लिए अर्ज़ी दायर की थी. जिसके बाद से यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला ख़ासे नाराज़ बताए गए थे.
लेकिन इस तरह की ख़बरों के बीच जब बीबीसी ने यश चोपड़ा की फ़िल्म कंपनी यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस ख़बर को बेबुनियाद बताया.
उनका कहना था कि पिछले दिनों मीडिया में जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है और आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है.
बाज़ार गर्म
यश चोपड़ा के पुत्र हैं आदित्य
कुछ समाचारपत्रों और चैनलों ने ख़बर चला दी कि सोमवार की रात में ही आदित्य और रानी मुखर्जी की सगाई हो चुकी है.
परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला अपनी बहू पायल के काफ़ी क़रीब हैं.
हाल ही में उन्होंने अपनी बहू को मुंबई के खार इलाक़े में साढ़े तीन करोड़ रुपए का एक शानदार फ्लैट भी ख़रीद कर दिया है.
पायल के पिता यश चोपड़ा के बेहद क़रीबी दोस्त हैं. ऐसे में अगर ये रिश्ता टूटता है तो यश और उनकी पत्नी पामेला को बहुत दुख होगा.
यहाँ तक तो सच है कि आदित्य चोपड़ा और पायल के बीच तलाक़ की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता का कहना है कि रानी मुखर्जी से उनकी सगाई की ख़बर कोरी अफ़वाह है.
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BBCHindi.com | भारत और पड़ोस | कंडोम की बिक्री क�
BBCHindi.com भारत और पड़ोस कंडोम की बिक्री क�
मध्य प्रदेश में कंडोम के एक नए पैकेट ने विवाद पैदा कर दिया है. इस पैकेट में कंडोम के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला 'उपकरण' मुफ्त में दे रही है.
यह 'उपकरण' दरअसल एक 'वाइब्रेटिंग रिंग' यानी कंपन पैदा करने वाला छल्ला है.
विवाद है कि क्या इसे 'सेक्स ट्वाय' माना जाना चाहिए?
दरअसल, भारत में 'सेक्स टॉय' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कथित 'सेक्स ट्वाय' बेचे जाने की शिकायतों की जाँच कर रही है.
लेकिन ऐसे उपभोक्ता भी हैं जो इससे ख़ुश हैं और मानते हैं कि इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.
दिलचस्प तथ्य यह है कि यह उत्पाद बेचने वाली कंपनी हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड कोई बहुराष्ट्रीय या निजी कंपनी नहीं बल्कि भारत सरकार की एक कंपनी है.
विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड के 'क्रेज़ेंडो' ब्रांड के कंडोम के पैक कुछ लोगों के हाथ लगे.
एक सौ पच्चीस रुपये के इस कंडोम के पैक के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र मुफ़्त दे रही है.
इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे
कुणाल सिंह, उपभोक्ता
यही बात कुछ लोगों को नागवार ग़ुज़री. इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ है.
बजरंग दल के ज़िला संयोजक देवेंद्र रावत कहते हैं, "इस तरह की चीज़ें भारतीय संस्कृति को बिगाड़ती हैं, इस पर तो न सिर्फ़ मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में रोक लगानी चाहिए."
जब यह सवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उठाया गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अगर हमें कुछ भी ग़लत लगा तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे. भारतीय संस्कति के ख़िलाफ कुछ भी बर्दाशत नही किया जाएगा.″
राज्य के लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके ख़िलाफ़ राज्य सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है.
उनका कहना है कि उन्हें ख़बर मिली है कि छात्र हॉस्टल में इसका प्रयोग कर रहे हैं और लगता है कि कंडोम के बहाने से 'सेक्स ट्वाय' बेचा जा रहा है.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री ने समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. इसे प्रदेश में किसी भी तरह से नही बेचने दिया जाएगा."
मगर कई लोग ऐसे भी हैं जिनहें ये उत्पाद काफ़ी भा रहा है. ऐसे ही एक उपभोक्ता हैं कुणाल सिंह उनका कहना है, "इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे."
मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक कंपनी को कोई निर्देश नहीं दिए हैं
शहर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले रवि भगनानी का कहना है कि इसको बेचने पर प्रतिबंध लगाना ग़लत होगा. वो कहते है कि उनके पास आने वाले लोग उनसे कुछ नया माँगते है और यह कंडोम पैकेट कुछ नया तो देता ही है.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सरकार बेवजह की बातों में जनता को उलझाए रखना चाहती है. अंसार सिद्दीक़ी कहते हैं, "अगर ये बिकता भी है तो इससे जनता को क्या फ़ायदा या नुकसान है?″
वो कहते है कि ये इंसान की निजी ज़िंदगी में दख़ल है. उनका मानना है कि लोग इंटरनेट के ज़रिए भी इसको ख़रीद सकते है, इसलिये अगर राज्य में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगता भी है तो वो बेमानी होगा.
'सेक्स ट्वाय'
इस कंडोम पैकेट के साथ एक रिंग या छल्ला दिया जा रहा है. इस रिंग के साथ एक बैटरी लगी हुई है.
इसे लिंग पर चढ़ाया जा सकता है और इसे चालू करते ही इसमें कंपन शुरु हो जाता है.
कंपनी का कहना है कि इसका उपयोग कंडोम के साथ करने की सलाह की दी जाती है.
कंपनी का दावा है कि ये इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को लगभग बीस मिनट तक आनंद का अनुभव कराएगा.
जानकारी के मुताबिक ये यंत्र चीन में बना हुआ है.
क़ानून के मुताबिक़ भारत में 'सेक्स-ट्वाय' बेचने पर प्रतिबंध है. हालांकि इसमें 'सेक्स-ट्वाय' का ज़िक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि ऐसी कोई भी सामग्री जो समाज में अश्लीलता फ़ैलाए उसे बेचना क़ानूनन अपराध है.
भोपाल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जीके पाठक का कहना है कि भारतीय दंड विधान की धारा 292 के तहत ऐसा कोई सामान बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
हालांकि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कंडोम के साथ बेची जा रही रिंग 'सेक्स-ट्वाय' है या नहीं.
'सेक्स ट्वाय नहीं'
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने बीबीसी से कहा है कि उनका उद्देश्य 'क्रेज़ेंडो' के साथ दिए जा रहे रिंग को 'सेक्स-ट्वाय' की तरह बेचना नहीं है.
कंपनी की सफ़ाई
यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड
कंपनी ने कहा है कि यह कोई प्रतिबंधित उपकरण नहीं है और मार्च 2007 में जब कंपनी ने अपना उत्पाद बाज़ार में उतारा उससे पहले ही यह बाज़ार में था.
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड का कहना है कि इस उत्पाद को लेकर अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है.
बीबीसी को भेजे गए अपने बयान में कंपनी ने कहा है, "यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके."
बाज़ार में इसकी बिक्री रोकने से इनकार करते हुए कंपनी ने कहा है कि एक तो यह अकेला इस तरह का उत्पाद नहीं है जो बाज़ार में उपलब्ध है क्योंकि इस तरह के कई देशी-विदेशी उत्पाद पहले से ही बाज़ार में हैं.
दूसरे यदि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई निर्देश मिलते हैं तो कंपनी राज्य के बाज़ार से अपना यह उत्पाद क्रेंज़ेंडो को हटा लेगी.
http://www.svdeals.com/ garam deals
मध्य प्रदेश में कंडोम के एक नए पैकेट ने विवाद पैदा कर दिया है. इस पैकेट में कंडोम के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला 'उपकरण' मुफ्त में दे रही है.
यह 'उपकरण' दरअसल एक 'वाइब्रेटिंग रिंग' यानी कंपन पैदा करने वाला छल्ला है.
विवाद है कि क्या इसे 'सेक्स ट्वाय' माना जाना चाहिए?
दरअसल, भारत में 'सेक्स टॉय' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कथित 'सेक्स ट्वाय' बेचे जाने की शिकायतों की जाँच कर रही है.
लेकिन ऐसे उपभोक्ता भी हैं जो इससे ख़ुश हैं और मानते हैं कि इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.
दिलचस्प तथ्य यह है कि यह उत्पाद बेचने वाली कंपनी हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड कोई बहुराष्ट्रीय या निजी कंपनी नहीं बल्कि भारत सरकार की एक कंपनी है.
विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड के 'क्रेज़ेंडो' ब्रांड के कंडोम के पैक कुछ लोगों के हाथ लगे.
एक सौ पच्चीस रुपये के इस कंडोम के पैक के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र मुफ़्त दे रही है.
इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे
कुणाल सिंह, उपभोक्ता
यही बात कुछ लोगों को नागवार ग़ुज़री. इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ है.
बजरंग दल के ज़िला संयोजक देवेंद्र रावत कहते हैं, "इस तरह की चीज़ें भारतीय संस्कृति को बिगाड़ती हैं, इस पर तो न सिर्फ़ मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में रोक लगानी चाहिए."
जब यह सवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उठाया गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अगर हमें कुछ भी ग़लत लगा तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे. भारतीय संस्कति के ख़िलाफ कुछ भी बर्दाशत नही किया जाएगा.″
राज्य के लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके ख़िलाफ़ राज्य सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है.
उनका कहना है कि उन्हें ख़बर मिली है कि छात्र हॉस्टल में इसका प्रयोग कर रहे हैं और लगता है कि कंडोम के बहाने से 'सेक्स ट्वाय' बेचा जा रहा है.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री ने समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. इसे प्रदेश में किसी भी तरह से नही बेचने दिया जाएगा."
मगर कई लोग ऐसे भी हैं जिनहें ये उत्पाद काफ़ी भा रहा है. ऐसे ही एक उपभोक्ता हैं कुणाल सिंह उनका कहना है, "इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे."
मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक कंपनी को कोई निर्देश नहीं दिए हैं
शहर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले रवि भगनानी का कहना है कि इसको बेचने पर प्रतिबंध लगाना ग़लत होगा. वो कहते है कि उनके पास आने वाले लोग उनसे कुछ नया माँगते है और यह कंडोम पैकेट कुछ नया तो देता ही है.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सरकार बेवजह की बातों में जनता को उलझाए रखना चाहती है. अंसार सिद्दीक़ी कहते हैं, "अगर ये बिकता भी है तो इससे जनता को क्या फ़ायदा या नुकसान है?″
वो कहते है कि ये इंसान की निजी ज़िंदगी में दख़ल है. उनका मानना है कि लोग इंटरनेट के ज़रिए भी इसको ख़रीद सकते है, इसलिये अगर राज्य में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगता भी है तो वो बेमानी होगा.
'सेक्स ट्वाय'
इस कंडोम पैकेट के साथ एक रिंग या छल्ला दिया जा रहा है. इस रिंग के साथ एक बैटरी लगी हुई है.
इसे लिंग पर चढ़ाया जा सकता है और इसे चालू करते ही इसमें कंपन शुरु हो जाता है.
कंपनी का कहना है कि इसका उपयोग कंडोम के साथ करने की सलाह की दी जाती है.
कंपनी का दावा है कि ये इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को लगभग बीस मिनट तक आनंद का अनुभव कराएगा.
जानकारी के मुताबिक ये यंत्र चीन में बना हुआ है.
क़ानून के मुताबिक़ भारत में 'सेक्स-ट्वाय' बेचने पर प्रतिबंध है. हालांकि इसमें 'सेक्स-ट्वाय' का ज़िक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि ऐसी कोई भी सामग्री जो समाज में अश्लीलता फ़ैलाए उसे बेचना क़ानूनन अपराध है.
भोपाल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जीके पाठक का कहना है कि भारतीय दंड विधान की धारा 292 के तहत ऐसा कोई सामान बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
हालांकि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कंडोम के साथ बेची जा रही रिंग 'सेक्स-ट्वाय' है या नहीं.
'सेक्स ट्वाय नहीं'
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने बीबीसी से कहा है कि उनका उद्देश्य 'क्रेज़ेंडो' के साथ दिए जा रहे रिंग को 'सेक्स-ट्वाय' की तरह बेचना नहीं है.
कंपनी की सफ़ाई
यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड
कंपनी ने कहा है कि यह कोई प्रतिबंधित उपकरण नहीं है और मार्च 2007 में जब कंपनी ने अपना उत्पाद बाज़ार में उतारा उससे पहले ही यह बाज़ार में था.
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड का कहना है कि इस उत्पाद को लेकर अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है.
बीबीसी को भेजे गए अपने बयान में कंपनी ने कहा है, "यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके."
बाज़ार में इसकी बिक्री रोकने से इनकार करते हुए कंपनी ने कहा है कि एक तो यह अकेला इस तरह का उत्पाद नहीं है जो बाज़ार में उपलब्ध है क्योंकि इस तरह के कई देशी-विदेशी उत्पाद पहले से ही बाज़ार में हैं.
दूसरे यदि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई निर्देश मिलते हैं तो कंपनी राज्य के बाज़ार से अपना यह उत्पाद क्रेंज़ेंडो को हटा लेगी.
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Monday, June 18, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | 'निर्देशक के हाथ में गी
BBCHindi.com पत्रिका 'निर्देशक के हाथ में गी
ब्रिटिश एकेडेमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलीविज़न ऑर्ट्स( बाफ़्टा) ने भारतीय सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के सम्मान में हाल ही में विशेष समारोह आयोजित किया.
लंदन में हुए इस कार्यक्रम में पिछले करीब 30 सालों से अमिताभ बच्चन की कई क्लासिक फ़िल्में दिखाई गई जिसमें शोले से लेकर निशब्द शामिल है.
पिछले वर्ष भी बाफ़्टा ने लंदन में ‘बाफ़्टा गोज़ बॉलीवुड’ नाम का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था.
इस मौके पर बीबीसी ने लंदन में अमिताभ बच्चन से ख़ास बातचीत की.
यूँ तो आपको कई पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं. ब्रिटेन में बाफ़्टा से मिला ये सम्मान किस मायने में ख़ास है आपके लिए.
किसी भी प्रकार का सम्मान एक भारतीय होने के नाते मेरे लिए बड़े गर्व की बात है.मेरा सम्मान जब भी होता है मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि ये मेरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय फ़िल्म जगत और भारत के लोगों का सम्मान है. ब्रिटेन में बाफ़्टा ने विशेष कार्यक्रम रखा है, मैं बड़ी विनम्रता से इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ और खुशी ज़ाहिर करता हूँ.
ब्रिटेन में तो हमेशा से ही भारतीय फ़िल्में काफ़ी लोकप्रिय रही हैं चूँकि यहाँ बड़ी संख्या में एशियाई समुदाय है. आप हाल ही में फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फ़िल्म उत्सव में गए थे. वहाँ किस तरह का नज़रिया देखा आपने भारतीय सिनेमा के प्रति.
कई बार ये आरोप लगाया जाता है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिन्हें कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में पुरस्कार मिल सकें. लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है. हमारी कुछ फ़िल्में इन उत्सवों में दिखाई गई हैं, हम वितरण भी कर रहे हैं.मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी
मैं कान गया था केवल अपनी फ़िल्म का प्रचार करने. मैं ज़्यादा समय तो रहा नहीं वहाँ लेकिन मैने देखा कि भारत से बहुत से लोग अपनी फ़िल्में लेकर वहाँ जाते हैं और मार्केंटिंग का मौका मिलता है. जहाँ तक मेरी सीमित जानकारी है ये भारतीय सिनेमा के लिए अच्छी चीज़ है.
कई बार हम पर ये आरोप लगाया जाता है या आलोचना होती है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिस स्तर की फ़िल्में कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में जाती है, और न हम वहाँ कोई पुरस्कार जीतते हैं.
लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है, आज हम वहाँ वितरण कर रहे हैं, कुछ फ़िल्में दिखाई भी गईं. मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी.
आपकी फ़िल्मों की अगर बात करें तो, हाल के वर्षों में कई तरह के प्रयोग किए हैं आपने भूमिकाओं में-चाहे ब्लैक हो, कभी अलविदा न कहना या निशब्द. 20-25 साल पहले हम आपको ऐसी भूमिकाओं में नहीं देखते थे. क्या अब दर्शक ज़्यादा परिपक्व हो गए हैं या फ़िल्मकार इस तरह के प्रयोग और रिस्क लेने को तैयार हैं.
बीस-पच्चीस साल पहले लोग ऐसी भूमिकाओं में मुझे इसलिए नहीं देखते थे क्योंकि मैं थोड़ा सा जवान था, लीडिंग मैन रोल करता था.
अब उम्र हो गई है और इसी तरह के रोल में काम करना पड़ता है, भाग्यशाली हूँ कि अच्छे रोल मिल रहे हैं.
लेकिन कहीं न कहीं आपकी बात सही है कि दर्शक पहले से जागरुक हो गए हैं. वो अलग तरह की फ़िल्मों और किरदारों को स्वीकार करते हैं.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आगे भी लोग ऐसी फ़िल्मों को पसंद करेंगे क्योंकि हम फिर प्रोत्साहित होंगे कि ऐसे किरदार निभाते रहें.
जिन निर्देशकों के साथ आप आजकल काम कर करें हैं, ज़्यादातर युवा निर्देशक हैं. तो क्या उन्हें अपनी बात कहने में कभी किसी तरह की हिचकिचाहट महसूस नहीं होती...आप वरिष्ठ कलाकार हैं और ये निर्देशक आपसे उम्र में काफ़ी छोटे हैं.
मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं
ऐसा कोई भेदभाव नहीं है. मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं.
निर्देशक कैप्टन है जहाज़ का, वो बताता है कि हमें क्या करना चाहिए. मेरे साथ तो ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी न हमें कहा हो कुछ करने के लिए और हमने इनकार कर दिया हो.
इस तरह का वातावरण प्रचलित नहीं है कि मैं चूँकि सिनीयर हूँ तो मुझसे कम उम्र के कलाकार डरेंगे. हम सब एकजुट होकर, एक टीम की तरह काम करते हैं. जो निर्देशक कहता है, मैं उसे करता हूँ. ये मेरा कर्तव्य है एक कलाकार की हैसियत से.
हर क्षेत्र में कोई न कोई शख़्सियत होती है, जिसे लोग बैंचमार्क मान कर चलते हैं. क्रिकेट में शायद कुछ लोगों के लिए वो मानक सचिन तेंदुलकर या कपिल देव हों. अभिनय में कई लोगों के लिए वो मानक आप हैं. लेकिन ख़ुद अमिताभ बच्चन के लिए वो मानक क्या है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा
इस तरह की धारणाओं में मुझे विश्वास नहीं है. हर इंसान अपने आप में अलग होता है. उसकी तरह सोचने वाला, दिखने वाला दूसरा व्यक्ति तो होता नहीं. हाँ ये ज़रूर है कि समाज में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं. इसमें कोई बुरी बात नहीं है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा. प्रतिदिन यही कोशिश रहती है कि किस तरह उन कमियों को, ख़ामियों को दूर कर सकूँ.
यदि कोई मुझे अपना मानक समझता है तो मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूँ. मैं तो केवल यही कहूँगा कि उन्हें अपने आप में विश्वास रखना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए क्योंकि मेहनत का फल मीठा होता है.
सेलिब्रिटी होने के नाते आप हमेशा लोगों और मीडिया की नज़रों में रहते हैं. आप क्या करते हैं, कहाँ गए, किससे मिले, किस मंदिर में गए..सब चीज़ों पर लोगों की नज़र रहती है और लोग टिप्पणी भी करते रहते हैं.. क्या इससे आपको किसी तरह की परेशानी या एतराज़ होता है?
इसमें हमें कोई एतराज़ नहीं हैं. यदि मीडिया हमारे बारे में जानकारी हासिल करना चाहता है, तस्वीरें लेता है तो उसे हम कहाँ रोक सकते हैं.
ये तो पब्लिक डोमेन है और वो सबके लिए है.
हाँ हमारे घर के अंदर हम जो भी करें वो अलग बात है.
यदि हम बाहर जाते हैं तो मीडिया को पूरी छूट है कि वो हमारे बारे में लिखे या जो भी उसकी धारणा है उसका प्रचार करे.
भारत को आज़ाद हुए 60 वर्ष हो चुके हैं. आज की तारीख़ में कैसे देखते हैं आप भारत और भारतीय सिनेमा को.
हर वर्ष भारतीय सिनेमा प्रगति कर रहा है. जिस तरह भारतीय सिनेमा का प्रचार हो रहा है,दूसरे देशों के लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं ये सब बातें सिनेमा के लिए अच्छी हैं. मैं उम्मीद करता हूँ कि हम इसी तरह प्रगति करते जाएँ और विश्व में हमारा झंड़ा और ऊँचा हो.
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ब्रिटिश एकेडेमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलीविज़न ऑर्ट्स( बाफ़्टा) ने भारतीय सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के सम्मान में हाल ही में विशेष समारोह आयोजित किया.
लंदन में हुए इस कार्यक्रम में पिछले करीब 30 सालों से अमिताभ बच्चन की कई क्लासिक फ़िल्में दिखाई गई जिसमें शोले से लेकर निशब्द शामिल है.
पिछले वर्ष भी बाफ़्टा ने लंदन में ‘बाफ़्टा गोज़ बॉलीवुड’ नाम का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था.
इस मौके पर बीबीसी ने लंदन में अमिताभ बच्चन से ख़ास बातचीत की.
यूँ तो आपको कई पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं. ब्रिटेन में बाफ़्टा से मिला ये सम्मान किस मायने में ख़ास है आपके लिए.
किसी भी प्रकार का सम्मान एक भारतीय होने के नाते मेरे लिए बड़े गर्व की बात है.मेरा सम्मान जब भी होता है मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि ये मेरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय फ़िल्म जगत और भारत के लोगों का सम्मान है. ब्रिटेन में बाफ़्टा ने विशेष कार्यक्रम रखा है, मैं बड़ी विनम्रता से इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ और खुशी ज़ाहिर करता हूँ.
ब्रिटेन में तो हमेशा से ही भारतीय फ़िल्में काफ़ी लोकप्रिय रही हैं चूँकि यहाँ बड़ी संख्या में एशियाई समुदाय है. आप हाल ही में फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फ़िल्म उत्सव में गए थे. वहाँ किस तरह का नज़रिया देखा आपने भारतीय सिनेमा के प्रति.
कई बार ये आरोप लगाया जाता है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिन्हें कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में पुरस्कार मिल सकें. लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है. हमारी कुछ फ़िल्में इन उत्सवों में दिखाई गई हैं, हम वितरण भी कर रहे हैं.मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी
मैं कान गया था केवल अपनी फ़िल्म का प्रचार करने. मैं ज़्यादा समय तो रहा नहीं वहाँ लेकिन मैने देखा कि भारत से बहुत से लोग अपनी फ़िल्में लेकर वहाँ जाते हैं और मार्केंटिंग का मौका मिलता है. जहाँ तक मेरी सीमित जानकारी है ये भारतीय सिनेमा के लिए अच्छी चीज़ है.
कई बार हम पर ये आरोप लगाया जाता है या आलोचना होती है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिस स्तर की फ़िल्में कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में जाती है, और न हम वहाँ कोई पुरस्कार जीतते हैं.
लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है, आज हम वहाँ वितरण कर रहे हैं, कुछ फ़िल्में दिखाई भी गईं. मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी.
आपकी फ़िल्मों की अगर बात करें तो, हाल के वर्षों में कई तरह के प्रयोग किए हैं आपने भूमिकाओं में-चाहे ब्लैक हो, कभी अलविदा न कहना या निशब्द. 20-25 साल पहले हम आपको ऐसी भूमिकाओं में नहीं देखते थे. क्या अब दर्शक ज़्यादा परिपक्व हो गए हैं या फ़िल्मकार इस तरह के प्रयोग और रिस्क लेने को तैयार हैं.
बीस-पच्चीस साल पहले लोग ऐसी भूमिकाओं में मुझे इसलिए नहीं देखते थे क्योंकि मैं थोड़ा सा जवान था, लीडिंग मैन रोल करता था.
अब उम्र हो गई है और इसी तरह के रोल में काम करना पड़ता है, भाग्यशाली हूँ कि अच्छे रोल मिल रहे हैं.
लेकिन कहीं न कहीं आपकी बात सही है कि दर्शक पहले से जागरुक हो गए हैं. वो अलग तरह की फ़िल्मों और किरदारों को स्वीकार करते हैं.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आगे भी लोग ऐसी फ़िल्मों को पसंद करेंगे क्योंकि हम फिर प्रोत्साहित होंगे कि ऐसे किरदार निभाते रहें.
जिन निर्देशकों के साथ आप आजकल काम कर करें हैं, ज़्यादातर युवा निर्देशक हैं. तो क्या उन्हें अपनी बात कहने में कभी किसी तरह की हिचकिचाहट महसूस नहीं होती...आप वरिष्ठ कलाकार हैं और ये निर्देशक आपसे उम्र में काफ़ी छोटे हैं.
मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं
ऐसा कोई भेदभाव नहीं है. मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं.
निर्देशक कैप्टन है जहाज़ का, वो बताता है कि हमें क्या करना चाहिए. मेरे साथ तो ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी न हमें कहा हो कुछ करने के लिए और हमने इनकार कर दिया हो.
इस तरह का वातावरण प्रचलित नहीं है कि मैं चूँकि सिनीयर हूँ तो मुझसे कम उम्र के कलाकार डरेंगे. हम सब एकजुट होकर, एक टीम की तरह काम करते हैं. जो निर्देशक कहता है, मैं उसे करता हूँ. ये मेरा कर्तव्य है एक कलाकार की हैसियत से.
हर क्षेत्र में कोई न कोई शख़्सियत होती है, जिसे लोग बैंचमार्क मान कर चलते हैं. क्रिकेट में शायद कुछ लोगों के लिए वो मानक सचिन तेंदुलकर या कपिल देव हों. अभिनय में कई लोगों के लिए वो मानक आप हैं. लेकिन ख़ुद अमिताभ बच्चन के लिए वो मानक क्या है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा
इस तरह की धारणाओं में मुझे विश्वास नहीं है. हर इंसान अपने आप में अलग होता है. उसकी तरह सोचने वाला, दिखने वाला दूसरा व्यक्ति तो होता नहीं. हाँ ये ज़रूर है कि समाज में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं. इसमें कोई बुरी बात नहीं है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा. प्रतिदिन यही कोशिश रहती है कि किस तरह उन कमियों को, ख़ामियों को दूर कर सकूँ.
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सेलिब्रिटी होने के नाते आप हमेशा लोगों और मीडिया की नज़रों में रहते हैं. आप क्या करते हैं, कहाँ गए, किससे मिले, किस मंदिर में गए..सब चीज़ों पर लोगों की नज़र रहती है और लोग टिप्पणी भी करते रहते हैं.. क्या इससे आपको किसी तरह की परेशानी या एतराज़ होता है?
इसमें हमें कोई एतराज़ नहीं हैं. यदि मीडिया हमारे बारे में जानकारी हासिल करना चाहता है, तस्वीरें लेता है तो उसे हम कहाँ रोक सकते हैं.
ये तो पब्लिक डोमेन है और वो सबके लिए है.
हाँ हमारे घर के अंदर हम जो भी करें वो अलग बात है.
यदि हम बाहर जाते हैं तो मीडिया को पूरी छूट है कि वो हमारे बारे में लिखे या जो भी उसकी धारणा है उसका प्रचार करे.
भारत को आज़ाद हुए 60 वर्ष हो चुके हैं. आज की तारीख़ में कैसे देखते हैं आप भारत और भारतीय सिनेमा को.
हर वर्ष भारतीय सिनेमा प्रगति कर रहा है. जिस तरह भारतीय सिनेमा का प्रचार हो रहा है,दूसरे देशों के लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं ये सब बातें सिनेमा के लिए अच्छी हैं. मैं उम्मीद करता हूँ कि हम इसी तरह प्रगति करते जाएँ और विश्व में हमारा झंड़ा और ऊँचा हो.
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Sunday, June 17, 2007
BBCHindi.com | विश्व समाचार | खरगोशों ने बंद कर�
BBCHindi.com विश्व समाचार खरगोशों ने बंद कर�: "खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा"
खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा
हवाईअड्डे पर खरगोशों की संख्या लगातार बढ़ रही है
इटली के शहर मिलान के लिनाटे हवाईअड्डे के अधिकारियों को एक अजीब समस्या से जूझना पड़ रहा है. अधिकारियों को यहाँ कई उड़ानें स्थगित करनी पड़ी हैं-वजह है खरगोशों की उछल कूद.
रविवार को खरगोशों ने लिनाटे हवाईअड्डे के रनवे पर मानो धावा बोल दिया जिसके कारण वहाँ कामकाज पर असर पडा.
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि रविवार को तीन घंटों के लिए हवाईअड्डा बंद करने का फ़ैसला किया गया ताकि वन्यजीव से जुड़े अधिकारी क़रीब 80 खरगोशों को पकड़ सकें.
कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वहाँ पिछले कुछ महीनों में खरगोशों की संख्या इतनी क्यों बढ़ी है.
निदान
हवाईअड्डे पर खरगोशों की बढ़ती संख्या के पीछे कारण कुछ भी हो लेकिन इसका असर हवाईअड्डे पर पड़ रहा है. पिछले दो हफ़्तों के दौरान ही दो खरगोश चार्टर विमानों के पहिए के नीचे आ गए.
इन खरगोशों के चलते रडार की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है. ये रडार विशेष तौर पर लगाई गई है ताकि यहाँ विमान दुर्घटना न हो.
जो लोग भी जल्द मिलान जाना चाहते हैं,उनके लिए ये हवाईअड्डा काफ़ी सुविधाजनक है. ये शहर के केंद्र से सिर्फ़ पाँच किलोमीटर की दूरी पर है. मिलान के अन्य हवाईअड्डों से शहर पहुँचने में काफ़ी समय लगता है.
वन्यजीव अधिकारी अगर खरगोशों को पकड़ने में सफल हो गए तो, उन्हें मिलान के पास के अभ्यारण्य में ले जाया जाएगा.
हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो खरगोशों को मारना भी पड़ सकता है.
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खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा
हवाईअड्डे पर खरगोशों की संख्या लगातार बढ़ रही है
इटली के शहर मिलान के लिनाटे हवाईअड्डे के अधिकारियों को एक अजीब समस्या से जूझना पड़ रहा है. अधिकारियों को यहाँ कई उड़ानें स्थगित करनी पड़ी हैं-वजह है खरगोशों की उछल कूद.
रविवार को खरगोशों ने लिनाटे हवाईअड्डे के रनवे पर मानो धावा बोल दिया जिसके कारण वहाँ कामकाज पर असर पडा.
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि रविवार को तीन घंटों के लिए हवाईअड्डा बंद करने का फ़ैसला किया गया ताकि वन्यजीव से जुड़े अधिकारी क़रीब 80 खरगोशों को पकड़ सकें.
कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वहाँ पिछले कुछ महीनों में खरगोशों की संख्या इतनी क्यों बढ़ी है.
निदान
हवाईअड्डे पर खरगोशों की बढ़ती संख्या के पीछे कारण कुछ भी हो लेकिन इसका असर हवाईअड्डे पर पड़ रहा है. पिछले दो हफ़्तों के दौरान ही दो खरगोश चार्टर विमानों के पहिए के नीचे आ गए.
इन खरगोशों के चलते रडार की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है. ये रडार विशेष तौर पर लगाई गई है ताकि यहाँ विमान दुर्घटना न हो.
जो लोग भी जल्द मिलान जाना चाहते हैं,उनके लिए ये हवाईअड्डा काफ़ी सुविधाजनक है. ये शहर के केंद्र से सिर्फ़ पाँच किलोमीटर की दूरी पर है. मिलान के अन्य हवाईअड्डों से शहर पहुँचने में काफ़ी समय लगता है.
वन्यजीव अधिकारी अगर खरगोशों को पकड़ने में सफल हो गए तो, उन्हें मिलान के पास के अभ्यारण्य में ले जाया जाएगा.
हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो खरगोशों को मारना भी पड़ सकता है.
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Tuesday, June 12, 2007
BBCHindi.com | खेल की दुनिया | धोनी दुनिया के चौ�
BBCHindi.com खेल की दुनिया धोनी दुनिया के चौ�
भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी आईसीसी बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं. धोनी ने एफ़्रो-एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया था.
दूसरी ओर उन्हें आयरलैंड और इंग्लैंड के वनडे मैचों के लिए भारतीय टीम का उपकप्तान घोषित किया गया है.
उन्होंने एफ़्रो-एशिया कप के चेन्नई में रविवार को हुए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में नाबाद 139 रन की पारी खेली थी.
यह किसी भी सातवें नंबर के बल्लेबाज का सर्वाधिक एक दिवसीय स्कोर है.
इंग्लैंड के केविन पीटरसन शीर्ष स्थान पर हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग दूसरे नंबर पर और ऑस्ट्रेलिया के ही माइकल हसी तीसरे स्थान पर हैं.
आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ आठवें स्थान पर हैं और लेग स्पिनर अनिल कुंबले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर हैं.
आस्ट्रेलिया के आलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स शीर्ष दस बल्लेबाजों में लौट आए हैं जबकि श्रीलंका के सनथ जयसूर्या एफ्रो-एशिया कप में फीके प्रदर्शन के कारण 13वें स्थान पर पहुँच गए हैं.
इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर मोंटी पनेसर वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में शानदार प्रदर्शन से 14 स्थानों की छलांग लगाकर 12 वें स्थान पर पहुंच गए हैं.
पनेसर ने तीसरे टेस्ट में कुल दस विकेट लेकर इंग्लैंड को वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ जीत दिला दी थी.
गेंदबाजों में शीर्ष पर श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन हैं. दक्षिण अफ्रीका के मखाया एंटिनी दूसरे स्थान पर हैं.
भारत के अनिल कुंबले और दक्षिण अफ़्रीका के पोलाक संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
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भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी आईसीसी बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं. धोनी ने एफ़्रो-एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया था.
दूसरी ओर उन्हें आयरलैंड और इंग्लैंड के वनडे मैचों के लिए भारतीय टीम का उपकप्तान घोषित किया गया है.
उन्होंने एफ़्रो-एशिया कप के चेन्नई में रविवार को हुए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में नाबाद 139 रन की पारी खेली थी.
यह किसी भी सातवें नंबर के बल्लेबाज का सर्वाधिक एक दिवसीय स्कोर है.
इंग्लैंड के केविन पीटरसन शीर्ष स्थान पर हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग दूसरे नंबर पर और ऑस्ट्रेलिया के ही माइकल हसी तीसरे स्थान पर हैं.
आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ आठवें स्थान पर हैं और लेग स्पिनर अनिल कुंबले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर हैं.
आस्ट्रेलिया के आलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स शीर्ष दस बल्लेबाजों में लौट आए हैं जबकि श्रीलंका के सनथ जयसूर्या एफ्रो-एशिया कप में फीके प्रदर्शन के कारण 13वें स्थान पर पहुँच गए हैं.
इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर मोंटी पनेसर वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में शानदार प्रदर्शन से 14 स्थानों की छलांग लगाकर 12 वें स्थान पर पहुंच गए हैं.
पनेसर ने तीसरे टेस्ट में कुल दस विकेट लेकर इंग्लैंड को वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ जीत दिला दी थी.
गेंदबाजों में शीर्ष पर श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन हैं. दक्षिण अफ्रीका के मखाया एंटिनी दूसरे स्थान पर हैं.
भारत के अनिल कुंबले और दक्षिण अफ़्रीका के पोलाक संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
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Monday, June 11, 2007
Welcome to Yahoo! Hindi
Welcome to Yahoo! Hindi: "'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता"
'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'
पं. अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्म 'गैंगस्टर' से फिल्मी जगत में प्रवेश करने वाली खूबसूरत बाला कंगना राणावत का जादू दर्शकों पर पहली बार में ही चल गया और वे अभी बहुत सी फिल्मों में आ रही हैं तो आइए जानते हैं कि क्या कह रहे हैं इनके सितारे- कंगना का जन्म 20 मार्च 1987 को वृषभ लग्न, मेष नवांश, वृश्चिक राशि में हुआ। वृषभ लग्न वालों के लिए नवम भाग्य भाव में मकर राशि होती है, जहाँ लग्न का स्वामी बैठा है, इसके कारण ही आपका फिल्मों में प्रवेश हुआ। वृषभ लग्न की लड़कियाँ मध्यम कद-काठी वाली तथा रंग रूप में के भाग्य में स्थित होने व भाग्येश का लग्न को पराक्रमेश चंद्र की उच्च दृष्टि से देखने के कारण कंगना पर भाग्य की मेहरबानी है। मनोरंजन का स्वामी चतुर्थ भाव को देखे या चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थ भाव से संबंध रखता हो तो ऐसा जातक जनता के बीच अपनी प्रसिद्धि बनाए रखता है व प्रसिद्ध भी होता है। आपकी पत्रिका में सप्तमेश मंगल स्वराशि का होकर द्वादश भाव में है, अतः बाहर से काफी परिश्रम कर सफलता का कारक बनता है। 2006 में बुध की महादशा चलने के कारण उन्हें 'फिल्म फेयर फेस ऑफ द ईयर' का अवॉर्ड प्राप्त हुआ। कलाजगत में सफलता पाने के लिए लग्नेश, पंचमेश, भाग्येश का बलवान होना आवश्यक होता है। आपकी कुंडली में पत्रिका में पंचमेश मनोरंजन भाव व धन, कुटुंब, वाणीभाव का स्वामी बुध शनि की मित्र राशि कुंभ में होकर कर्म दशम भाव में विराजमान होकर चतुर्थ जनता, भूमि, भवन सुख भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। एकादश भाव में स्वराशिस्थ गुरु, सुखेश सूर्य व राहू के साथ होने से आय उत्तम रहती है। किसी भी कलाकार के लिए शुक्र, पंचमेश व भाग्येश के साथ चतुर्थेश का बलवान होना आवश्यक रहता है, तभी अच्छी सफलता का कारण बनता है। वैसे शुक्र, पंचमेश बुध बलशाली है, लेकिन भाग्येश शनि मंगल से अष्टम दृष्टि से संबंध रखने के कारण भाग्य में कुछ कमी आती है अतः मंगल को कमजोर करना चाहिए।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
आरती छाबड़िया - पन्ना व नीलम अनुकूल
•
जूही बब्बर-भविष्य उज्ज्वल
•
रिया सेन-सफलता के उत्तम योग
•
ग्रह बनेंगे सहयोगी लालूप्रसाद के
•
जाने-माने लोगों पर कर्क का शनि
•
शिबू सोरेन-कष्ट का समय
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'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'
पं. अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्म 'गैंगस्टर' से फिल्मी जगत में प्रवेश करने वाली खूबसूरत बाला कंगना राणावत का जादू दर्शकों पर पहली बार में ही चल गया और वे अभी बहुत सी फिल्मों में आ रही हैं तो आइए जानते हैं कि क्या कह रहे हैं इनके सितारे- कंगना का जन्म 20 मार्च 1987 को वृषभ लग्न, मेष नवांश, वृश्चिक राशि में हुआ। वृषभ लग्न वालों के लिए नवम भाग्य भाव में मकर राशि होती है, जहाँ लग्न का स्वामी बैठा है, इसके कारण ही आपका फिल्मों में प्रवेश हुआ। वृषभ लग्न की लड़कियाँ मध्यम कद-काठी वाली तथा रंग रूप में के भाग्य में स्थित होने व भाग्येश का लग्न को पराक्रमेश चंद्र की उच्च दृष्टि से देखने के कारण कंगना पर भाग्य की मेहरबानी है। मनोरंजन का स्वामी चतुर्थ भाव को देखे या चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थ भाव से संबंध रखता हो तो ऐसा जातक जनता के बीच अपनी प्रसिद्धि बनाए रखता है व प्रसिद्ध भी होता है। आपकी पत्रिका में सप्तमेश मंगल स्वराशि का होकर द्वादश भाव में है, अतः बाहर से काफी परिश्रम कर सफलता का कारक बनता है। 2006 में बुध की महादशा चलने के कारण उन्हें 'फिल्म फेयर फेस ऑफ द ईयर' का अवॉर्ड प्राप्त हुआ। कलाजगत में सफलता पाने के लिए लग्नेश, पंचमेश, भाग्येश का बलवान होना आवश्यक होता है। आपकी कुंडली में पत्रिका में पंचमेश मनोरंजन भाव व धन, कुटुंब, वाणीभाव का स्वामी बुध शनि की मित्र राशि कुंभ में होकर कर्म दशम भाव में विराजमान होकर चतुर्थ जनता, भूमि, भवन सुख भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। एकादश भाव में स्वराशिस्थ गुरु, सुखेश सूर्य व राहू के साथ होने से आय उत्तम रहती है। किसी भी कलाकार के लिए शुक्र, पंचमेश व भाग्येश के साथ चतुर्थेश का बलवान होना आवश्यक रहता है, तभी अच्छी सफलता का कारण बनता है। वैसे शुक्र, पंचमेश बुध बलशाली है, लेकिन भाग्येश शनि मंगल से अष्टम दृष्टि से संबंध रखने के कारण भाग्य में कुछ कमी आती है अतः मंगल को कमजोर करना चाहिए।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
आरती छाबड़िया - पन्ना व नीलम अनुकूल
•
जूही बब्बर-भविष्य उज्ज्वल
•
रिया सेन-सफलता के उत्तम योग
•
ग्रह बनेंगे सहयोगी लालूप्रसाद के
•
जाने-माने लोगों पर कर्क का शनि
•
शिबू सोरेन-कष्ट का समय
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Thursday, June 7, 2007
BBCHindi.com | विज्ञान | अब बिना तार बिजली....
BBCHindi.com विज्ञान अब बिना तार बिजली....: "अब बिना तार बिजली...."
अब बिना तार बिजली....
उपकरण चालू हुआ तो दीवार के पार रखा बल्ब भी जल उठा
अमरीका में वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने हवा में बिजली भेजने का उपाय ढूँढ़ लिया है.
इसका मतलब यह है कि उन्होंने दो उपकरणों के बीच बिना तार या केबल के बिजली भेजने में सफलता पाई है.
इस नई तकनीक से हमारे घरों में बिजली से चलने वाले तमाम उपकरणों के लिए अब प्लग लगाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगी.
'साइंस' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने साठ वॉट के एक बल्ब को बिना तारों से जोड़े दो मीटर दूरी से जला लिया.
वाइ-ट्राइसिटी
अब तक हम 'वाइ-फ़ाइ' सिस्टम के बारे में सुनते आए थे. इस तकनीक से कप्यूटर पर इंटरनेट चलाने के लिए इसे केबल से जोड़ने की ज़रूरत नहीं होती. इसे सिर्फ़ बिजली के केबल से जोड़ने की ज़रूरत होती है.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसकी भी ज़रुरत ख़त्म कर दी है. और इस तकनीक को नाम दिया गया है 'वाई-ट्राइसिटी'.
इस तकनीक को सफलता पूर्वक ढूँढ़ा है मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने.
उन्होंने इसे सिद्धांत रुप में वर्ष 2006 में मान लिया था लेकिन इसका व्यावहारिक प्रदर्शन अब जाकर किया गया है.
इस प्रयोग में शामिल सहायक प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक ने कहा, "हमे सिद्धांतों पर पूरा भरोसा था लेकिन प्रयोग से ही इसकी जाँच होती है."
इस प्रयोग को देख चुके इंपीरियल कॉलेज लंदन के सर जॉन पेंड्री ने कहा, "इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका आविष्कार वो लोग दस या बीस साल पहले नहीं कर सकते थे."
लेकिन उनका कहना है कि यह समय की भी बात थी. अब सब कुछ मोबाइल हो चुका है और केबल हट गए हैं. हर उपकरण को सिर्फ़ बिजली की ज़रूरत होती है, ऐसे में बिजली का केबल ही वह केबल था जिसे हटाया जाना ज़रुरी था.
कैसे काम करता है
वैज्ञानिकों ने प्रयोग के तौर पर एक बल्ब जलाकर देखा है.
इसके लिए ताँबे के दो क़्वाइल होते हैं. एक बिजली के स्रोत के पास और दूसरा उस उपकरण के पास जिसे बिजली की ज़रुरत है.
उन्हें 'मैगनेटिक रेज़ोनेटर्स' कहा गया है.
जैसा कि नाम से ज़ाहिर है यह कंपन के सिद्धांत पर काम करता है. जब बिजली के स्रोत वाला क्वाइल चुंबकीय तरंग भेजता है तो दूसरे छोर पर रखा क्वाइल इस तंरग से कंपित होने लगता है.
जब दोनों क्वाइल के कंपन मिल जाते हैं तो दोनों के बीच बिजली का प्रवाह शुरु हो जाता है.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक कहते हैं यह ठीक वैसा ही जैसा कि कोई ओपरा सिंगर अपनी आवाज़ के कंपन से वाइन के ग्लास को चटखा दे.
1.स्रोत से बिजली दी गई. 2.एंटेना में कंपन शुरु हुआ. 3. तरंगे बहनी शुऱु हुईं. 4. तरंगों को दूसरी ओर के एंटेना ने पहचाना और कंपन करने लगा. 5. जितनी बिजली का उपयोग लैपटॉप ने नहीं किया वह वापस स्रोत में चली गई.
पहले भी हुए प्रयोग
हालांकि एमआईटी की टीम ऐसी पहली टीम नहीं है जो बिना तार की बिजली पर काम कर रही है.
इससे पहले उन्नीसवीं सदी में एक भौतिक विज्ञानी निकोला टेस्ला ने ऐसा एक प्रयोग करने की कोशिश की थी. वे 29 मीटर टॉवर से ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका प्रयोग अधूरा ही रह गया था क्योंकि उनके पास पैसे ख़त्म हो गए थे.
इसके बाद जो भी प्रयोग हुए उनमें लेज़र के सहारे बिजली भेजने की कोशिश की गई. लेकिन इसके लिए दोनों सिरों को आमने सामने रखना ज़रूरी था, इसलिए वह सफल नहीं हुआ.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक का कहना है कि अब इसमें सुधार करने की ज़रुरत है.
वे कहते हैं कि इन क्वाइलों के आकार घटाने होंगे और इनकी क्षमता बढ़ानी होगी ताकि यह दूर तक काम कर सके.
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अब बिना तार बिजली....
उपकरण चालू हुआ तो दीवार के पार रखा बल्ब भी जल उठा
अमरीका में वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने हवा में बिजली भेजने का उपाय ढूँढ़ लिया है.
इसका मतलब यह है कि उन्होंने दो उपकरणों के बीच बिना तार या केबल के बिजली भेजने में सफलता पाई है.
इस नई तकनीक से हमारे घरों में बिजली से चलने वाले तमाम उपकरणों के लिए अब प्लग लगाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगी.
'साइंस' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने साठ वॉट के एक बल्ब को बिना तारों से जोड़े दो मीटर दूरी से जला लिया.
वाइ-ट्राइसिटी
अब तक हम 'वाइ-फ़ाइ' सिस्टम के बारे में सुनते आए थे. इस तकनीक से कप्यूटर पर इंटरनेट चलाने के लिए इसे केबल से जोड़ने की ज़रूरत नहीं होती. इसे सिर्फ़ बिजली के केबल से जोड़ने की ज़रूरत होती है.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसकी भी ज़रुरत ख़त्म कर दी है. और इस तकनीक को नाम दिया गया है 'वाई-ट्राइसिटी'.
इस तकनीक को सफलता पूर्वक ढूँढ़ा है मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने.
उन्होंने इसे सिद्धांत रुप में वर्ष 2006 में मान लिया था लेकिन इसका व्यावहारिक प्रदर्शन अब जाकर किया गया है.
इस प्रयोग में शामिल सहायक प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक ने कहा, "हमे सिद्धांतों पर पूरा भरोसा था लेकिन प्रयोग से ही इसकी जाँच होती है."
इस प्रयोग को देख चुके इंपीरियल कॉलेज लंदन के सर जॉन पेंड्री ने कहा, "इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका आविष्कार वो लोग दस या बीस साल पहले नहीं कर सकते थे."
लेकिन उनका कहना है कि यह समय की भी बात थी. अब सब कुछ मोबाइल हो चुका है और केबल हट गए हैं. हर उपकरण को सिर्फ़ बिजली की ज़रूरत होती है, ऐसे में बिजली का केबल ही वह केबल था जिसे हटाया जाना ज़रुरी था.
कैसे काम करता है
वैज्ञानिकों ने प्रयोग के तौर पर एक बल्ब जलाकर देखा है.
इसके लिए ताँबे के दो क़्वाइल होते हैं. एक बिजली के स्रोत के पास और दूसरा उस उपकरण के पास जिसे बिजली की ज़रुरत है.
उन्हें 'मैगनेटिक रेज़ोनेटर्स' कहा गया है.
जैसा कि नाम से ज़ाहिर है यह कंपन के सिद्धांत पर काम करता है. जब बिजली के स्रोत वाला क्वाइल चुंबकीय तरंग भेजता है तो दूसरे छोर पर रखा क्वाइल इस तंरग से कंपित होने लगता है.
जब दोनों क्वाइल के कंपन मिल जाते हैं तो दोनों के बीच बिजली का प्रवाह शुरु हो जाता है.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक कहते हैं यह ठीक वैसा ही जैसा कि कोई ओपरा सिंगर अपनी आवाज़ के कंपन से वाइन के ग्लास को चटखा दे.
1.स्रोत से बिजली दी गई. 2.एंटेना में कंपन शुरु हुआ. 3. तरंगे बहनी शुऱु हुईं. 4. तरंगों को दूसरी ओर के एंटेना ने पहचाना और कंपन करने लगा. 5. जितनी बिजली का उपयोग लैपटॉप ने नहीं किया वह वापस स्रोत में चली गई.
पहले भी हुए प्रयोग
हालांकि एमआईटी की टीम ऐसी पहली टीम नहीं है जो बिना तार की बिजली पर काम कर रही है.
इससे पहले उन्नीसवीं सदी में एक भौतिक विज्ञानी निकोला टेस्ला ने ऐसा एक प्रयोग करने की कोशिश की थी. वे 29 मीटर टॉवर से ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका प्रयोग अधूरा ही रह गया था क्योंकि उनके पास पैसे ख़त्म हो गए थे.
इसके बाद जो भी प्रयोग हुए उनमें लेज़र के सहारे बिजली भेजने की कोशिश की गई. लेकिन इसके लिए दोनों सिरों को आमने सामने रखना ज़रूरी था, इसलिए वह सफल नहीं हुआ.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक का कहना है कि अब इसमें सुधार करने की ज़रुरत है.
वे कहते हैं कि इन क्वाइलों के आकार घटाने होंगे और इनकी क्षमता बढ़ानी होगी ताकि यह दूर तक काम कर सके.
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Wednesday, June 6, 2007
BBCHindi.com | भारत और पड़ोस | विवाहेत्तर संबं�
BBCHindi.com भारत और पड़ोस विवाहेत्तर संबं�: "विवाहेत्तर संबंध बनाने पर मिली सज़ा-ए-मौत"
पाकिस्तान में एक कबायली पंचायत ने एक महिला और तीन पुरुषों को विवाहेत्तर संबंधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सरेआम गोली मार दी.
मौत की सज़ा का ये फरमान अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे गाँव ख़ैबर की पंचायत यानी जिरगा ने सुनाया.
पाकिस्तान में विवाहेत्तर संबंध अपराध है और अक्सर कबायली पंचायतें इस अपराध में लिप्त लोगों को मौत की सज़ा से दंडित करती हैं.
पिछले साल पाकिस्तान ने बलात्कार और व्याभिचार से संबंधित इस्लामिक क़ानून में संशोधन को मंजूरी दी थी.
नए क़ानून में विवाहेत्तर संबंधों के अपराध में मौत की सज़ा के प्रावधान को हटा दिया गया है.
चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया
हाजी जान गुल, स्थानीय निवासी
ख़ैबर के एक ग्रामीण हाजी जान गुल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "हमने एक पुरुष और एक औरत को आपत्तिजनक अवस्था में पाया. इन दोनो के साथ एक पुरुष और था जो शराब के नशे में था और महिला के साथ पहले ही शारीरिक संबंध बना चुका था. इस काम में मालिक मकान भी लिप्त था."
उन्होंने कहा, "चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया."
ख़बरों के अनुसार जिस वक़्त इन लोगों को गोली मारी गई, उस दौरान वहाँ लगभग 600 लोग मौजूद थे.
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पाकिस्तान में एक कबायली पंचायत ने एक महिला और तीन पुरुषों को विवाहेत्तर संबंधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सरेआम गोली मार दी.
मौत की सज़ा का ये फरमान अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे गाँव ख़ैबर की पंचायत यानी जिरगा ने सुनाया.
पाकिस्तान में विवाहेत्तर संबंध अपराध है और अक्सर कबायली पंचायतें इस अपराध में लिप्त लोगों को मौत की सज़ा से दंडित करती हैं.
पिछले साल पाकिस्तान ने बलात्कार और व्याभिचार से संबंधित इस्लामिक क़ानून में संशोधन को मंजूरी दी थी.
नए क़ानून में विवाहेत्तर संबंधों के अपराध में मौत की सज़ा के प्रावधान को हटा दिया गया है.
चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया
हाजी जान गुल, स्थानीय निवासी
ख़ैबर के एक ग्रामीण हाजी जान गुल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "हमने एक पुरुष और एक औरत को आपत्तिजनक अवस्था में पाया. इन दोनो के साथ एक पुरुष और था जो शराब के नशे में था और महिला के साथ पहले ही शारीरिक संबंध बना चुका था. इस काम में मालिक मकान भी लिप्त था."
उन्होंने कहा, "चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया."
ख़बरों के अनुसार जिस वक़्त इन लोगों को गोली मारी गई, उस दौरान वहाँ लगभग 600 लोग मौजूद थे.
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BBCHindi.com | पत्रिका | क्योंकि स्मृति ही कभी �
BBCHindi.com पत्रिका क्योंकि स्मृति ही कभी �
हिंदी टेलीविज़न के सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक क्योंकि सास भी कभी बहू थी के दर्शक अब गुरुवार से स्मृति ईरानी को तुलसी के रूप में नहीं देख पाएँगे.
स्मृति ने सात साल इस भूमिका को जिया है. एक नवयुवती से पत्नी, माँ, सास और अब दादी के रूप में उन्होंने अपने चरित्र के साथ पूरा न्याय किया.
स्मृति मल्होत्रा से स्मृति ईरानी तक की यात्रा में हालाँकि उन्होंने अनेक भूमिकाएँ निभाईं लेकिन तुलसी का किरदार दर्शकों के मन में उतर गया.
वह बा या तुलसी का रिश्ता हो या मिहिर और तुलसी के संबंधों का उतार-चढ़ाव, स्मृति ने इस यात्रा को बख़ूबी जिया.
कुछ समय पहले उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउज़ की शुरुआत की और उनके नए धारावाहिक विरुद्ध को भी दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया.
काफ़ी समय से इस तरह की ख़बरें आ रही थीं कि स्मृति के इस नए प्रयास से उनके और बालाजी टेलीफ़िल्म्स की एकता कपूर के बीच तनाव पैदा हो गया है.
ख़ैर, वजह जो रही हो, स्मृति अब तुलसी के रूप में नज़र नहीं आएँगी.
उनकी ख़ाली जगह को भरने के लिए कई नाम सामने आए जिनमें पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लों, जूही चावला और गौतमी गाडगिल के नाम शामिल थे.
अब सुना जा रहा है कि गौतमी के नाम पर सहमति हो गई है और अब क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि नई तुलसी गौतमी ही होंगी.
दर्शकों ने इसी सीरियल में मिहिर की भूमिका में अमर उपाध्याय के बाद रौनित रॉय को भी स्वीकार कर लिया था और बालाजी टेलीफ़िल्म्स के अधिकारियों का मानना है कि इस बार भी ऐसा ही होगा.
स्मृति ने कुछ समय पहले राजनीति में क़दम रखा था और वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालाँकि उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था.
अब क्योंकि...से नाता तोड़ने के बाद हो सकता है स्मृति ईरानी को अपने कुछ अधूरे कामों को अंजाम देने के लिए ज़्यादा समय मिल सके.
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हिंदी टेलीविज़न के सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक क्योंकि सास भी कभी बहू थी के दर्शक अब गुरुवार से स्मृति ईरानी को तुलसी के रूप में नहीं देख पाएँगे.
स्मृति ने सात साल इस भूमिका को जिया है. एक नवयुवती से पत्नी, माँ, सास और अब दादी के रूप में उन्होंने अपने चरित्र के साथ पूरा न्याय किया.
स्मृति मल्होत्रा से स्मृति ईरानी तक की यात्रा में हालाँकि उन्होंने अनेक भूमिकाएँ निभाईं लेकिन तुलसी का किरदार दर्शकों के मन में उतर गया.
वह बा या तुलसी का रिश्ता हो या मिहिर और तुलसी के संबंधों का उतार-चढ़ाव, स्मृति ने इस यात्रा को बख़ूबी जिया.
कुछ समय पहले उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउज़ की शुरुआत की और उनके नए धारावाहिक विरुद्ध को भी दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया.
काफ़ी समय से इस तरह की ख़बरें आ रही थीं कि स्मृति के इस नए प्रयास से उनके और बालाजी टेलीफ़िल्म्स की एकता कपूर के बीच तनाव पैदा हो गया है.
ख़ैर, वजह जो रही हो, स्मृति अब तुलसी के रूप में नज़र नहीं आएँगी.
उनकी ख़ाली जगह को भरने के लिए कई नाम सामने आए जिनमें पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लों, जूही चावला और गौतमी गाडगिल के नाम शामिल थे.
अब सुना जा रहा है कि गौतमी के नाम पर सहमति हो गई है और अब क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि नई तुलसी गौतमी ही होंगी.
दर्शकों ने इसी सीरियल में मिहिर की भूमिका में अमर उपाध्याय के बाद रौनित रॉय को भी स्वीकार कर लिया था और बालाजी टेलीफ़िल्म्स के अधिकारियों का मानना है कि इस बार भी ऐसा ही होगा.
स्मृति ने कुछ समय पहले राजनीति में क़दम रखा था और वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालाँकि उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था.
अब क्योंकि...से नाता तोड़ने के बाद हो सकता है स्मृति ईरानी को अपने कुछ अधूरे कामों को अंजाम देने के लिए ज़्यादा समय मिल सके.
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Monday, June 4, 2007
शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
Welcome to Yahoo! Hindi: "शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में"
शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
पेरिस (भाषा), सोमवार, 4 जून 2007
रूस की धुरंधर टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा ने कड़े मुकाबले में दो मैच प्वाइंट बचाने के बाद पैटी श्नाइडर को 3-6, 6-4, 9-7 से शिकस्त देकर फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।कल अंतिम सेट में 7-7 की बराबरी के बाद 30-0 पर सर्विस करते समय एक विवादास्पद अंक शारापोवा के पक्ष में जाने पर उन्हें दर्शकों के तानों का भी सामना करना पड़ा। श्नाइडर ने शारापोवा की सर्विस होने के बाद कहा कि उन्होंने हाथ उठाकर कुछ समय के लिए ब्रेक माँगा था। अंपायर ने अंक शारापोवा को दिया जो प्रतियोगिता में उनका पहला ऐस था। शारापोवा ने बाद में कहा कि सर्विस करने से पहले उन्होंने श्नाइडर का हाथ नहीं देखा था और जो हुआ उसके लिए उन्हें कोई खेद नहीं है।श्नाइडर दसवें और 14वें गेम में मैच जीतने से मात्र एक अंक दूर थी। इसके अलावा वह 11 मौकों पर जीत से दो कदम दूर थी लेकिन शारापोवा ने सकारात्मक रहते हुए खतरे को टाला और जीत हासिल की। अगले दौर में शारापोवा का मुकाबला अना चाकवेताजे से होगा जिन्होंने चेक गणराज्य की लूसी सफारोवा को 6-4, 0-6, 6-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।(एपी)
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
डोपिंगमुक्त राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कड़े उपाय
•
मैच के बाद मची भगदड़, 12 मरे
•
जमैका पुलिस की जाँच की खिल्ली उड़ाई
•
'कप्तानी के लिए तैयार हूँ'
•
साजिद महमूद सीरीज से बाहर
•
शतरंज का भविष्य उज्ज्वल: आनंद
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शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
पेरिस (भाषा), सोमवार, 4 जून 2007
रूस की धुरंधर टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा ने कड़े मुकाबले में दो मैच प्वाइंट बचाने के बाद पैटी श्नाइडर को 3-6, 6-4, 9-7 से शिकस्त देकर फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।कल अंतिम सेट में 7-7 की बराबरी के बाद 30-0 पर सर्विस करते समय एक विवादास्पद अंक शारापोवा के पक्ष में जाने पर उन्हें दर्शकों के तानों का भी सामना करना पड़ा। श्नाइडर ने शारापोवा की सर्विस होने के बाद कहा कि उन्होंने हाथ उठाकर कुछ समय के लिए ब्रेक माँगा था। अंपायर ने अंक शारापोवा को दिया जो प्रतियोगिता में उनका पहला ऐस था। शारापोवा ने बाद में कहा कि सर्विस करने से पहले उन्होंने श्नाइडर का हाथ नहीं देखा था और जो हुआ उसके लिए उन्हें कोई खेद नहीं है।श्नाइडर दसवें और 14वें गेम में मैच जीतने से मात्र एक अंक दूर थी। इसके अलावा वह 11 मौकों पर जीत से दो कदम दूर थी लेकिन शारापोवा ने सकारात्मक रहते हुए खतरे को टाला और जीत हासिल की। अगले दौर में शारापोवा का मुकाबला अना चाकवेताजे से होगा जिन्होंने चेक गणराज्य की लूसी सफारोवा को 6-4, 0-6, 6-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।(एपी)
(स्रोत - वेबदुनिया)
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डोपिंगमुक्त राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कड़े उपाय
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मैच के बाद मची भगदड़, 12 मरे
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जमैका पुलिस की जाँच की खिल्ली उड़ाई
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'कप्तानी के लिए तैयार हूँ'
•
साजिद महमूद सीरीज से बाहर
•
शतरंज का भविष्य उज्ज्वल: आनंद
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Friday, June 1, 2007
BBCHindi.com | कारोबार | अंबानी का आलीशान महल
BBCHindi.com कारोबार अंबानी का आलीशान महल: "अंबानी का आलीशान महल"
भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने लिए एक नई इमारत बनवा रहे हैं, इस इमारत की हर बात ख़ास है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी की इस हवेली में कुछ 600 कर्मचारी होंगे जो परिवार के छह सदस्यों की देखभाल करेंगे.
यह इमारत अगले वर्ष तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस साठ मंज़िला इमारत से पूरी मुंबई का नज़ारा दिखाई देगा.
एक मामूली पेट्रोल पंप अटेंडेंट से देश के नंबर वन उद्योगपति बने धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश और अनिल अंबानी के बीच बँटवारा हो चुका है.
इस इमारत पर लगभग 45 अरब रूपए ख़र्च होंगे, यह ख़बर ऐसे समय पर आई है जबकि हाल ही में मुकेश अंबानी देश के पहले खरबपति बन गए हैं.
बताया गया है कि मुकेश अंबानी समंदर का पूरा नज़ारा लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह ऊँची इमारत बनवाने का फ़ैसला किया.
इस शानदार इमारत की पहली छह मंज़िलों पर कार पार्किंग होगी, उसके बाद वाली दो मंज़िलों पर हेल्थ क्लब, उसके ऊपर वाली मंज़िलों पर उनका अमला रहेगा.
अंबानी परिवार ऊपर वाली मंज़िलों पर रहेगा. परिवार में मुकेश अंबानी की माँ कोकिला बेन, उनकी पत्नी नीता अंबानी और तीन बच्चे हैं.
इस इमारत में कई स्विमिंग पूल तो होंगे ही और यहाँ हेलिकॉप्टरों के उतरने के लिए हैलिपैड भी बनाया जा रहा है.
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि जिस देश में इतनी गरीबी है वहाँ ऐसी इमारत का बनाना धन का अभद्र प्रदर्शन है.
मुकेश अंबानी कुल 20 अरब डॉलर की निजी संपत्ति के मालिक हैं और उनका कारोबार लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है जिसमें रिटेल क्षेत्र भी शामिल है.
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भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने लिए एक नई इमारत बनवा रहे हैं, इस इमारत की हर बात ख़ास है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी की इस हवेली में कुछ 600 कर्मचारी होंगे जो परिवार के छह सदस्यों की देखभाल करेंगे.
यह इमारत अगले वर्ष तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस साठ मंज़िला इमारत से पूरी मुंबई का नज़ारा दिखाई देगा.
एक मामूली पेट्रोल पंप अटेंडेंट से देश के नंबर वन उद्योगपति बने धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश और अनिल अंबानी के बीच बँटवारा हो चुका है.
इस इमारत पर लगभग 45 अरब रूपए ख़र्च होंगे, यह ख़बर ऐसे समय पर आई है जबकि हाल ही में मुकेश अंबानी देश के पहले खरबपति बन गए हैं.
बताया गया है कि मुकेश अंबानी समंदर का पूरा नज़ारा लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह ऊँची इमारत बनवाने का फ़ैसला किया.
इस शानदार इमारत की पहली छह मंज़िलों पर कार पार्किंग होगी, उसके बाद वाली दो मंज़िलों पर हेल्थ क्लब, उसके ऊपर वाली मंज़िलों पर उनका अमला रहेगा.
अंबानी परिवार ऊपर वाली मंज़िलों पर रहेगा. परिवार में मुकेश अंबानी की माँ कोकिला बेन, उनकी पत्नी नीता अंबानी और तीन बच्चे हैं.
इस इमारत में कई स्विमिंग पूल तो होंगे ही और यहाँ हेलिकॉप्टरों के उतरने के लिए हैलिपैड भी बनाया जा रहा है.
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि जिस देश में इतनी गरीबी है वहाँ ऐसी इमारत का बनाना धन का अभद्र प्रदर्शन है.
मुकेश अंबानी कुल 20 अरब डॉलर की निजी संपत्ति के मालिक हैं और उनका कारोबार लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है जिसमें रिटेल क्षेत्र भी शामिल है.
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"फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का"
Welcome to Yahoo! Hindi: "फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का"
फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का
- समय ताम्रकर
निर्माता : फिरोज नाडियाडवालानिर्देशक : अहमद खानसंगीत : हिमेश रेशमियाकलाकार : सनी देओल, शाहिद कपूर, आयशा टाकिया, समीरा रेड्डी, विवेक ओबेरॉय, ओमपुरी, परेश रावल, अरबाज खान, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडे, गुलशन ग्रोवर, शर्मिला टैगोरनिर्माता फिरोज नाडियाडवाला ‘हेराफेरी’ और ‘आवारा पागल दीवाना’ जैसी हिट फिल्मों के बाद ‘फूल एन फाइनल’ नामक फिल्म लेकर हाजिर हो रहे हैं। इस फिल्म से बॉलीवुड को बेहद आशाएँ हैं। फिल्म का निर्देशन अहमद खान ने किया है जो ‘लकीर’ जैसी फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। इस फिल्म में तीन कहानियाँ हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। गैर कानूनी बॉक्सिंग और हीरे की चोरी पर यह फिल्म आधारित है। इस फिल्म में सभी कलाकारों को स्टाइलिश कैरेक्टर के रूप में पेश किया गया है। उदाहरण के लिए सनी देओल कॉमिकल टाइप किरदार निभा रहे हैं।एक हीरा है जिसके पीछे कई लोग पड़े हुए हैं। कुछ लोग इसे प्यार की खातिर पाना चाहते हैं तो कुछ लोग पैसों की खातिर इसे हथियाना चाहते हैं। राजा (शाहिद कपूर) को टीना (आयशा टाकिया) से प्यार है। वह टीना से शादी करना चाहता है लेकिन टीना के मामा चौबे (परेश रावल) ने यह शर्त रख दीं कि वह हीरा लाकर उसे दे और शादी कर ले। राजा हीरा चुराने के लिए सबसे तेज कार चलाने वाले ड्राइवर (जॉनी लीवर) की मदद लेता है। जब बात नहीं बनती तो वह मशहूर मुक्केबाज मुन्ना (सनी देओल) की मदद लेता है। मुन्ना गैर कानूनी बॉक्सिंग एजेंट लकी (विवेक ओबेरॉय) का एक तरह से बॉडी गार्ड रहता है। पायल (समीरा रेड्डी) मुन्ना को चाहती है क्योंकि उसने उसे गुंडों के चंगुल से मुक्त कराया है। हीरे के पीछे रॉकी (चंकी पांडे), चॉक्सी (गुलशन ग्रोवर) और मॉस्को चिकना (अरबाज खान) जैसे लोग भी पड़े रहते हैं। कहानी में जी 9 (जैकी श्रॉफ) की भी अहम् भूमिका है। ढेर सारे चरित्र, ढेर सारी कहानियाँ और कॉमेडी के साथ एक्शन का तड़का इस फिल्म को देखने लायक बनाता है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
झूम बराबर झूम
•
आवारापन : खुशियों की तलाश
•
बॉम्बे टू गोवा : अनोखा सफर
•
द ट्रेन- सम लाइन्स शुड नेवर बी क्रॉस्ड
•
दिल, दोस्ती एटसेट्रा : युवा पीढ़ी का आईना
•
चीनी कम : बेमेल जोड़ी
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फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का
- समय ताम्रकर
निर्माता : फिरोज नाडियाडवालानिर्देशक : अहमद खानसंगीत : हिमेश रेशमियाकलाकार : सनी देओल, शाहिद कपूर, आयशा टाकिया, समीरा रेड्डी, विवेक ओबेरॉय, ओमपुरी, परेश रावल, अरबाज खान, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडे, गुलशन ग्रोवर, शर्मिला टैगोरनिर्माता फिरोज नाडियाडवाला ‘हेराफेरी’ और ‘आवारा पागल दीवाना’ जैसी हिट फिल्मों के बाद ‘फूल एन फाइनल’ नामक फिल्म लेकर हाजिर हो रहे हैं। इस फिल्म से बॉलीवुड को बेहद आशाएँ हैं। फिल्म का निर्देशन अहमद खान ने किया है जो ‘लकीर’ जैसी फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। इस फिल्म में तीन कहानियाँ हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। गैर कानूनी बॉक्सिंग और हीरे की चोरी पर यह फिल्म आधारित है। इस फिल्म में सभी कलाकारों को स्टाइलिश कैरेक्टर के रूप में पेश किया गया है। उदाहरण के लिए सनी देओल कॉमिकल टाइप किरदार निभा रहे हैं।एक हीरा है जिसके पीछे कई लोग पड़े हुए हैं। कुछ लोग इसे प्यार की खातिर पाना चाहते हैं तो कुछ लोग पैसों की खातिर इसे हथियाना चाहते हैं। राजा (शाहिद कपूर) को टीना (आयशा टाकिया) से प्यार है। वह टीना से शादी करना चाहता है लेकिन टीना के मामा चौबे (परेश रावल) ने यह शर्त रख दीं कि वह हीरा लाकर उसे दे और शादी कर ले। राजा हीरा चुराने के लिए सबसे तेज कार चलाने वाले ड्राइवर (जॉनी लीवर) की मदद लेता है। जब बात नहीं बनती तो वह मशहूर मुक्केबाज मुन्ना (सनी देओल) की मदद लेता है। मुन्ना गैर कानूनी बॉक्सिंग एजेंट लकी (विवेक ओबेरॉय) का एक तरह से बॉडी गार्ड रहता है। पायल (समीरा रेड्डी) मुन्ना को चाहती है क्योंकि उसने उसे गुंडों के चंगुल से मुक्त कराया है। हीरे के पीछे रॉकी (चंकी पांडे), चॉक्सी (गुलशन ग्रोवर) और मॉस्को चिकना (अरबाज खान) जैसे लोग भी पड़े रहते हैं। कहानी में जी 9 (जैकी श्रॉफ) की भी अहम् भूमिका है। ढेर सारे चरित्र, ढेर सारी कहानियाँ और कॉमेडी के साथ एक्शन का तड़का इस फिल्म को देखने लायक बनाता है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
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झूम बराबर झूम
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आवारापन : खुशियों की तलाश
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बॉम्बे टू गोवा : अनोखा सफर
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द ट्रेन- सम लाइन्स शुड नेवर बी क्रॉस्ड
•
दिल, दोस्ती एटसेट्रा : युवा पीढ़ी का आईना
•
चीनी कम : बेमेल जोड़ी
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Welcome to Yahoo! Hindi: "शनि की कृपा"
Welcome to Yahoo! Hindi: "शनि की कृपा"
शनि की कृपा
- संत प्रियदर्शी
शनि रहस्यमयी देवता हैं। पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाली आकाशगंगा के नवग्रहों में से सूर्य से दूरी के क्रम से छठवाँ, सात वलयों वाला शनि ग्रह भी रहस्यमयी है। शनि ग्रह को शनि देवता का प्रतीक रूप माना जाता है। इसलिए शनि की उपासना के लिए शनि ग्रह के पूजन का विधान है। आधुनिक विज्ञान के ज्ञान से लोग प्रश्न किया करते हैं कि शनि ग्रह के पूजन से शनिदेव किस प्रकार प्रसन्न हो सकते हैं? लेकिन संपूर्ण दृश्य जगत चिन्मय है और जड़ नाम का कोई तत्व विद्यमान नहीं है। देवता की प्रसन्नता के लिए प्रतीक का पूजन किया जा सकता है, जो फलदायी होता है। शनिदेव की कृपा के लिए शनि यंत्र के रूप में शनि ग्रह ब्रह्मांड में दृष्टिगोचर हैं।शनि ग्रह की गति सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए इन्हें शनैश्चर कहा गया है। शनि भगवान, शनिदेव भी इन्हें ही कहा जाता है। संस्कृत के 'शनये कर्मति सः' का अर्थ है 'जो धीरे चले'। शनि ग्रह सूर्य की पूरी प्रदक्षिणा करने में 30वर्ष लगाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य सहित 9 ग्रह और 12 प्रकार के आकार में दिखने वाले तारा समूह हैं, जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। इस प्रकार शनि ग्रह प्रत्येक राशि पर 2.5 वर्ष व्यतीत करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि अपनी धीमी चाल के कारण जिस राशि में रहता है उसके 2.5 वर्ष, उसकी पूर्व की राशि के 2.5 और पश्चात की राशि के 2.5 वर्ष, इस प्रकार एक राशि पर कुल साढ़े सात वर्ष (7.5) वर्ष तक प्रभाव डालता है। इसे ही शनि की 'साढ़ेसाती' कहते हैं। शनि का प्रभाव भी उसकी राशि पर स्थिति के अनुसार वर्ष के क्रम में कठोर होता चला जाता है। शनि की साढ़ेसाती से लोग भयभीत रहते हैं। यह आत्मावलोकन और कर्मों में सुधार का समय होना चाहिए। शनि देवता और शनि ग्रह लोक मानस में इतना रचे-बसे हैं कि जब-जब शनिदेव की बात चलती है तो वह शनि ग्रह पर केंद्रित होकर रह जाती है। शनिदेव का भय भी लोगों को बहुत सताता है। यह प्रबुद्धजनों को तय करना चाहिए कि देवता की कृपा चाहिए कि ग्रह की कुदृष्टि से बचना है। संतों की राय में तो कृपा की विनय से सारे काम बना करते हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
प्यार सागर से भी गहरा है
•
ईश्वर सर्वत्र है
•
सूफी क्या है?
•
अमन का संदेश देते डॉ. सैयदना साहब
•
श्रीराम और सेवक सम्मान की परंपरा
•
परंपरा में मूल रस-तत्व ढूँढें
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शनि की कृपा
- संत प्रियदर्शी
शनि रहस्यमयी देवता हैं। पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाली आकाशगंगा के नवग्रहों में से सूर्य से दूरी के क्रम से छठवाँ, सात वलयों वाला शनि ग्रह भी रहस्यमयी है। शनि ग्रह को शनि देवता का प्रतीक रूप माना जाता है। इसलिए शनि की उपासना के लिए शनि ग्रह के पूजन का विधान है। आधुनिक विज्ञान के ज्ञान से लोग प्रश्न किया करते हैं कि शनि ग्रह के पूजन से शनिदेव किस प्रकार प्रसन्न हो सकते हैं? लेकिन संपूर्ण दृश्य जगत चिन्मय है और जड़ नाम का कोई तत्व विद्यमान नहीं है। देवता की प्रसन्नता के लिए प्रतीक का पूजन किया जा सकता है, जो फलदायी होता है। शनिदेव की कृपा के लिए शनि यंत्र के रूप में शनि ग्रह ब्रह्मांड में दृष्टिगोचर हैं।शनि ग्रह की गति सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए इन्हें शनैश्चर कहा गया है। शनि भगवान, शनिदेव भी इन्हें ही कहा जाता है। संस्कृत के 'शनये कर्मति सः' का अर्थ है 'जो धीरे चले'। शनि ग्रह सूर्य की पूरी प्रदक्षिणा करने में 30वर्ष लगाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य सहित 9 ग्रह और 12 प्रकार के आकार में दिखने वाले तारा समूह हैं, जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। इस प्रकार शनि ग्रह प्रत्येक राशि पर 2.5 वर्ष व्यतीत करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि अपनी धीमी चाल के कारण जिस राशि में रहता है उसके 2.5 वर्ष, उसकी पूर्व की राशि के 2.5 और पश्चात की राशि के 2.5 वर्ष, इस प्रकार एक राशि पर कुल साढ़े सात वर्ष (7.5) वर्ष तक प्रभाव डालता है। इसे ही शनि की 'साढ़ेसाती' कहते हैं। शनि का प्रभाव भी उसकी राशि पर स्थिति के अनुसार वर्ष के क्रम में कठोर होता चला जाता है। शनि की साढ़ेसाती से लोग भयभीत रहते हैं। यह आत्मावलोकन और कर्मों में सुधार का समय होना चाहिए। शनि देवता और शनि ग्रह लोक मानस में इतना रचे-बसे हैं कि जब-जब शनिदेव की बात चलती है तो वह शनि ग्रह पर केंद्रित होकर रह जाती है। शनिदेव का भय भी लोगों को बहुत सताता है। यह प्रबुद्धजनों को तय करना चाहिए कि देवता की कृपा चाहिए कि ग्रह की कुदृष्टि से बचना है। संतों की राय में तो कृपा की विनय से सारे काम बना करते हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
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प्यार सागर से भी गहरा है
•
ईश्वर सर्वत्र है
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सूफी क्या है?
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अमन का संदेश देते डॉ. सैयदना साहब
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श्रीराम और सेवक सम्मान की परंपरा
•
परंपरा में मूल रस-तत्व ढूँढें
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Thursday, May 31, 2007
Google News India (Hindi): "पहली बार हिंदी फिल्म में माइक टायसन"
Google News India (Hindi): "पहली बार हिंदी फिल्म में माइक टायसन"
मुंबई। विवादों में घिरे रहे विश्व विख्यात मुक्केबाज माइक टायसन पहली बार किसी हिंदी फिल्म में नजर आएंगे। आगामी शुक्रवार को रिलीज होने जा रही निर्माता फिरोज नडियाडवाला की मल्टी स्टारर फिल्म फुल एंड फाइनल में माइक टायसन की फाइट हिंदी फिल्मों के दर्शकों को देखने को मिलेगी। इस फिल्म के लिए माइक टायसन के साथ एक विशेष वीडियो की शूटिंग पिछले दिनों अमेरिका के लास वेगास शहर में की गई, जिसमें टायसन के अलावा बड़ी संख्या में स् ...
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मुंबई। विवादों में घिरे रहे विश्व विख्यात मुक्केबाज माइक टायसन पहली बार किसी हिंदी फिल्म में नजर आएंगे। आगामी शुक्रवार को रिलीज होने जा रही निर्माता फिरोज नडियाडवाला की मल्टी स्टारर फिल्म फुल एंड फाइनल में माइक टायसन की फाइट हिंदी फिल्मों के दर्शकों को देखने को मिलेगी। इस फिल्म के लिए माइक टायसन के साथ एक विशेष वीडियो की शूटिंग पिछले दिनों अमेरिका के लास वेगास शहर में की गई, जिसमें टायसन के अलावा बड़ी संख्या में स् ...
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Wednesday, May 30, 2007
Google News India (Hindi) अमिताभ पर यूपी सरकार से जानकारी लेंगे देशमुख
Google News India (Hindi): "अमिताभ पर यूपी सरकार से जानकारी लेंगे देशमुख"
महाराष्ट्र सरकार जानेमाने फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के ‘किसान’ होने संबंधी जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार मांगेगी। राज्य के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में अनौपचारिक बातचीत में कहा कि शी बच्चन ने पुणे के निकट जो भूमि ली है उसे खरीदते समय उन्होंने दस्तावेज में खुद को उत्तर प्रदेश का किसान घोषित किया था। जब उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया कि उत्तर प्रदेश में उनके किसान होने के दस्तावेज को लेकर ...
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महाराष्ट्र सरकार जानेमाने फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के ‘किसान’ होने संबंधी जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार मांगेगी। राज्य के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में अनौपचारिक बातचीत में कहा कि शी बच्चन ने पुणे के निकट जो भूमि ली है उसे खरीदते समय उन्होंने दस्तावेज में खुद को उत्तर प्रदेश का किसान घोषित किया था। जब उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया कि उत्तर प्रदेश में उनके किसान होने के दस्तावेज को लेकर ...
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साउथ एशिया में सबसे ज्यादा एफडीआई भारत ने खींचा
Indiatimes - Navbharat Times
साउथ एशिया में सबसे ज्यादा एफडीआई भारत ने खींचा
वॉशिंगटन (भाषा) : भारत ने 2006 के दौरान साउथ एशिया में आने वाली 40 अरब डॉलर की पूंजी का अधिकांश हिस्सा अपनी ओर खींचा। हालांकि प्रतिबंधात्मक नीतियों के कारण निवेश की वृद्धि कम हो सकती है और आर्थिक विस्तार गतिविधियां भी मंद पड़ सकती हैं। वर्ल्ड बैंक ने 2007 की अपनी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अधिकांश एफडीआई प्रवाह सेवा, दूरसंचार जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। यह उदारीकरण की नीति का नतीजा है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रतिबंधात्मक नीतिगत स्थितियों से निवेश की वृद्धि दर कम हो सकती है और 2008 में उसकी विकास दर 7.8 प्रतिशत, जबकि 2009 में 7.5 प्रतिशत होगी। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 2006-07 के दौरान 9.2 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह 15.7 अरब डॉलर था। बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में कैलंडर वर्ष 2006 के दौरान शुद्ध पूंजी प्रवाह बढ़कर 40 अरब डॉलर हो गया। यह 2005 के मुकाबले 28.3 अरब डॉलर अधिक है।
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साउथ एशिया में सबसे ज्यादा एफडीआई भारत ने खींचा
वॉशिंगटन (भाषा) : भारत ने 2006 के दौरान साउथ एशिया में आने वाली 40 अरब डॉलर की पूंजी का अधिकांश हिस्सा अपनी ओर खींचा। हालांकि प्रतिबंधात्मक नीतियों के कारण निवेश की वृद्धि कम हो सकती है और आर्थिक विस्तार गतिविधियां भी मंद पड़ सकती हैं। वर्ल्ड बैंक ने 2007 की अपनी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अधिकांश एफडीआई प्रवाह सेवा, दूरसंचार जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। यह उदारीकरण की नीति का नतीजा है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रतिबंधात्मक नीतिगत स्थितियों से निवेश की वृद्धि दर कम हो सकती है और 2008 में उसकी विकास दर 7.8 प्रतिशत, जबकि 2009 में 7.5 प्रतिशत होगी। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 2006-07 के दौरान 9.2 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह 15.7 अरब डॉलर था। बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में कैलंडर वर्ष 2006 के दौरान शुद्ध पूंजी प्रवाह बढ़कर 40 अरब डॉलर हो गया। यह 2005 के मुकाबले 28.3 अरब डॉलर अधिक है।
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BBCHindi.com | पत्रिका | अपनों के साथ आ रहे हैं ध
BBCHindi.com पत्रिका अपनों के साथ आ रहे हैं ध
अनिल शर्मा की जल्द रिलीज़ होने जा रही फ़िल्म 'अपने' में मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र अपने दोनों बेटों सन्नी और बॉबी देओल के साथ दिखेंगे.
ऐसा पहली बार है कि धर्मेंद्र किसी फ़िल्म में अपने दोनों बेटों के साथ रुपहले पर्दे पर नज़र आएंगे.
उनका कहना है कि उन्हें काफ़ी लंबे समय से एक ऐसी कहानी की तलाश थी जिसमें वो सन्नी और बॉबी के साथ काम कर सकें और 'अपने' के साथ उनका ये सपना पूरा होने जा रहा है.
हाल ही में मुंबई के एक पांच सितारा होटल में इस नई फ़िल्म अपने का म्यूजिक लांच किया गया.
इस मौक़े पर फ़िल्मी दुनिया की पुराने और नए जमाने की हस्तियों ने शिरकत की जिनमें दिलीप कुमार, देवानंद से लेकर सलमान खान और गोविंदा तक शामिल थे.
मुझे काफ़ी पहले से ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश थी जिसमें मैं, सन्नी और बॉबी एक साथ काम कर सकें. बाद में जब अनिल ने ये कहानी सामने रखी तो मुझे अच्छा लगा
धर्मेंद्र
इस मौक़े पर धर्मेंद्र और सन्नी दोनों से बीबीसी ने बातचीत की.
जब धर्मेंद्र से ये पूछा गया कि कैसा लग रहा है अपने दोनों बेटों के साथ काम करके तो वो अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ बोले,'' बहुत अच्छा लगा.''
उनका कहना था,'' मुझे काफ़ी पहले से ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश थी जिसमें मैं, सन्नी और बॉबी एक साथ काम कर सकें. बाद में जब अनिल ने ये कहानी सामने रखी तो मुझे अच्छा लगा.''
शर्मीले बेटे
दोनों बेटों के बारे में पूछने पर धर्मेंद्र के चेहरे पर रौनक आ गई.
वो हंसते हुए बोले,'' मेरा एक बेटा है सन्नी जो कि बेहद शर्मीला है, कम बोलता है लेकिन अपने पापा और फेमिली से बहुत प्यार करता है. दूसरा बेटा है बॉबी जो थोड़ा मस्त अंदाज़ वाला है, लेकिन अच्छा लड़का है.''
जब सन्नी से ये पूछा गया कि उन्हें अपने पापा के बारे में सबसे अच्छा क्या लगता है, तो उनका कहना था,'' मेरे पापा एक रॉक स्टार हैं और मेरे लिए वो भगवान हैं.''
धर्मेंद्र को बेटों के साथ काम करके अच्छा लगा
''उनके जैसा मुझे कोई दूसरा नहीं दिखता. इस उम्र में भी वो दूसरों से कहीं ज्यादा हैंडसम हैं.''
धर्मेंद्र फ़िल्म इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने पिछले चार दशकों से अलग अलग भूमिकाओं में दर्शकों का मनोरंजन किया है.
वो कहते हैं,'' फ़िल्में मेरी महबूबा है. मैं पूरी तरह से इनमें ही रचा बसा हूं और दर्शक मेरे भगवान हैं. मुझे हमेशा उनका प्यार मिला है.''
धर्मेंद्र को सन्नी की नब्बे की दशक में आई फ़िल्म घायल बेहद पसंद है.
उन्होंने बताया कि उस फ़िल्म में जिस तरह से सन्नी ने दमदार रोल किया था उससे उन्हें काफ़ी खुशी हुई थी.
धर्मेंद्र-हेमामालिनी की जोड़ी
सत्तर और अस्सी के दशक में धर्मेंद्र की जोड़ी हेमामालिनी के साथ रुपहले पर्दे पर बहुत सराही गई थी.
अब भी हेमामालिनी का जिक्र छेड़ते ही वो भावुक हो जाते हैं.
मेरा एक बेटा है सन्नी जो कि बेहद शर्मीला है,कम बोलता है लेकिन अपने पापा और फेमिली से बहुत प्यार करता है. दूसरा बेटा है बॉबी जो थोड़ा मस्त अंदाज़ वाला है, लेकिन अच्छा लड़का है.
धर्मेंद्र
उनका कहना था कि वो और हेमा 25 सिल्वर जुबली और कई गोल्डेन जुबली फ़िल्में दे चुके हैं और अगर कोई अच्छी कहानी उन्हें मिलेगी तो फिर से एक साथ दिखेंगे.
लेकिन इतने लंबे समय तक हिंदी सिनेमा में काम करनेवाले धर्मेंद्र को बहुत कम पुरस्कर मिले हैं.
लेकिन वो इससे निराश नहीं दिखते. उनका कहना था कि मेरा असली पुरस्कार दर्शकों से मिला प्यार है. आज भी कहीं जाता हूं तो लोग इतने प्यार से मिलते हैं.
धर्मेंद्र का कहना है,'' मैं पंजाब की माटी में पैदा हुआ हूँ और आज भी ख़ुद को वहीं का पाता हूं.''
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अनिल शर्मा की जल्द रिलीज़ होने जा रही फ़िल्म 'अपने' में मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र अपने दोनों बेटों सन्नी और बॉबी देओल के साथ दिखेंगे.
ऐसा पहली बार है कि धर्मेंद्र किसी फ़िल्म में अपने दोनों बेटों के साथ रुपहले पर्दे पर नज़र आएंगे.
उनका कहना है कि उन्हें काफ़ी लंबे समय से एक ऐसी कहानी की तलाश थी जिसमें वो सन्नी और बॉबी के साथ काम कर सकें और 'अपने' के साथ उनका ये सपना पूरा होने जा रहा है.
हाल ही में मुंबई के एक पांच सितारा होटल में इस नई फ़िल्म अपने का म्यूजिक लांच किया गया.
इस मौक़े पर फ़िल्मी दुनिया की पुराने और नए जमाने की हस्तियों ने शिरकत की जिनमें दिलीप कुमार, देवानंद से लेकर सलमान खान और गोविंदा तक शामिल थे.
मुझे काफ़ी पहले से ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश थी जिसमें मैं, सन्नी और बॉबी एक साथ काम कर सकें. बाद में जब अनिल ने ये कहानी सामने रखी तो मुझे अच्छा लगा
धर्मेंद्र
इस मौक़े पर धर्मेंद्र और सन्नी दोनों से बीबीसी ने बातचीत की.
जब धर्मेंद्र से ये पूछा गया कि कैसा लग रहा है अपने दोनों बेटों के साथ काम करके तो वो अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ बोले,'' बहुत अच्छा लगा.''
उनका कहना था,'' मुझे काफ़ी पहले से ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश थी जिसमें मैं, सन्नी और बॉबी एक साथ काम कर सकें. बाद में जब अनिल ने ये कहानी सामने रखी तो मुझे अच्छा लगा.''
शर्मीले बेटे
दोनों बेटों के बारे में पूछने पर धर्मेंद्र के चेहरे पर रौनक आ गई.
वो हंसते हुए बोले,'' मेरा एक बेटा है सन्नी जो कि बेहद शर्मीला है, कम बोलता है लेकिन अपने पापा और फेमिली से बहुत प्यार करता है. दूसरा बेटा है बॉबी जो थोड़ा मस्त अंदाज़ वाला है, लेकिन अच्छा लड़का है.''
जब सन्नी से ये पूछा गया कि उन्हें अपने पापा के बारे में सबसे अच्छा क्या लगता है, तो उनका कहना था,'' मेरे पापा एक रॉक स्टार हैं और मेरे लिए वो भगवान हैं.''
धर्मेंद्र को बेटों के साथ काम करके अच्छा लगा
''उनके जैसा मुझे कोई दूसरा नहीं दिखता. इस उम्र में भी वो दूसरों से कहीं ज्यादा हैंडसम हैं.''
धर्मेंद्र फ़िल्म इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने पिछले चार दशकों से अलग अलग भूमिकाओं में दर्शकों का मनोरंजन किया है.
वो कहते हैं,'' फ़िल्में मेरी महबूबा है. मैं पूरी तरह से इनमें ही रचा बसा हूं और दर्शक मेरे भगवान हैं. मुझे हमेशा उनका प्यार मिला है.''
धर्मेंद्र को सन्नी की नब्बे की दशक में आई फ़िल्म घायल बेहद पसंद है.
उन्होंने बताया कि उस फ़िल्म में जिस तरह से सन्नी ने दमदार रोल किया था उससे उन्हें काफ़ी खुशी हुई थी.
धर्मेंद्र-हेमामालिनी की जोड़ी
सत्तर और अस्सी के दशक में धर्मेंद्र की जोड़ी हेमामालिनी के साथ रुपहले पर्दे पर बहुत सराही गई थी.
अब भी हेमामालिनी का जिक्र छेड़ते ही वो भावुक हो जाते हैं.
मेरा एक बेटा है सन्नी जो कि बेहद शर्मीला है,कम बोलता है लेकिन अपने पापा और फेमिली से बहुत प्यार करता है. दूसरा बेटा है बॉबी जो थोड़ा मस्त अंदाज़ वाला है, लेकिन अच्छा लड़का है.
धर्मेंद्र
उनका कहना था कि वो और हेमा 25 सिल्वर जुबली और कई गोल्डेन जुबली फ़िल्में दे चुके हैं और अगर कोई अच्छी कहानी उन्हें मिलेगी तो फिर से एक साथ दिखेंगे.
लेकिन इतने लंबे समय तक हिंदी सिनेमा में काम करनेवाले धर्मेंद्र को बहुत कम पुरस्कर मिले हैं.
लेकिन वो इससे निराश नहीं दिखते. उनका कहना था कि मेरा असली पुरस्कार दर्शकों से मिला प्यार है. आज भी कहीं जाता हूं तो लोग इतने प्यार से मिलते हैं.
धर्मेंद्र का कहना है,'' मैं पंजाब की माटी में पैदा हुआ हूँ और आज भी ख़ुद को वहीं का पाता हूं.''
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Tuesday, May 29, 2007
Monday, May 28, 2007
BBCHindi.com | भारत और पड़ोस | विकास को लग सकता ह
BBCHindi.com भारत और पड़ोस विकास को लग सकता ह: "विकास को लग सकता है झटका: मनमोहन"
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में बिजली की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे विकास की रफ़्तार को झटका लग सकता है.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में नौ से दस प्रतिशत की वृद्धि दर सुनिश्चित करने के लिए बिजली आपूर्ति में तेज़ी से सुधार करना ही होगा.
सोमवार को मनमोहन सिंह राजधानी दिल्ली में बिजली क्षेत्र पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
व्यस्त सत्र में 13 फ़ीसदी तक की बिजली कटौती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में बहुत सुधार नहीं दिखाई दे रहा है और अगर इस कमी को वर्ष 2012 से पहले पूरा करना है तो ‘त्वरित कार्यक्रम’ शुरू करने होंगे.
चिंता
प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर हम हर साल 9 से 10 फ़ीसदी तक की विकास दर की उम्मीद करते हैं तो इसी अनुपात में बिजली उत्पादन भी बढ़ाना ज़रूरी है.”
अगर हम हर साल 9 से 10 फ़ीसदी की विकास दर की उम्मीद करते हैं तो इसी अनुपात में बिजली उत्पादन भी बढ़ना ज़रूरी है
मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा, “हम बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी और इसकी आर्थिक सेहत में सुधार सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठा सके हैं.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्युत प्रेषण और वितरण के बीच बढ़ता फासला चिंता की बात है.
उन्होंने कहा, “कई राज्यों में प्रेषण और वितरण के बीच नुकसान का स्तर 30 से 40 फ़ीसदी के बीच है. इस नुक़सान से बिजली क्षेत्र की आर्थिक सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है.”
चुनौती
भारत की वर्ष 2012 से पहले बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 78 हज़ार 577 मेगावाट करने की योजना है.
यह उत्पादन मुख्य रूप से ताप बिजलीघरों के ज़रिए करने की योजना है ताकि बिजली आपूर्ति के संकट का सही ढंग से मुक़ाबला किया जा सके.
राष्ट्रीय बिजली नीति के तहत वर्ष 2012 से पहले देश की एक अरब से अधिक आबादी की मौजूदा आपूर्ति में लगभग 50 फ़ीसदी का इजाफ़ा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक लाख़ मेगावाट बिजली की ज़रूरत होगी.
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भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में बिजली की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे विकास की रफ़्तार को झटका लग सकता है.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में नौ से दस प्रतिशत की वृद्धि दर सुनिश्चित करने के लिए बिजली आपूर्ति में तेज़ी से सुधार करना ही होगा.
सोमवार को मनमोहन सिंह राजधानी दिल्ली में बिजली क्षेत्र पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
व्यस्त सत्र में 13 फ़ीसदी तक की बिजली कटौती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में बहुत सुधार नहीं दिखाई दे रहा है और अगर इस कमी को वर्ष 2012 से पहले पूरा करना है तो ‘त्वरित कार्यक्रम’ शुरू करने होंगे.
चिंता
प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर हम हर साल 9 से 10 फ़ीसदी तक की विकास दर की उम्मीद करते हैं तो इसी अनुपात में बिजली उत्पादन भी बढ़ाना ज़रूरी है.”
अगर हम हर साल 9 से 10 फ़ीसदी की विकास दर की उम्मीद करते हैं तो इसी अनुपात में बिजली उत्पादन भी बढ़ना ज़रूरी है
मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा, “हम बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी और इसकी आर्थिक सेहत में सुधार सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठा सके हैं.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्युत प्रेषण और वितरण के बीच बढ़ता फासला चिंता की बात है.
उन्होंने कहा, “कई राज्यों में प्रेषण और वितरण के बीच नुकसान का स्तर 30 से 40 फ़ीसदी के बीच है. इस नुक़सान से बिजली क्षेत्र की आर्थिक सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है.”
चुनौती
भारत की वर्ष 2012 से पहले बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 78 हज़ार 577 मेगावाट करने की योजना है.
यह उत्पादन मुख्य रूप से ताप बिजलीघरों के ज़रिए करने की योजना है ताकि बिजली आपूर्ति के संकट का सही ढंग से मुक़ाबला किया जा सके.
राष्ट्रीय बिजली नीति के तहत वर्ष 2012 से पहले देश की एक अरब से अधिक आबादी की मौजूदा आपूर्ति में लगभग 50 फ़ीसदी का इजाफ़ा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक लाख़ मेगावाट बिजली की ज़रूरत होगी.
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Welcome to Yahoo! Hindi: "बैंकों में हिंदी सॉफ्टवेयर लगें-कोर्ट"
Welcome to Yahoo! Hindi: "बैंकों में हिंदी सॉफ्टवेयर लगें-कोर्ट"
जयपुर, सोमवार, 28 मई 2007
हिंदी भाषी ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों में हिंदी सॉफ्टवेयर लागू करने के निर्देश दिए हैं। अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं वाले द्विभाषी सॉफ्टवेयर का आदेश उच्च न्यायालय ने २००५ में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पहले भी दिया था, जिसके पूरी तरह से कार्यान्वित न होने के कारण उच्च न्यायालय को पुनः इस मामले पर गौर करना पड़ा। जयपुर के अजय पांडेय ने इन वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इस संबंध में याचिका दायर की थी। जब यह मामला न्यायाधीश शिवकुमार शर्मा और गुमानसिंह की बेंच के अधीन आया, तब एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस याचिका पर आरबीआई और केंद्र के सभी सार्वजनिक बैंक और संस्थाओं में इसे छह महीनों के भीतर कार्यान्वित करने के आदेश दिए। इस याचिका के अनुसार आरबीआई नीति-निर्देशक तत्वों और राजभाषा कानून के अनुसार हिंदी को बैंकों और वित्तीय संस्थानों की सरकारी भाषा के रूप में स्थान देने की बात कही गई है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
ग्राम प्रधान की हत्या
•
गोलीबारी में रिक्शा चालक मरा
•
माओवादियों का बस पर निशाना
•
कार-जीप भिड़ंत में छह मरे
•
दो घुसपैठियों को मार गिराया
•
मणिपुर में 'उग्रवादी' ढेर
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जयपुर, सोमवार, 28 मई 2007
हिंदी भाषी ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों में हिंदी सॉफ्टवेयर लागू करने के निर्देश दिए हैं। अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं वाले द्विभाषी सॉफ्टवेयर का आदेश उच्च न्यायालय ने २००५ में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पहले भी दिया था, जिसके पूरी तरह से कार्यान्वित न होने के कारण उच्च न्यायालय को पुनः इस मामले पर गौर करना पड़ा। जयपुर के अजय पांडेय ने इन वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इस संबंध में याचिका दायर की थी। जब यह मामला न्यायाधीश शिवकुमार शर्मा और गुमानसिंह की बेंच के अधीन आया, तब एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस याचिका पर आरबीआई और केंद्र के सभी सार्वजनिक बैंक और संस्थाओं में इसे छह महीनों के भीतर कार्यान्वित करने के आदेश दिए। इस याचिका के अनुसार आरबीआई नीति-निर्देशक तत्वों और राजभाषा कानून के अनुसार हिंदी को बैंकों और वित्तीय संस्थानों की सरकारी भाषा के रूप में स्थान देने की बात कही गई है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
ग्राम प्रधान की हत्या
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गोलीबारी में रिक्शा चालक मरा
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माओवादियों का बस पर निशाना
•
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•
दो घुसपैठियों को मार गिराया
•
मणिपुर में 'उग्रवादी' ढेर
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MSN INDIA - झूम बराबर झूम
MSN INDIA - झूम बराबर झूम: "झूम बराबर झूम "
लंदन का स्टेशन। रिक्की ठुकराल (अभिषेक बच्चन) और अलवीरा खान (प्रीति जिंटा) बर्मिंघम से आने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। इस ट्रेन में उनके मंगेतर आ रहे हैं, लेकिन यह ट्रेन दो घंटे लेट है। दोनों एक-दूसरे से अजनबी हैं। समय काटने के लिए दोनों एक कैफे जाते हैं और संयोग से एक ही टेबल पर बैठते हैं। बातचीत शुरू होती है और दोनों एक-दूसरे को अपनी प्रेम कहानी सुनाते हैं।अलवीरा खान पाकिस्तानी लड़की है। वह अपने आपको किसी राजकुमारी से कम नहीं समझती है। अलवीरा की प्रेम कहानी शुरू हुई थी मैडम तुसाद के संग्रहालय से। जब वह वहाँ पर घूम रही थी तब उसके ऊपर सुपरमैन के मोम का पुतला गिर रहा था। इसके पहले की वह पुतला अलवीरा पर गिर पाता वहाँ पर मौजूद स्टीव सिंह (बॉबी देओल) ने उसकी जान बचा ली।स्टीव के इस कारनामे ने अलवीरा का दिल जीत लिया। दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। अब रिक्की अपनी कहानी शुरू करता है। रिक्की और अनाइडा (लारा दत्ता) की मुलाकात उसी रात को हुई थी, जिस रात प्रिंसेस डायना की मौत हुई थी। इसीलिए तो रिक्की कहता है कि दो प्यार करने वालों की मौत हुई और दो प्यार करने वाले पैदा हुए।रिक्की और अलवीरा अब अजनबी नहीं रह गए थे। दोनों को एक-दूसरे की कंपनी पसंद आने लगी थी। दोनों के स्वभाव में बहुत अंतर था। अलवीरा शांत, धैर्यवान और शाही व्वयहार करने वाली पाकिस्तानी लड़की थी, वहीं रिक्की धूर्त, लम्पट, चालाक किस्म का भारतीय लड़का था। दोनों एक-दूसरे की ओर खींचे चले जा रहे थे। उनके बस में कुछ नहीं था। आगे क्या होगा? इसका पता चलेगा ‘झूम बराबर झूम’ देखकर।
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लंदन का स्टेशन। रिक्की ठुकराल (अभिषेक बच्चन) और अलवीरा खान (प्रीति जिंटा) बर्मिंघम से आने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। इस ट्रेन में उनके मंगेतर आ रहे हैं, लेकिन यह ट्रेन दो घंटे लेट है। दोनों एक-दूसरे से अजनबी हैं। समय काटने के लिए दोनों एक कैफे जाते हैं और संयोग से एक ही टेबल पर बैठते हैं। बातचीत शुरू होती है और दोनों एक-दूसरे को अपनी प्रेम कहानी सुनाते हैं।अलवीरा खान पाकिस्तानी लड़की है। वह अपने आपको किसी राजकुमारी से कम नहीं समझती है। अलवीरा की प्रेम कहानी शुरू हुई थी मैडम तुसाद के संग्रहालय से। जब वह वहाँ पर घूम रही थी तब उसके ऊपर सुपरमैन के मोम का पुतला गिर रहा था। इसके पहले की वह पुतला अलवीरा पर गिर पाता वहाँ पर मौजूद स्टीव सिंह (बॉबी देओल) ने उसकी जान बचा ली।स्टीव के इस कारनामे ने अलवीरा का दिल जीत लिया। दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। अब रिक्की अपनी कहानी शुरू करता है। रिक्की और अनाइडा (लारा दत्ता) की मुलाकात उसी रात को हुई थी, जिस रात प्रिंसेस डायना की मौत हुई थी। इसीलिए तो रिक्की कहता है कि दो प्यार करने वालों की मौत हुई और दो प्यार करने वाले पैदा हुए।रिक्की और अलवीरा अब अजनबी नहीं रह गए थे। दोनों को एक-दूसरे की कंपनी पसंद आने लगी थी। दोनों के स्वभाव में बहुत अंतर था। अलवीरा शांत, धैर्यवान और शाही व्वयहार करने वाली पाकिस्तानी लड़की थी, वहीं रिक्की धूर्त, लम्पट, चालाक किस्म का भारतीय लड़का था। दोनों एक-दूसरे की ओर खींचे चले जा रहे थे। उनके बस में कुछ नहीं था। आगे क्या होगा? इसका पता चलेगा ‘झूम बराबर झूम’ देखकर।
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BBCHindi.com | कारोबार | भारत का पहला खरबपति
BBCHindi.com कारोबार भारत का पहला खरबपति: "भारत का पहला खरबपति "
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयरों की क़ीमत में ज़बर्दस्त बढ़ोतरी के साथ ही समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी भारत के पहले खरबपति बन गए हैं.
उधर उनके भाई अनिल अंबानी भी बहुत पीछे नहीं है. विभिन्न कंपनियों के शेयरों को मिलाकर उनकी संपत्ति क़रीब 900 अरब आंकी गई है.
मुकेश अंबानी की चार प्रमुख कंपनियां आरआईएल, रिलायंस पेट्रोलियम, आईपीसीएल और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की कुल लागत मिलाकर 2.5 खरब आकी गई है जिसमें से अन्य निवेशकों का हिस्सा क़रीब 1.3 खरब है यानि अकेले मुकेश के पास एक खरब से अधिक की संपत्ति है.
इन आकड़ों के साथ ही मुकेश अंबानी भारत के पहले खरबपति व्यवसायी बन गए हैं. हालांकि अभी उन्हें दुनिया के सबसे धनी भारतीय का खिताब नहीं मिल सकेगा क्योंकि लक्ष्मी निवास मित्तल उनसे काफी आगे हैं.
भारत में यूं तो धनी लोगों की कमी नहीं है और अरबपतियों में कई नाम हैं लेकिन अभी खरबपति में सिर्फ और सिर्फ मुकेश अंबानी का ही नाम आया है.
भारत के अन्य धनी अरबपतियों में नाम है विप्रो समूह के अजीम प्रेमजी, भारती समूह के सुनील मित्तल, डीएलएफ ग्रुप के के पी सिंह, कुमार मंगलम बिड़ला आदि.
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रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयरों की क़ीमत में ज़बर्दस्त बढ़ोतरी के साथ ही समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी भारत के पहले खरबपति बन गए हैं.
उधर उनके भाई अनिल अंबानी भी बहुत पीछे नहीं है. विभिन्न कंपनियों के शेयरों को मिलाकर उनकी संपत्ति क़रीब 900 अरब आंकी गई है.
मुकेश अंबानी की चार प्रमुख कंपनियां आरआईएल, रिलायंस पेट्रोलियम, आईपीसीएल और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की कुल लागत मिलाकर 2.5 खरब आकी गई है जिसमें से अन्य निवेशकों का हिस्सा क़रीब 1.3 खरब है यानि अकेले मुकेश के पास एक खरब से अधिक की संपत्ति है.
इन आकड़ों के साथ ही मुकेश अंबानी भारत के पहले खरबपति व्यवसायी बन गए हैं. हालांकि अभी उन्हें दुनिया के सबसे धनी भारतीय का खिताब नहीं मिल सकेगा क्योंकि लक्ष्मी निवास मित्तल उनसे काफी आगे हैं.
भारत में यूं तो धनी लोगों की कमी नहीं है और अरबपतियों में कई नाम हैं लेकिन अभी खरबपति में सिर्फ और सिर्फ मुकेश अंबानी का ही नाम आया है.
भारत के अन्य धनी अरबपतियों में नाम है विप्रो समूह के अजीम प्रेमजी, भारती समूह के सुनील मित्तल, डीएलएफ ग्रुप के के पी सिंह, कुमार मंगलम बिड़ला आदि.
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