Thursday, June 28, 2007
भारत और पड़ोस भारत में एक लाख से
BBCHindi.com भारत और पड़ोस भारत में एक लाख से भारतीय अर्थव्यवस्था मे आई तेज़ी और स्टॉक मार्केट से मिलते फ़ायदों की वजह से भारत में करोड़पतियों की संख्या एक लाख का आँकड़ा पार कर गई है. मेरिल लिंच और कैपजेमिनी की तरफ से दुनिया के धनी लोगों के बारे में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में एक मिलियन डॉलर यानी लगभग पैंतालिस करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाले एक लाख पंद्रह लोग हैं. इस संपत्ति में लोगों का रहने वाला घर और रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाले उत्पाद शामिल नहीं हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2006 में भारत में करोड़पतियों की संख्या 20.5 फ़ीसदी की रफ़्तार से बढ़ी. एशिया के बाज़ारों मे आई तेज़ी से करोड़पति अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और आज करोड़पतियों की संख्या के मामले में दुनिया के पहले दस देशों में पांच एशिया से हैं रिपोर्ट सिर्फ़ सिंगापुर ही भारत से आगे है जहाँ ये रफ़्तार 21.2 फ़ीसदी रही. भारत में 2005 में करोड़पतियों की कुल संख्या 83 हज़ार थी. इस बारे में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर जयती घोष कहती हैं,"सरकार ने अपनी नीतियों से अमीरों को टैक्स और सब्सिडी में बहुत सी रियायतें दी हैं. भूमंडलीकरण की वजह से कुछ लोगों को डॉलर में तनख़्वाह मिलने लगी है. इसलिए अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है." बाज़ार का बोलबाला सरकार ने अपनी नीतियों से अमीरों को टैक्स और सब्सिडी में बहुत सी रियायतें दी हैं. भूमंडलीकरण की वजह से कुछ लोगों को डॉलर में तनख़्वाह मिलने लगी है. इसलिए अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जयती घोष, अर्थशास्त्री भारत, चीन और सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में तेज़ी से हुई वृद्धि की वजह से एशिया के करोड़पतियों की कुल संपत्ति 10.5 फ़ीसदी की दर से बढ़कर 8.4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है. रिपोर्ट का कहना है,“एशियाई देशों के बाज़ारों मे आई तेज़ी से करोड़पति अमीरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और आज करोड़पतियों की संख्या के मामले में दुनिया के पहले दस देशों में पांच एशिया से हैं.” भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन और अमरीका में भी एक मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या एक लाख से अधिक है. दुनिया के करोड़पति अमीरों की संख्या भी 8.3 फ़ीसदी बढ़कर 95 लाख हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार 2006 में इन लोगों की सामूहिक संपत्ति बढ़कर 37.2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है. मेरिल लिंच और कैपजेमिनी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़पतियों की इतनी ते़ज़ी से बढ़ती संख्या की वजह सकल घरेलु उत्पाद(जीडीपी) में हो रही वृद्धि और दुनिया भर के पूंजी बाज़ार में आई तेज़ी है. http://www.svdeals.com/ super hot deals.
Monday, June 25, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | कुरीति पर आधारित है नई �
BBCHindi.com पत्रिका कुरीति पर आधारित है नई �: "कुरीति पर आधारित है नई फ़िल्म रिवाज"
जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्म रिवाज कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसे परंपरा के नाम पर वेश्यावृत्ति के धंधे में उतरने को मजबूर किया जाता है.
एक ऐसी लड़की की आशा की जिसे पूरी उम्मीद है कि वो एक न एक दिन इस घिनौने कारोबार से बाहर निकल जाएगी.
जी हां,फिल्म का विषय काफी गंभीर है. आज भी भारत में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहाँ आज भी परंपरा आधारित वेश्यावृत्ति का धंधा कायम है.
देश की आज़ादी के इतने सालों के बीतने के बाद भी इस धंधे में कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन जगहों पर जहां ये काम हो रहा है, वहाँ का प्रशासन भी इसे रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम है और ये धीरे धीरे सिस्टम का हिस्सा बन गया है और इसे नाम दिया गया है रिवाज.
पिता के ख़िलाफ़ संघर्ष
कहानी के मुख्य किरदार का नाम है बेला. परंपरा के अनुसार बेला को भी वेश्यावृत्ति के धंधे में ढकेलने के लिए खुद उसका पिता ही मजबूर करता है. फिल्म में बेला को अपने पिता के इस घिनौने काम को रोकने में किए जा रहे संघर्ष को बड़े स्वाभाविक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.
भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहां बड़ी बड़ी कुरीतियाँ ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है.
दीप्ति नवल
बेला का किरदार निभाने वाली रितिशा का इस बारे में कहना है, "मुझे खुशी है कि कैरियर की शुरुआत में ही मुझे इतनी अच्छी और मीनिंगफुल फिल्म में काम करने का मौका मिला. इस किरदार को निभाते वक़्त मैंने उस दर्द को बड़े नज़दीक से महसूस किया जिनके साथ वास्तव में ऐसा होता होगा और उन्हें अपनी ज़िदगी में इतनी तकलीफ़ें झेलनी पड़ती होंगी".
फिल्म में बेला के पिता के किरदार में हैं जाने माने टीवी कलाकार और थिएटर दिग्गज राजेंद्र गुप्ता जबकि मशहूर अदाकारा दीप्ति नवल माँ की भूमिका में हैं.
दीप्ति इस फिल्म के बारे में अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं, "भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बड़ी बड़ी कुरीतियां ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है. इस कहानी में भी हमने उनमें से ही एक कुरीति को पर्दे पर अच्छी तरह से दिखाने की कोशिश की है".
रिवाज अनगिनत लड़कियों की व्यथा बयान करती है
दीप्ति का कहना है कि रिवाज में जितने भी कलाकार हैं उन्होंने फिल्म की कहानी में स्वाभाविकता लाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है.
मेघना नायड़ू
कलियों का चमन एल्बम से हिट होने वाली मेघना नायडू भी इस फिल्म में एक सशक्त भूमिका में नज़र आएँगी.
फ़िल्म में वो एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हैं जिसके ऊपर उसकी बूढ़ी दादी,माँ-बाप और एक नालायक़ भाई की रोज़ी रोटी की जिम्मेदारी है लेकिन वो खूबसूरत न होने की वजह से ग्राहकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में भी कामयाब नही हो पाती और उसे काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
मेघना अपने किरदार के बारे में कहती हैं, "रोल काफी दमदार है. मुझे ये भूमिका करने में बड़ा मजा आया साथ ही रोल को अच्छी तरह से करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ी. लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि मैने एक मीनिंगफुल फिल्म में अच्छा काम किया है".
फिल्म में इन लोगों के अलावा आलोक नाथ, यशपाल शर्मा, मनोज बिदवई सहित थिएटर के कई कलाकारों ने भी अभिनय किया है.
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जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्म रिवाज कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसे परंपरा के नाम पर वेश्यावृत्ति के धंधे में उतरने को मजबूर किया जाता है.
एक ऐसी लड़की की आशा की जिसे पूरी उम्मीद है कि वो एक न एक दिन इस घिनौने कारोबार से बाहर निकल जाएगी.
जी हां,फिल्म का विषय काफी गंभीर है. आज भी भारत में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहाँ आज भी परंपरा आधारित वेश्यावृत्ति का धंधा कायम है.
देश की आज़ादी के इतने सालों के बीतने के बाद भी इस धंधे में कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन जगहों पर जहां ये काम हो रहा है, वहाँ का प्रशासन भी इसे रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम है और ये धीरे धीरे सिस्टम का हिस्सा बन गया है और इसे नाम दिया गया है रिवाज.
पिता के ख़िलाफ़ संघर्ष
कहानी के मुख्य किरदार का नाम है बेला. परंपरा के अनुसार बेला को भी वेश्यावृत्ति के धंधे में ढकेलने के लिए खुद उसका पिता ही मजबूर करता है. फिल्म में बेला को अपने पिता के इस घिनौने काम को रोकने में किए जा रहे संघर्ष को बड़े स्वाभाविक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.
भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहां बड़ी बड़ी कुरीतियाँ ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है.
दीप्ति नवल
बेला का किरदार निभाने वाली रितिशा का इस बारे में कहना है, "मुझे खुशी है कि कैरियर की शुरुआत में ही मुझे इतनी अच्छी और मीनिंगफुल फिल्म में काम करने का मौका मिला. इस किरदार को निभाते वक़्त मैंने उस दर्द को बड़े नज़दीक से महसूस किया जिनके साथ वास्तव में ऐसा होता होगा और उन्हें अपनी ज़िदगी में इतनी तकलीफ़ें झेलनी पड़ती होंगी".
फिल्म में बेला के पिता के किरदार में हैं जाने माने टीवी कलाकार और थिएटर दिग्गज राजेंद्र गुप्ता जबकि मशहूर अदाकारा दीप्ति नवल माँ की भूमिका में हैं.
दीप्ति इस फिल्म के बारे में अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं, "भले ही हम महानगरों में रहने वाले खुद को काफी एडवांस समझते हों लेकिन यही पूरी सच्चाई नहीं है. आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बड़ी बड़ी कुरीतियां ज़िंदा हैं और वहाँ के समाज ने उसे रिवाज मान लिया है. इस कहानी में भी हमने उनमें से ही एक कुरीति को पर्दे पर अच्छी तरह से दिखाने की कोशिश की है".
रिवाज अनगिनत लड़कियों की व्यथा बयान करती है
दीप्ति का कहना है कि रिवाज में जितने भी कलाकार हैं उन्होंने फिल्म की कहानी में स्वाभाविकता लाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है.
मेघना नायड़ू
कलियों का चमन एल्बम से हिट होने वाली मेघना नायडू भी इस फिल्म में एक सशक्त भूमिका में नज़र आएँगी.
फ़िल्म में वो एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हैं जिसके ऊपर उसकी बूढ़ी दादी,माँ-बाप और एक नालायक़ भाई की रोज़ी रोटी की जिम्मेदारी है लेकिन वो खूबसूरत न होने की वजह से ग्राहकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में भी कामयाब नही हो पाती और उसे काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
मेघना अपने किरदार के बारे में कहती हैं, "रोल काफी दमदार है. मुझे ये भूमिका करने में बड़ा मजा आया साथ ही रोल को अच्छी तरह से करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ी. लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि मैने एक मीनिंगफुल फिल्म में अच्छा काम किया है".
फिल्म में इन लोगों के अलावा आलोक नाथ, यशपाल शर्मा, मनोज बिदवई सहित थिएटर के कई कलाकारों ने भी अभिनय किया है.
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Friday, June 22, 2007
सफल अभिनेत्री तब्बू
Welcome to Yahoo! Hindi: "सफल अभिनेत्री तब्बू"
सफल अभिनेत्री तब्बू
- पं. अशोक पंवार 'मयंक' अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ। उन्होंने अपना कैरियर फिल्म 'हम नौजवान' से शुरू किया। इनका जन्म लग्न तुला और इसका स्वामी शुक्र है। जो कला का कारक ग्रह होकर सुंदरता का भी प्रतीक है। ऐसे जातक पैदायशी उत्तम कलाकार होते हैं। इनके जन्म लग्न में ही शुक्र स्वग्रही होकर बैठा है। पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग वाले जातक सुंदर, कलाकार, काव्यप्रेमी होते हैं।लग्न में सूर्य लाभेश होकर नीच का है लेकिन जो ग्रह नीच का जिस राशि में होता है, यदि उस राशि का स्वामी केंद्र में हो तो नीच भंग होकर उसके बल प्रदाता हो जाता है। इनकी जन्म लग्न में शुक्र होने से नीच भंग हुआ अतः नीच भंग राजयोग हुआ। भाग्येश व द्वादश भाव का स्वामी शुक्र की राशि तुला में होकर लग्न है अतः कलानिधि योग भी बना। ऐसा जातक कला से संबंध रखता ही है। लग्न में सप्तमेश व द्वितीयेश मंगल भी है। पंचम भाव में पराक्रमेश व षष्ठेश गुरु है। चतुर्थेश व पंचमेश शनि कर्मेश चंद्र के साथ भाग्य (नवम) भाव में विराजमान है। यह ग्रह स्थिति हुई।तब्बू की पत्रिका में गजकेसरी योग, मरुद योग, चामर योग, मालव्य योग, कलानिधि योग देखने को मिलता है। गुरु की पंचम भाव चंद्र पर दृष्टि पड़ रही है, जो गजकेसरी योग बनाती है। शुक्र का स्वराशि पर केंद्र में होना मालव्य योग, शुक्र की राशि तुला या वृषभ पर बुध का होना कलानीधि योग बनता है, चामर योग गुरु में दृष्ट लग्नेश स्वराशि या उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो चामर योग बनता है। शुक्र से त्रिकोण में गुरु, गुरु से त्रिकोण में चंद्र और उसके केंद्र में सूर्य हो तो मरुद योग बनता है। इतने सब योग रखने वाला जातक उत्तम कलाकार ही हो सकता है। कला का कारक भाव पंचम जो भाग्य में मिथुन राशि पर है, मिथुन का स्वामी बुध शुक्र के साथ है अतः कला से संबंध बना, वहीं कर्मेश शनि पंचम भाव के स्वामी शनि के साथ होकर मिथुन में है। आपको बचपन में ही फिल्मी दुनिया में अपनी प्रथम फिल्म देव आनंद की 'हम नौजवान' में काम करने का अवसर मिला, उस समय आपको राहू में शुक्र का अंतर चल रहा था। चतुर्थ भाव पर मंगल की उच्च दृष्टि पड़ने से आप सदैव आप जनता के बीच चर्चित रहेंगी। आपकी इमेज कला जगत में सदैव बनी रहेगी। इनकी पत्रिका में नवम भाव में शनि व चंद्र की युति इन्हें संन्यासी योग भी बना रही है। ये योग विष योग भी होता है। इनका विवाह या यूं कहें दांपत्य जीवन में बाधा रहेगी। आपको कुंभ लग्न व कुंभ राशि वाले एवं मिथुन लग्न व मिथुन राशि वाले उत्तम सफलता देने वाले एवं सहायक होंगे। आपके लिए हीरा, पन्ना व नीलम रत्न शुभ रहेगा।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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सितारों के सितारे - फिल्मी अभिनेत्री तब्बू का जन्म 4 नवंबर 1974 को सुबह 5.40 बजे हैदराबाद में तुला लग्न व धनु नवांश में हुआ...
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सफल अभिनेत्री तब्बू
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Wednesday, June 20, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | 'रानी और आदित्य की सगाई
BBCHindi.com पत्रिका 'रानी और आदित्य की सगाई : "'रानी और आदित्य की सगाई की ख़बर ग़लत'"
यशराज फिल्म्स की प्रवक्ता ने मीडिया में चल रही अटकलों का खंडन करते हुए कहा है कि फ़िल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की सगाई की ख़बर बिल्कुल ग़लत है.
पिछले कुछ दिनों से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि दोनों ने चुपके-चुपके सगाई कर डाली है.
हालांकि मंगलवार के अख़बारों में ऐसी रिपोर्टें छपीं थीं कि आदित्य चोपड़ा और उनके पिता और निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा के बीच बातचीत बिल्कुल बंद है.
रिपोर्टों में ये भी कहा गया था कि इस तनाव की मुख्य वजह आदित्य चोपड़ा का अपनी पत्नी पायल को तलाक़ देने की पेशकश करना है.
जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है. आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है
प्रवक्ता, यशराज फ़िल्म्स
पिछले साल भी ऐसी ख़बरें आईं थीं कि आदित्य ने अपनी पत्नी पायल से तलाक़ के लिए अर्ज़ी दायर की थी. जिसके बाद से यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला ख़ासे नाराज़ बताए गए थे.
लेकिन इस तरह की ख़बरों के बीच जब बीबीसी ने यश चोपड़ा की फ़िल्म कंपनी यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस ख़बर को बेबुनियाद बताया.
उनका कहना था कि पिछले दिनों मीडिया में जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है और आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है.
बाज़ार गर्म
यश चोपड़ा के पुत्र हैं आदित्य
कुछ समाचारपत्रों और चैनलों ने ख़बर चला दी कि सोमवार की रात में ही आदित्य और रानी मुखर्जी की सगाई हो चुकी है.
परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला अपनी बहू पायल के काफ़ी क़रीब हैं.
हाल ही में उन्होंने अपनी बहू को मुंबई के खार इलाक़े में साढ़े तीन करोड़ रुपए का एक शानदार फ्लैट भी ख़रीद कर दिया है.
पायल के पिता यश चोपड़ा के बेहद क़रीबी दोस्त हैं. ऐसे में अगर ये रिश्ता टूटता है तो यश और उनकी पत्नी पामेला को बहुत दुख होगा.
यहाँ तक तो सच है कि आदित्य चोपड़ा और पायल के बीच तलाक़ की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता का कहना है कि रानी मुखर्जी से उनकी सगाई की ख़बर कोरी अफ़वाह है.
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यशराज फिल्म्स की प्रवक्ता ने मीडिया में चल रही अटकलों का खंडन करते हुए कहा है कि फ़िल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की सगाई की ख़बर बिल्कुल ग़लत है.
पिछले कुछ दिनों से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि दोनों ने चुपके-चुपके सगाई कर डाली है.
हालांकि मंगलवार के अख़बारों में ऐसी रिपोर्टें छपीं थीं कि आदित्य चोपड़ा और उनके पिता और निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा के बीच बातचीत बिल्कुल बंद है.
रिपोर्टों में ये भी कहा गया था कि इस तनाव की मुख्य वजह आदित्य चोपड़ा का अपनी पत्नी पायल को तलाक़ देने की पेशकश करना है.
जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है. आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है
प्रवक्ता, यशराज फ़िल्म्स
पिछले साल भी ऐसी ख़बरें आईं थीं कि आदित्य ने अपनी पत्नी पायल से तलाक़ के लिए अर्ज़ी दायर की थी. जिसके बाद से यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला ख़ासे नाराज़ बताए गए थे.
लेकिन इस तरह की ख़बरों के बीच जब बीबीसी ने यश चोपड़ा की फ़िल्म कंपनी यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस ख़बर को बेबुनियाद बताया.
उनका कहना था कि पिछले दिनों मीडिया में जो ख़बरें आईं हैं उसमें कुछ भी तथ्य नहीं है और आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी की सगाई नहीं हुई है.
बाज़ार गर्म
यश चोपड़ा के पुत्र हैं आदित्य
कुछ समाचारपत्रों और चैनलों ने ख़बर चला दी कि सोमवार की रात में ही आदित्य और रानी मुखर्जी की सगाई हो चुकी है.
परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि यश चोपड़ा और उनकी पत्नी पामेला अपनी बहू पायल के काफ़ी क़रीब हैं.
हाल ही में उन्होंने अपनी बहू को मुंबई के खार इलाक़े में साढ़े तीन करोड़ रुपए का एक शानदार फ्लैट भी ख़रीद कर दिया है.
पायल के पिता यश चोपड़ा के बेहद क़रीबी दोस्त हैं. ऐसे में अगर ये रिश्ता टूटता है तो यश और उनकी पत्नी पामेला को बहुत दुख होगा.
यहाँ तक तो सच है कि आदित्य चोपड़ा और पायल के बीच तलाक़ की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यशराज फ़िल्म्स की प्रवक्ता का कहना है कि रानी मुखर्जी से उनकी सगाई की ख़बर कोरी अफ़वाह है.
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BBCHindi.com | भारत और पड़ोस | कंडोम की बिक्री क�
BBCHindi.com भारत और पड़ोस कंडोम की बिक्री क�
मध्य प्रदेश में कंडोम के एक नए पैकेट ने विवाद पैदा कर दिया है. इस पैकेट में कंडोम के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला 'उपकरण' मुफ्त में दे रही है.
यह 'उपकरण' दरअसल एक 'वाइब्रेटिंग रिंग' यानी कंपन पैदा करने वाला छल्ला है.
विवाद है कि क्या इसे 'सेक्स ट्वाय' माना जाना चाहिए?
दरअसल, भारत में 'सेक्स टॉय' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कथित 'सेक्स ट्वाय' बेचे जाने की शिकायतों की जाँच कर रही है.
लेकिन ऐसे उपभोक्ता भी हैं जो इससे ख़ुश हैं और मानते हैं कि इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.
दिलचस्प तथ्य यह है कि यह उत्पाद बेचने वाली कंपनी हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड कोई बहुराष्ट्रीय या निजी कंपनी नहीं बल्कि भारत सरकार की एक कंपनी है.
विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड के 'क्रेज़ेंडो' ब्रांड के कंडोम के पैक कुछ लोगों के हाथ लगे.
एक सौ पच्चीस रुपये के इस कंडोम के पैक के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र मुफ़्त दे रही है.
इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे
कुणाल सिंह, उपभोक्ता
यही बात कुछ लोगों को नागवार ग़ुज़री. इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ है.
बजरंग दल के ज़िला संयोजक देवेंद्र रावत कहते हैं, "इस तरह की चीज़ें भारतीय संस्कृति को बिगाड़ती हैं, इस पर तो न सिर्फ़ मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में रोक लगानी चाहिए."
जब यह सवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उठाया गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अगर हमें कुछ भी ग़लत लगा तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे. भारतीय संस्कति के ख़िलाफ कुछ भी बर्दाशत नही किया जाएगा.″
राज्य के लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके ख़िलाफ़ राज्य सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है.
उनका कहना है कि उन्हें ख़बर मिली है कि छात्र हॉस्टल में इसका प्रयोग कर रहे हैं और लगता है कि कंडोम के बहाने से 'सेक्स ट्वाय' बेचा जा रहा है.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री ने समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. इसे प्रदेश में किसी भी तरह से नही बेचने दिया जाएगा."
मगर कई लोग ऐसे भी हैं जिनहें ये उत्पाद काफ़ी भा रहा है. ऐसे ही एक उपभोक्ता हैं कुणाल सिंह उनका कहना है, "इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे."
मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक कंपनी को कोई निर्देश नहीं दिए हैं
शहर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले रवि भगनानी का कहना है कि इसको बेचने पर प्रतिबंध लगाना ग़लत होगा. वो कहते है कि उनके पास आने वाले लोग उनसे कुछ नया माँगते है और यह कंडोम पैकेट कुछ नया तो देता ही है.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सरकार बेवजह की बातों में जनता को उलझाए रखना चाहती है. अंसार सिद्दीक़ी कहते हैं, "अगर ये बिकता भी है तो इससे जनता को क्या फ़ायदा या नुकसान है?″
वो कहते है कि ये इंसान की निजी ज़िंदगी में दख़ल है. उनका मानना है कि लोग इंटरनेट के ज़रिए भी इसको ख़रीद सकते है, इसलिये अगर राज्य में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगता भी है तो वो बेमानी होगा.
'सेक्स ट्वाय'
इस कंडोम पैकेट के साथ एक रिंग या छल्ला दिया जा रहा है. इस रिंग के साथ एक बैटरी लगी हुई है.
इसे लिंग पर चढ़ाया जा सकता है और इसे चालू करते ही इसमें कंपन शुरु हो जाता है.
कंपनी का कहना है कि इसका उपयोग कंडोम के साथ करने की सलाह की दी जाती है.
कंपनी का दावा है कि ये इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को लगभग बीस मिनट तक आनंद का अनुभव कराएगा.
जानकारी के मुताबिक ये यंत्र चीन में बना हुआ है.
क़ानून के मुताबिक़ भारत में 'सेक्स-ट्वाय' बेचने पर प्रतिबंध है. हालांकि इसमें 'सेक्स-ट्वाय' का ज़िक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि ऐसी कोई भी सामग्री जो समाज में अश्लीलता फ़ैलाए उसे बेचना क़ानूनन अपराध है.
भोपाल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जीके पाठक का कहना है कि भारतीय दंड विधान की धारा 292 के तहत ऐसा कोई सामान बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
हालांकि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कंडोम के साथ बेची जा रही रिंग 'सेक्स-ट्वाय' है या नहीं.
'सेक्स ट्वाय नहीं'
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने बीबीसी से कहा है कि उनका उद्देश्य 'क्रेज़ेंडो' के साथ दिए जा रहे रिंग को 'सेक्स-ट्वाय' की तरह बेचना नहीं है.
कंपनी की सफ़ाई
यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड
कंपनी ने कहा है कि यह कोई प्रतिबंधित उपकरण नहीं है और मार्च 2007 में जब कंपनी ने अपना उत्पाद बाज़ार में उतारा उससे पहले ही यह बाज़ार में था.
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड का कहना है कि इस उत्पाद को लेकर अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है.
बीबीसी को भेजे गए अपने बयान में कंपनी ने कहा है, "यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके."
बाज़ार में इसकी बिक्री रोकने से इनकार करते हुए कंपनी ने कहा है कि एक तो यह अकेला इस तरह का उत्पाद नहीं है जो बाज़ार में उपलब्ध है क्योंकि इस तरह के कई देशी-विदेशी उत्पाद पहले से ही बाज़ार में हैं.
दूसरे यदि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई निर्देश मिलते हैं तो कंपनी राज्य के बाज़ार से अपना यह उत्पाद क्रेंज़ेंडो को हटा लेगी.
http://www.svdeals.com/ garam deals
मध्य प्रदेश में कंडोम के एक नए पैकेट ने विवाद पैदा कर दिया है. इस पैकेट में कंडोम के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला 'उपकरण' मुफ्त में दे रही है.
यह 'उपकरण' दरअसल एक 'वाइब्रेटिंग रिंग' यानी कंपन पैदा करने वाला छल्ला है.
विवाद है कि क्या इसे 'सेक्स ट्वाय' माना जाना चाहिए?
दरअसल, भारत में 'सेक्स टॉय' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कथित 'सेक्स ट्वाय' बेचे जाने की शिकायतों की जाँच कर रही है.
लेकिन ऐसे उपभोक्ता भी हैं जो इससे ख़ुश हैं और मानते हैं कि इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.
दिलचस्प तथ्य यह है कि यह उत्पाद बेचने वाली कंपनी हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड कोई बहुराष्ट्रीय या निजी कंपनी नहीं बल्कि भारत सरकार की एक कंपनी है.
विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड के 'क्रेज़ेंडो' ब्रांड के कंडोम के पैक कुछ लोगों के हाथ लगे.
एक सौ पच्चीस रुपये के इस कंडोम के पैक के साथ कंपनी उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र मुफ़्त दे रही है.
इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे
कुणाल सिंह, उपभोक्ता
यही बात कुछ लोगों को नागवार ग़ुज़री. इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यह भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ है.
बजरंग दल के ज़िला संयोजक देवेंद्र रावत कहते हैं, "इस तरह की चीज़ें भारतीय संस्कृति को बिगाड़ती हैं, इस पर तो न सिर्फ़ मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में रोक लगानी चाहिए."
जब यह सवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उठाया गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अगर हमें कुछ भी ग़लत लगा तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे. भारतीय संस्कति के ख़िलाफ कुछ भी बर्दाशत नही किया जाएगा.″
राज्य के लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके ख़िलाफ़ राज्य सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है.
उनका कहना है कि उन्हें ख़बर मिली है कि छात्र हॉस्टल में इसका प्रयोग कर रहे हैं और लगता है कि कंडोम के बहाने से 'सेक्स ट्वाय' बेचा जा रहा है.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री ने समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. इसे प्रदेश में किसी भी तरह से नही बेचने दिया जाएगा."
मगर कई लोग ऐसे भी हैं जिनहें ये उत्पाद काफ़ी भा रहा है. ऐसे ही एक उपभोक्ता हैं कुणाल सिंह उनका कहना है, "इसका विरोध करना ग़लत है, जिसका दिल चाहे वो इस्तेमाल करे. जिसे अच्छा नहीं लगता है वो इसका इस्तेमाल न करे."
मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक कंपनी को कोई निर्देश नहीं दिए हैं
शहर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले रवि भगनानी का कहना है कि इसको बेचने पर प्रतिबंध लगाना ग़लत होगा. वो कहते है कि उनके पास आने वाले लोग उनसे कुछ नया माँगते है और यह कंडोम पैकेट कुछ नया तो देता ही है.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सरकार बेवजह की बातों में जनता को उलझाए रखना चाहती है. अंसार सिद्दीक़ी कहते हैं, "अगर ये बिकता भी है तो इससे जनता को क्या फ़ायदा या नुकसान है?″
वो कहते है कि ये इंसान की निजी ज़िंदगी में दख़ल है. उनका मानना है कि लोग इंटरनेट के ज़रिए भी इसको ख़रीद सकते है, इसलिये अगर राज्य में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगता भी है तो वो बेमानी होगा.
'सेक्स ट्वाय'
इस कंडोम पैकेट के साथ एक रिंग या छल्ला दिया जा रहा है. इस रिंग के साथ एक बैटरी लगी हुई है.
इसे लिंग पर चढ़ाया जा सकता है और इसे चालू करते ही इसमें कंपन शुरु हो जाता है.
कंपनी का कहना है कि इसका उपयोग कंडोम के साथ करने की सलाह की दी जाती है.
कंपनी का दावा है कि ये इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को लगभग बीस मिनट तक आनंद का अनुभव कराएगा.
जानकारी के मुताबिक ये यंत्र चीन में बना हुआ है.
क़ानून के मुताबिक़ भारत में 'सेक्स-ट्वाय' बेचने पर प्रतिबंध है. हालांकि इसमें 'सेक्स-ट्वाय' का ज़िक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि ऐसी कोई भी सामग्री जो समाज में अश्लीलता फ़ैलाए उसे बेचना क़ानूनन अपराध है.
भोपाल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जीके पाठक का कहना है कि भारतीय दंड विधान की धारा 292 के तहत ऐसा कोई सामान बेचने के लिए दो साल तक की सज़ा और दो हज़ार तक का ज़ुर्माना हो सकता है.
हालांकि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कंडोम के साथ बेची जा रही रिंग 'सेक्स-ट्वाय' है या नहीं.
'सेक्स ट्वाय नहीं'
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने बीबीसी से कहा है कि उनका उद्देश्य 'क्रेज़ेंडो' के साथ दिए जा रहे रिंग को 'सेक्स-ट्वाय' की तरह बेचना नहीं है.
कंपनी की सफ़ाई
यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड
कंपनी ने कहा है कि यह कोई प्रतिबंधित उपकरण नहीं है और मार्च 2007 में जब कंपनी ने अपना उत्पाद बाज़ार में उतारा उससे पहले ही यह बाज़ार में था.
हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड का कहना है कि इस उत्पाद को लेकर अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है.
बीबीसी को भेजे गए अपने बयान में कंपनी ने कहा है, "यह शिकायत आम रही है कि लोगों को कंडोम के साथ यौन संबंध बनाकर संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए कंपनी ने यह रिंग साथ में देने की योजना बनाई है ताकि कंडोम के साथ इसके उपयोग से आनंद में वृद्धि की जा सके."
बाज़ार में इसकी बिक्री रोकने से इनकार करते हुए कंपनी ने कहा है कि एक तो यह अकेला इस तरह का उत्पाद नहीं है जो बाज़ार में उपलब्ध है क्योंकि इस तरह के कई देशी-विदेशी उत्पाद पहले से ही बाज़ार में हैं.
दूसरे यदि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई निर्देश मिलते हैं तो कंपनी राज्य के बाज़ार से अपना यह उत्पाद क्रेंज़ेंडो को हटा लेगी.
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Monday, June 18, 2007
BBCHindi.com | पत्रिका | 'निर्देशक के हाथ में गी
BBCHindi.com पत्रिका 'निर्देशक के हाथ में गी
ब्रिटिश एकेडेमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलीविज़न ऑर्ट्स( बाफ़्टा) ने भारतीय सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के सम्मान में हाल ही में विशेष समारोह आयोजित किया.
लंदन में हुए इस कार्यक्रम में पिछले करीब 30 सालों से अमिताभ बच्चन की कई क्लासिक फ़िल्में दिखाई गई जिसमें शोले से लेकर निशब्द शामिल है.
पिछले वर्ष भी बाफ़्टा ने लंदन में ‘बाफ़्टा गोज़ बॉलीवुड’ नाम का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था.
इस मौके पर बीबीसी ने लंदन में अमिताभ बच्चन से ख़ास बातचीत की.
यूँ तो आपको कई पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं. ब्रिटेन में बाफ़्टा से मिला ये सम्मान किस मायने में ख़ास है आपके लिए.
किसी भी प्रकार का सम्मान एक भारतीय होने के नाते मेरे लिए बड़े गर्व की बात है.मेरा सम्मान जब भी होता है मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि ये मेरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय फ़िल्म जगत और भारत के लोगों का सम्मान है. ब्रिटेन में बाफ़्टा ने विशेष कार्यक्रम रखा है, मैं बड़ी विनम्रता से इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ और खुशी ज़ाहिर करता हूँ.
ब्रिटेन में तो हमेशा से ही भारतीय फ़िल्में काफ़ी लोकप्रिय रही हैं चूँकि यहाँ बड़ी संख्या में एशियाई समुदाय है. आप हाल ही में फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फ़िल्म उत्सव में गए थे. वहाँ किस तरह का नज़रिया देखा आपने भारतीय सिनेमा के प्रति.
कई बार ये आरोप लगाया जाता है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिन्हें कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में पुरस्कार मिल सकें. लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है. हमारी कुछ फ़िल्में इन उत्सवों में दिखाई गई हैं, हम वितरण भी कर रहे हैं.मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी
मैं कान गया था केवल अपनी फ़िल्म का प्रचार करने. मैं ज़्यादा समय तो रहा नहीं वहाँ लेकिन मैने देखा कि भारत से बहुत से लोग अपनी फ़िल्में लेकर वहाँ जाते हैं और मार्केंटिंग का मौका मिलता है. जहाँ तक मेरी सीमित जानकारी है ये भारतीय सिनेमा के लिए अच्छी चीज़ है.
कई बार हम पर ये आरोप लगाया जाता है या आलोचना होती है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिस स्तर की फ़िल्में कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में जाती है, और न हम वहाँ कोई पुरस्कार जीतते हैं.
लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है, आज हम वहाँ वितरण कर रहे हैं, कुछ फ़िल्में दिखाई भी गईं. मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी.
आपकी फ़िल्मों की अगर बात करें तो, हाल के वर्षों में कई तरह के प्रयोग किए हैं आपने भूमिकाओं में-चाहे ब्लैक हो, कभी अलविदा न कहना या निशब्द. 20-25 साल पहले हम आपको ऐसी भूमिकाओं में नहीं देखते थे. क्या अब दर्शक ज़्यादा परिपक्व हो गए हैं या फ़िल्मकार इस तरह के प्रयोग और रिस्क लेने को तैयार हैं.
बीस-पच्चीस साल पहले लोग ऐसी भूमिकाओं में मुझे इसलिए नहीं देखते थे क्योंकि मैं थोड़ा सा जवान था, लीडिंग मैन रोल करता था.
अब उम्र हो गई है और इसी तरह के रोल में काम करना पड़ता है, भाग्यशाली हूँ कि अच्छे रोल मिल रहे हैं.
लेकिन कहीं न कहीं आपकी बात सही है कि दर्शक पहले से जागरुक हो गए हैं. वो अलग तरह की फ़िल्मों और किरदारों को स्वीकार करते हैं.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आगे भी लोग ऐसी फ़िल्मों को पसंद करेंगे क्योंकि हम फिर प्रोत्साहित होंगे कि ऐसे किरदार निभाते रहें.
जिन निर्देशकों के साथ आप आजकल काम कर करें हैं, ज़्यादातर युवा निर्देशक हैं. तो क्या उन्हें अपनी बात कहने में कभी किसी तरह की हिचकिचाहट महसूस नहीं होती...आप वरिष्ठ कलाकार हैं और ये निर्देशक आपसे उम्र में काफ़ी छोटे हैं.
मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं
ऐसा कोई भेदभाव नहीं है. मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं.
निर्देशक कैप्टन है जहाज़ का, वो बताता है कि हमें क्या करना चाहिए. मेरे साथ तो ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी न हमें कहा हो कुछ करने के लिए और हमने इनकार कर दिया हो.
इस तरह का वातावरण प्रचलित नहीं है कि मैं चूँकि सिनीयर हूँ तो मुझसे कम उम्र के कलाकार डरेंगे. हम सब एकजुट होकर, एक टीम की तरह काम करते हैं. जो निर्देशक कहता है, मैं उसे करता हूँ. ये मेरा कर्तव्य है एक कलाकार की हैसियत से.
हर क्षेत्र में कोई न कोई शख़्सियत होती है, जिसे लोग बैंचमार्क मान कर चलते हैं. क्रिकेट में शायद कुछ लोगों के लिए वो मानक सचिन तेंदुलकर या कपिल देव हों. अभिनय में कई लोगों के लिए वो मानक आप हैं. लेकिन ख़ुद अमिताभ बच्चन के लिए वो मानक क्या है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा
इस तरह की धारणाओं में मुझे विश्वास नहीं है. हर इंसान अपने आप में अलग होता है. उसकी तरह सोचने वाला, दिखने वाला दूसरा व्यक्ति तो होता नहीं. हाँ ये ज़रूर है कि समाज में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं. इसमें कोई बुरी बात नहीं है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा. प्रतिदिन यही कोशिश रहती है कि किस तरह उन कमियों को, ख़ामियों को दूर कर सकूँ.
यदि कोई मुझे अपना मानक समझता है तो मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूँ. मैं तो केवल यही कहूँगा कि उन्हें अपने आप में विश्वास रखना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए क्योंकि मेहनत का फल मीठा होता है.
सेलिब्रिटी होने के नाते आप हमेशा लोगों और मीडिया की नज़रों में रहते हैं. आप क्या करते हैं, कहाँ गए, किससे मिले, किस मंदिर में गए..सब चीज़ों पर लोगों की नज़र रहती है और लोग टिप्पणी भी करते रहते हैं.. क्या इससे आपको किसी तरह की परेशानी या एतराज़ होता है?
इसमें हमें कोई एतराज़ नहीं हैं. यदि मीडिया हमारे बारे में जानकारी हासिल करना चाहता है, तस्वीरें लेता है तो उसे हम कहाँ रोक सकते हैं.
ये तो पब्लिक डोमेन है और वो सबके लिए है.
हाँ हमारे घर के अंदर हम जो भी करें वो अलग बात है.
यदि हम बाहर जाते हैं तो मीडिया को पूरी छूट है कि वो हमारे बारे में लिखे या जो भी उसकी धारणा है उसका प्रचार करे.
भारत को आज़ाद हुए 60 वर्ष हो चुके हैं. आज की तारीख़ में कैसे देखते हैं आप भारत और भारतीय सिनेमा को.
हर वर्ष भारतीय सिनेमा प्रगति कर रहा है. जिस तरह भारतीय सिनेमा का प्रचार हो रहा है,दूसरे देशों के लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं ये सब बातें सिनेमा के लिए अच्छी हैं. मैं उम्मीद करता हूँ कि हम इसी तरह प्रगति करते जाएँ और विश्व में हमारा झंड़ा और ऊँचा हो.
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ब्रिटिश एकेडेमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलीविज़न ऑर्ट्स( बाफ़्टा) ने भारतीय सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के सम्मान में हाल ही में विशेष समारोह आयोजित किया.
लंदन में हुए इस कार्यक्रम में पिछले करीब 30 सालों से अमिताभ बच्चन की कई क्लासिक फ़िल्में दिखाई गई जिसमें शोले से लेकर निशब्द शामिल है.
पिछले वर्ष भी बाफ़्टा ने लंदन में ‘बाफ़्टा गोज़ बॉलीवुड’ नाम का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था.
इस मौके पर बीबीसी ने लंदन में अमिताभ बच्चन से ख़ास बातचीत की.
यूँ तो आपको कई पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं. ब्रिटेन में बाफ़्टा से मिला ये सम्मान किस मायने में ख़ास है आपके लिए.
किसी भी प्रकार का सम्मान एक भारतीय होने के नाते मेरे लिए बड़े गर्व की बात है.मेरा सम्मान जब भी होता है मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि ये मेरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय फ़िल्म जगत और भारत के लोगों का सम्मान है. ब्रिटेन में बाफ़्टा ने विशेष कार्यक्रम रखा है, मैं बड़ी विनम्रता से इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ और खुशी ज़ाहिर करता हूँ.
ब्रिटेन में तो हमेशा से ही भारतीय फ़िल्में काफ़ी लोकप्रिय रही हैं चूँकि यहाँ बड़ी संख्या में एशियाई समुदाय है. आप हाल ही में फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फ़िल्म उत्सव में गए थे. वहाँ किस तरह का नज़रिया देखा आपने भारतीय सिनेमा के प्रति.
कई बार ये आरोप लगाया जाता है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिन्हें कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में पुरस्कार मिल सकें. लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है. हमारी कुछ फ़िल्में इन उत्सवों में दिखाई गई हैं, हम वितरण भी कर रहे हैं.मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी
मैं कान गया था केवल अपनी फ़िल्म का प्रचार करने. मैं ज़्यादा समय तो रहा नहीं वहाँ लेकिन मैने देखा कि भारत से बहुत से लोग अपनी फ़िल्में लेकर वहाँ जाते हैं और मार्केंटिंग का मौका मिलता है. जहाँ तक मेरी सीमित जानकारी है ये भारतीय सिनेमा के लिए अच्छी चीज़ है.
कई बार हम पर ये आरोप लगाया जाता है या आलोचना होती है कि हम उस स्तर की फ़िल्में नहीं बना पाते हैं जिस स्तर की फ़िल्में कान जैसे फ़िल्म उत्सवों में जाती है, और न हम वहाँ कोई पुरस्कार जीतते हैं.
लेकिन हर चीज़ धीरे-धीरे होती है, आज हम वहाँ वितरण कर रहे हैं, कुछ फ़िल्में दिखाई भी गईं. मुझे यकीन है कि एक दिन हमारी फ़िल्में भी वहाँ झंडा गाड़ेंगी और पुरस्कार जीतेंगी.
आपकी फ़िल्मों की अगर बात करें तो, हाल के वर्षों में कई तरह के प्रयोग किए हैं आपने भूमिकाओं में-चाहे ब्लैक हो, कभी अलविदा न कहना या निशब्द. 20-25 साल पहले हम आपको ऐसी भूमिकाओं में नहीं देखते थे. क्या अब दर्शक ज़्यादा परिपक्व हो गए हैं या फ़िल्मकार इस तरह के प्रयोग और रिस्क लेने को तैयार हैं.
बीस-पच्चीस साल पहले लोग ऐसी भूमिकाओं में मुझे इसलिए नहीं देखते थे क्योंकि मैं थोड़ा सा जवान था, लीडिंग मैन रोल करता था.
अब उम्र हो गई है और इसी तरह के रोल में काम करना पड़ता है, भाग्यशाली हूँ कि अच्छे रोल मिल रहे हैं.
लेकिन कहीं न कहीं आपकी बात सही है कि दर्शक पहले से जागरुक हो गए हैं. वो अलग तरह की फ़िल्मों और किरदारों को स्वीकार करते हैं.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आगे भी लोग ऐसी फ़िल्मों को पसंद करेंगे क्योंकि हम फिर प्रोत्साहित होंगे कि ऐसे किरदार निभाते रहें.
जिन निर्देशकों के साथ आप आजकल काम कर करें हैं, ज़्यादातर युवा निर्देशक हैं. तो क्या उन्हें अपनी बात कहने में कभी किसी तरह की हिचकिचाहट महसूस नहीं होती...आप वरिष्ठ कलाकार हैं और ये निर्देशक आपसे उम्र में काफ़ी छोटे हैं.
मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं
ऐसा कोई भेदभाव नहीं है. मैं एक कलाकार हूँ, गीली मिट्टी हूँ निर्देशक के हाथों में, वो जिस तरह से चाहें मुझे मोड़ सकते हैं,मुझे जिस ढाँचे में चाहें ढाल सकते हैं.
निर्देशक कैप्टन है जहाज़ का, वो बताता है कि हमें क्या करना चाहिए. मेरे साथ तो ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी न हमें कहा हो कुछ करने के लिए और हमने इनकार कर दिया हो.
इस तरह का वातावरण प्रचलित नहीं है कि मैं चूँकि सिनीयर हूँ तो मुझसे कम उम्र के कलाकार डरेंगे. हम सब एकजुट होकर, एक टीम की तरह काम करते हैं. जो निर्देशक कहता है, मैं उसे करता हूँ. ये मेरा कर्तव्य है एक कलाकार की हैसियत से.
हर क्षेत्र में कोई न कोई शख़्सियत होती है, जिसे लोग बैंचमार्क मान कर चलते हैं. क्रिकेट में शायद कुछ लोगों के लिए वो मानक सचिन तेंदुलकर या कपिल देव हों. अभिनय में कई लोगों के लिए वो मानक आप हैं. लेकिन ख़ुद अमिताभ बच्चन के लिए वो मानक क्या है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा
इस तरह की धारणाओं में मुझे विश्वास नहीं है. हर इंसान अपने आप में अलग होता है. उसकी तरह सोचने वाला, दिखने वाला दूसरा व्यक्ति तो होता नहीं. हाँ ये ज़रूर है कि समाज में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं. इसमें कोई बुरी बात नहीं है.
मैं तो नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे अपना उदाहरण बनाए क्योंकि मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं. मैं उन्हें ठीक करना चाहूँगा. प्रतिदिन यही कोशिश रहती है कि किस तरह उन कमियों को, ख़ामियों को दूर कर सकूँ.
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सेलिब्रिटी होने के नाते आप हमेशा लोगों और मीडिया की नज़रों में रहते हैं. आप क्या करते हैं, कहाँ गए, किससे मिले, किस मंदिर में गए..सब चीज़ों पर लोगों की नज़र रहती है और लोग टिप्पणी भी करते रहते हैं.. क्या इससे आपको किसी तरह की परेशानी या एतराज़ होता है?
इसमें हमें कोई एतराज़ नहीं हैं. यदि मीडिया हमारे बारे में जानकारी हासिल करना चाहता है, तस्वीरें लेता है तो उसे हम कहाँ रोक सकते हैं.
ये तो पब्लिक डोमेन है और वो सबके लिए है.
हाँ हमारे घर के अंदर हम जो भी करें वो अलग बात है.
यदि हम बाहर जाते हैं तो मीडिया को पूरी छूट है कि वो हमारे बारे में लिखे या जो भी उसकी धारणा है उसका प्रचार करे.
भारत को आज़ाद हुए 60 वर्ष हो चुके हैं. आज की तारीख़ में कैसे देखते हैं आप भारत और भारतीय सिनेमा को.
हर वर्ष भारतीय सिनेमा प्रगति कर रहा है. जिस तरह भारतीय सिनेमा का प्रचार हो रहा है,दूसरे देशों के लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं ये सब बातें सिनेमा के लिए अच्छी हैं. मैं उम्मीद करता हूँ कि हम इसी तरह प्रगति करते जाएँ और विश्व में हमारा झंड़ा और ऊँचा हो.
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Sunday, June 17, 2007
BBCHindi.com | विश्व समाचार | खरगोशों ने बंद कर�
BBCHindi.com विश्व समाचार खरगोशों ने बंद कर�: "खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा"
खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा
हवाईअड्डे पर खरगोशों की संख्या लगातार बढ़ रही है
इटली के शहर मिलान के लिनाटे हवाईअड्डे के अधिकारियों को एक अजीब समस्या से जूझना पड़ रहा है. अधिकारियों को यहाँ कई उड़ानें स्थगित करनी पड़ी हैं-वजह है खरगोशों की उछल कूद.
रविवार को खरगोशों ने लिनाटे हवाईअड्डे के रनवे पर मानो धावा बोल दिया जिसके कारण वहाँ कामकाज पर असर पडा.
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि रविवार को तीन घंटों के लिए हवाईअड्डा बंद करने का फ़ैसला किया गया ताकि वन्यजीव से जुड़े अधिकारी क़रीब 80 खरगोशों को पकड़ सकें.
कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वहाँ पिछले कुछ महीनों में खरगोशों की संख्या इतनी क्यों बढ़ी है.
निदान
हवाईअड्डे पर खरगोशों की बढ़ती संख्या के पीछे कारण कुछ भी हो लेकिन इसका असर हवाईअड्डे पर पड़ रहा है. पिछले दो हफ़्तों के दौरान ही दो खरगोश चार्टर विमानों के पहिए के नीचे आ गए.
इन खरगोशों के चलते रडार की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है. ये रडार विशेष तौर पर लगाई गई है ताकि यहाँ विमान दुर्घटना न हो.
जो लोग भी जल्द मिलान जाना चाहते हैं,उनके लिए ये हवाईअड्डा काफ़ी सुविधाजनक है. ये शहर के केंद्र से सिर्फ़ पाँच किलोमीटर की दूरी पर है. मिलान के अन्य हवाईअड्डों से शहर पहुँचने में काफ़ी समय लगता है.
वन्यजीव अधिकारी अगर खरगोशों को पकड़ने में सफल हो गए तो, उन्हें मिलान के पास के अभ्यारण्य में ले जाया जाएगा.
हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो खरगोशों को मारना भी पड़ सकता है.
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खरगोशों ने बंद कराया हवाईअड्डा
हवाईअड्डे पर खरगोशों की संख्या लगातार बढ़ रही है
इटली के शहर मिलान के लिनाटे हवाईअड्डे के अधिकारियों को एक अजीब समस्या से जूझना पड़ रहा है. अधिकारियों को यहाँ कई उड़ानें स्थगित करनी पड़ी हैं-वजह है खरगोशों की उछल कूद.
रविवार को खरगोशों ने लिनाटे हवाईअड्डे के रनवे पर मानो धावा बोल दिया जिसके कारण वहाँ कामकाज पर असर पडा.
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि रविवार को तीन घंटों के लिए हवाईअड्डा बंद करने का फ़ैसला किया गया ताकि वन्यजीव से जुड़े अधिकारी क़रीब 80 खरगोशों को पकड़ सकें.
कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वहाँ पिछले कुछ महीनों में खरगोशों की संख्या इतनी क्यों बढ़ी है.
निदान
हवाईअड्डे पर खरगोशों की बढ़ती संख्या के पीछे कारण कुछ भी हो लेकिन इसका असर हवाईअड्डे पर पड़ रहा है. पिछले दो हफ़्तों के दौरान ही दो खरगोश चार्टर विमानों के पहिए के नीचे आ गए.
इन खरगोशों के चलते रडार की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है. ये रडार विशेष तौर पर लगाई गई है ताकि यहाँ विमान दुर्घटना न हो.
जो लोग भी जल्द मिलान जाना चाहते हैं,उनके लिए ये हवाईअड्डा काफ़ी सुविधाजनक है. ये शहर के केंद्र से सिर्फ़ पाँच किलोमीटर की दूरी पर है. मिलान के अन्य हवाईअड्डों से शहर पहुँचने में काफ़ी समय लगता है.
वन्यजीव अधिकारी अगर खरगोशों को पकड़ने में सफल हो गए तो, उन्हें मिलान के पास के अभ्यारण्य में ले जाया जाएगा.
हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो खरगोशों को मारना भी पड़ सकता है.
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Tuesday, June 12, 2007
BBCHindi.com | खेल की दुनिया | धोनी दुनिया के चौ�
BBCHindi.com खेल की दुनिया धोनी दुनिया के चौ�
भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी आईसीसी बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं. धोनी ने एफ़्रो-एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया था.
दूसरी ओर उन्हें आयरलैंड और इंग्लैंड के वनडे मैचों के लिए भारतीय टीम का उपकप्तान घोषित किया गया है.
उन्होंने एफ़्रो-एशिया कप के चेन्नई में रविवार को हुए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में नाबाद 139 रन की पारी खेली थी.
यह किसी भी सातवें नंबर के बल्लेबाज का सर्वाधिक एक दिवसीय स्कोर है.
इंग्लैंड के केविन पीटरसन शीर्ष स्थान पर हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग दूसरे नंबर पर और ऑस्ट्रेलिया के ही माइकल हसी तीसरे स्थान पर हैं.
आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ आठवें स्थान पर हैं और लेग स्पिनर अनिल कुंबले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर हैं.
आस्ट्रेलिया के आलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स शीर्ष दस बल्लेबाजों में लौट आए हैं जबकि श्रीलंका के सनथ जयसूर्या एफ्रो-एशिया कप में फीके प्रदर्शन के कारण 13वें स्थान पर पहुँच गए हैं.
इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर मोंटी पनेसर वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में शानदार प्रदर्शन से 14 स्थानों की छलांग लगाकर 12 वें स्थान पर पहुंच गए हैं.
पनेसर ने तीसरे टेस्ट में कुल दस विकेट लेकर इंग्लैंड को वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ जीत दिला दी थी.
गेंदबाजों में शीर्ष पर श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन हैं. दक्षिण अफ्रीका के मखाया एंटिनी दूसरे स्थान पर हैं.
भारत के अनिल कुंबले और दक्षिण अफ़्रीका के पोलाक संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
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भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी आईसीसी बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं. धोनी ने एफ़्रो-एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया था.
दूसरी ओर उन्हें आयरलैंड और इंग्लैंड के वनडे मैचों के लिए भारतीय टीम का उपकप्तान घोषित किया गया है.
उन्होंने एफ़्रो-एशिया कप के चेन्नई में रविवार को हुए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में नाबाद 139 रन की पारी खेली थी.
यह किसी भी सातवें नंबर के बल्लेबाज का सर्वाधिक एक दिवसीय स्कोर है.
इंग्लैंड के केविन पीटरसन शीर्ष स्थान पर हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग दूसरे नंबर पर और ऑस्ट्रेलिया के ही माइकल हसी तीसरे स्थान पर हैं.
आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ आठवें स्थान पर हैं और लेग स्पिनर अनिल कुंबले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर हैं.
आस्ट्रेलिया के आलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स शीर्ष दस बल्लेबाजों में लौट आए हैं जबकि श्रीलंका के सनथ जयसूर्या एफ्रो-एशिया कप में फीके प्रदर्शन के कारण 13वें स्थान पर पहुँच गए हैं.
इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर मोंटी पनेसर वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में शानदार प्रदर्शन से 14 स्थानों की छलांग लगाकर 12 वें स्थान पर पहुंच गए हैं.
पनेसर ने तीसरे टेस्ट में कुल दस विकेट लेकर इंग्लैंड को वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ जीत दिला दी थी.
गेंदबाजों में शीर्ष पर श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन हैं. दक्षिण अफ्रीका के मखाया एंटिनी दूसरे स्थान पर हैं.
भारत के अनिल कुंबले और दक्षिण अफ़्रीका के पोलाक संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
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Monday, June 11, 2007
Welcome to Yahoo! Hindi
Welcome to Yahoo! Hindi: "'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता"
'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'
पं. अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्म 'गैंगस्टर' से फिल्मी जगत में प्रवेश करने वाली खूबसूरत बाला कंगना राणावत का जादू दर्शकों पर पहली बार में ही चल गया और वे अभी बहुत सी फिल्मों में आ रही हैं तो आइए जानते हैं कि क्या कह रहे हैं इनके सितारे- कंगना का जन्म 20 मार्च 1987 को वृषभ लग्न, मेष नवांश, वृश्चिक राशि में हुआ। वृषभ लग्न वालों के लिए नवम भाग्य भाव में मकर राशि होती है, जहाँ लग्न का स्वामी बैठा है, इसके कारण ही आपका फिल्मों में प्रवेश हुआ। वृषभ लग्न की लड़कियाँ मध्यम कद-काठी वाली तथा रंग रूप में के भाग्य में स्थित होने व भाग्येश का लग्न को पराक्रमेश चंद्र की उच्च दृष्टि से देखने के कारण कंगना पर भाग्य की मेहरबानी है। मनोरंजन का स्वामी चतुर्थ भाव को देखे या चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थ भाव से संबंध रखता हो तो ऐसा जातक जनता के बीच अपनी प्रसिद्धि बनाए रखता है व प्रसिद्ध भी होता है। आपकी पत्रिका में सप्तमेश मंगल स्वराशि का होकर द्वादश भाव में है, अतः बाहर से काफी परिश्रम कर सफलता का कारक बनता है। 2006 में बुध की महादशा चलने के कारण उन्हें 'फिल्म फेयर फेस ऑफ द ईयर' का अवॉर्ड प्राप्त हुआ। कलाजगत में सफलता पाने के लिए लग्नेश, पंचमेश, भाग्येश का बलवान होना आवश्यक होता है। आपकी कुंडली में पत्रिका में पंचमेश मनोरंजन भाव व धन, कुटुंब, वाणीभाव का स्वामी बुध शनि की मित्र राशि कुंभ में होकर कर्म दशम भाव में विराजमान होकर चतुर्थ जनता, भूमि, भवन सुख भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। एकादश भाव में स्वराशिस्थ गुरु, सुखेश सूर्य व राहू के साथ होने से आय उत्तम रहती है। किसी भी कलाकार के लिए शुक्र, पंचमेश व भाग्येश के साथ चतुर्थेश का बलवान होना आवश्यक रहता है, तभी अच्छी सफलता का कारण बनता है। वैसे शुक्र, पंचमेश बुध बलशाली है, लेकिन भाग्येश शनि मंगल से अष्टम दृष्टि से संबंध रखने के कारण भाग्य में कुछ कमी आती है अतः मंगल को कमजोर करना चाहिए।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
आरती छाबड़िया - पन्ना व नीलम अनुकूल
•
जूही बब्बर-भविष्य उज्ज्वल
•
रिया सेन-सफलता के उत्तम योग
•
ग्रह बनेंगे सहयोगी लालूप्रसाद के
•
जाने-माने लोगों पर कर्क का शनि
•
शिबू सोरेन-कष्ट का समय
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'कंगना' - मिलेगी अच्छी सफलता
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'
पं. अशोक पवार 'मयंक' ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण और रत्न विज्ञान विशेषज्ञ हैं। जानी-मानी हस्तियों के भविष्य कथन एवं ज्योतिष से संबंधित उनके आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।फिल्म 'गैंगस्टर' से फिल्मी जगत में प्रवेश करने वाली खूबसूरत बाला कंगना राणावत का जादू दर्शकों पर पहली बार में ही चल गया और वे अभी बहुत सी फिल्मों में आ रही हैं तो आइए जानते हैं कि क्या कह रहे हैं इनके सितारे- कंगना का जन्म 20 मार्च 1987 को वृषभ लग्न, मेष नवांश, वृश्चिक राशि में हुआ। वृषभ लग्न वालों के लिए नवम भाग्य भाव में मकर राशि होती है, जहाँ लग्न का स्वामी बैठा है, इसके कारण ही आपका फिल्मों में प्रवेश हुआ। वृषभ लग्न की लड़कियाँ मध्यम कद-काठी वाली तथा रंग रूप में के भाग्य में स्थित होने व भाग्येश का लग्न को पराक्रमेश चंद्र की उच्च दृष्टि से देखने के कारण कंगना पर भाग्य की मेहरबानी है। मनोरंजन का स्वामी चतुर्थ भाव को देखे या चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थ भाव से संबंध रखता हो तो ऐसा जातक जनता के बीच अपनी प्रसिद्धि बनाए रखता है व प्रसिद्ध भी होता है। आपकी पत्रिका में सप्तमेश मंगल स्वराशि का होकर द्वादश भाव में है, अतः बाहर से काफी परिश्रम कर सफलता का कारक बनता है। 2006 में बुध की महादशा चलने के कारण उन्हें 'फिल्म फेयर फेस ऑफ द ईयर' का अवॉर्ड प्राप्त हुआ। कलाजगत में सफलता पाने के लिए लग्नेश, पंचमेश, भाग्येश का बलवान होना आवश्यक होता है। आपकी कुंडली में पत्रिका में पंचमेश मनोरंजन भाव व धन, कुटुंब, वाणीभाव का स्वामी बुध शनि की मित्र राशि कुंभ में होकर कर्म दशम भाव में विराजमान होकर चतुर्थ जनता, भूमि, भवन सुख भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। एकादश भाव में स्वराशिस्थ गुरु, सुखेश सूर्य व राहू के साथ होने से आय उत्तम रहती है। किसी भी कलाकार के लिए शुक्र, पंचमेश व भाग्येश के साथ चतुर्थेश का बलवान होना आवश्यक रहता है, तभी अच्छी सफलता का कारण बनता है। वैसे शुक्र, पंचमेश बुध बलशाली है, लेकिन भाग्येश शनि मंगल से अष्टम दृष्टि से संबंध रखने के कारण भाग्य में कुछ कमी आती है अतः मंगल को कमजोर करना चाहिए।
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
आरती छाबड़िया - पन्ना व नीलम अनुकूल
•
जूही बब्बर-भविष्य उज्ज्वल
•
रिया सेन-सफलता के उत्तम योग
•
ग्रह बनेंगे सहयोगी लालूप्रसाद के
•
जाने-माने लोगों पर कर्क का शनि
•
शिबू सोरेन-कष्ट का समय
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Thursday, June 7, 2007
BBCHindi.com | विज्ञान | अब बिना तार बिजली....
BBCHindi.com विज्ञान अब बिना तार बिजली....: "अब बिना तार बिजली...."
अब बिना तार बिजली....
उपकरण चालू हुआ तो दीवार के पार रखा बल्ब भी जल उठा
अमरीका में वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने हवा में बिजली भेजने का उपाय ढूँढ़ लिया है.
इसका मतलब यह है कि उन्होंने दो उपकरणों के बीच बिना तार या केबल के बिजली भेजने में सफलता पाई है.
इस नई तकनीक से हमारे घरों में बिजली से चलने वाले तमाम उपकरणों के लिए अब प्लग लगाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगी.
'साइंस' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने साठ वॉट के एक बल्ब को बिना तारों से जोड़े दो मीटर दूरी से जला लिया.
वाइ-ट्राइसिटी
अब तक हम 'वाइ-फ़ाइ' सिस्टम के बारे में सुनते आए थे. इस तकनीक से कप्यूटर पर इंटरनेट चलाने के लिए इसे केबल से जोड़ने की ज़रूरत नहीं होती. इसे सिर्फ़ बिजली के केबल से जोड़ने की ज़रूरत होती है.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसकी भी ज़रुरत ख़त्म कर दी है. और इस तकनीक को नाम दिया गया है 'वाई-ट्राइसिटी'.
इस तकनीक को सफलता पूर्वक ढूँढ़ा है मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने.
उन्होंने इसे सिद्धांत रुप में वर्ष 2006 में मान लिया था लेकिन इसका व्यावहारिक प्रदर्शन अब जाकर किया गया है.
इस प्रयोग में शामिल सहायक प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक ने कहा, "हमे सिद्धांतों पर पूरा भरोसा था लेकिन प्रयोग से ही इसकी जाँच होती है."
इस प्रयोग को देख चुके इंपीरियल कॉलेज लंदन के सर जॉन पेंड्री ने कहा, "इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका आविष्कार वो लोग दस या बीस साल पहले नहीं कर सकते थे."
लेकिन उनका कहना है कि यह समय की भी बात थी. अब सब कुछ मोबाइल हो चुका है और केबल हट गए हैं. हर उपकरण को सिर्फ़ बिजली की ज़रूरत होती है, ऐसे में बिजली का केबल ही वह केबल था जिसे हटाया जाना ज़रुरी था.
कैसे काम करता है
वैज्ञानिकों ने प्रयोग के तौर पर एक बल्ब जलाकर देखा है.
इसके लिए ताँबे के दो क़्वाइल होते हैं. एक बिजली के स्रोत के पास और दूसरा उस उपकरण के पास जिसे बिजली की ज़रुरत है.
उन्हें 'मैगनेटिक रेज़ोनेटर्स' कहा गया है.
जैसा कि नाम से ज़ाहिर है यह कंपन के सिद्धांत पर काम करता है. जब बिजली के स्रोत वाला क्वाइल चुंबकीय तरंग भेजता है तो दूसरे छोर पर रखा क्वाइल इस तंरग से कंपित होने लगता है.
जब दोनों क्वाइल के कंपन मिल जाते हैं तो दोनों के बीच बिजली का प्रवाह शुरु हो जाता है.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक कहते हैं यह ठीक वैसा ही जैसा कि कोई ओपरा सिंगर अपनी आवाज़ के कंपन से वाइन के ग्लास को चटखा दे.
1.स्रोत से बिजली दी गई. 2.एंटेना में कंपन शुरु हुआ. 3. तरंगे बहनी शुऱु हुईं. 4. तरंगों को दूसरी ओर के एंटेना ने पहचाना और कंपन करने लगा. 5. जितनी बिजली का उपयोग लैपटॉप ने नहीं किया वह वापस स्रोत में चली गई.
पहले भी हुए प्रयोग
हालांकि एमआईटी की टीम ऐसी पहली टीम नहीं है जो बिना तार की बिजली पर काम कर रही है.
इससे पहले उन्नीसवीं सदी में एक भौतिक विज्ञानी निकोला टेस्ला ने ऐसा एक प्रयोग करने की कोशिश की थी. वे 29 मीटर टॉवर से ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका प्रयोग अधूरा ही रह गया था क्योंकि उनके पास पैसे ख़त्म हो गए थे.
इसके बाद जो भी प्रयोग हुए उनमें लेज़र के सहारे बिजली भेजने की कोशिश की गई. लेकिन इसके लिए दोनों सिरों को आमने सामने रखना ज़रूरी था, इसलिए वह सफल नहीं हुआ.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक का कहना है कि अब इसमें सुधार करने की ज़रुरत है.
वे कहते हैं कि इन क्वाइलों के आकार घटाने होंगे और इनकी क्षमता बढ़ानी होगी ताकि यह दूर तक काम कर सके.
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अब बिना तार बिजली....
उपकरण चालू हुआ तो दीवार के पार रखा बल्ब भी जल उठा
अमरीका में वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने हवा में बिजली भेजने का उपाय ढूँढ़ लिया है.
इसका मतलब यह है कि उन्होंने दो उपकरणों के बीच बिना तार या केबल के बिजली भेजने में सफलता पाई है.
इस नई तकनीक से हमारे घरों में बिजली से चलने वाले तमाम उपकरणों के लिए अब प्लग लगाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगी.
'साइंस' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने साठ वॉट के एक बल्ब को बिना तारों से जोड़े दो मीटर दूरी से जला लिया.
वाइ-ट्राइसिटी
अब तक हम 'वाइ-फ़ाइ' सिस्टम के बारे में सुनते आए थे. इस तकनीक से कप्यूटर पर इंटरनेट चलाने के लिए इसे केबल से जोड़ने की ज़रूरत नहीं होती. इसे सिर्फ़ बिजली के केबल से जोड़ने की ज़रूरत होती है.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसकी भी ज़रुरत ख़त्म कर दी है. और इस तकनीक को नाम दिया गया है 'वाई-ट्राइसिटी'.
इस तकनीक को सफलता पूर्वक ढूँढ़ा है मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने.
उन्होंने इसे सिद्धांत रुप में वर्ष 2006 में मान लिया था लेकिन इसका व्यावहारिक प्रदर्शन अब जाकर किया गया है.
इस प्रयोग में शामिल सहायक प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक ने कहा, "हमे सिद्धांतों पर पूरा भरोसा था लेकिन प्रयोग से ही इसकी जाँच होती है."
इस प्रयोग को देख चुके इंपीरियल कॉलेज लंदन के सर जॉन पेंड्री ने कहा, "इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका आविष्कार वो लोग दस या बीस साल पहले नहीं कर सकते थे."
लेकिन उनका कहना है कि यह समय की भी बात थी. अब सब कुछ मोबाइल हो चुका है और केबल हट गए हैं. हर उपकरण को सिर्फ़ बिजली की ज़रूरत होती है, ऐसे में बिजली का केबल ही वह केबल था जिसे हटाया जाना ज़रुरी था.
कैसे काम करता है
वैज्ञानिकों ने प्रयोग के तौर पर एक बल्ब जलाकर देखा है.
इसके लिए ताँबे के दो क़्वाइल होते हैं. एक बिजली के स्रोत के पास और दूसरा उस उपकरण के पास जिसे बिजली की ज़रुरत है.
उन्हें 'मैगनेटिक रेज़ोनेटर्स' कहा गया है.
जैसा कि नाम से ज़ाहिर है यह कंपन के सिद्धांत पर काम करता है. जब बिजली के स्रोत वाला क्वाइल चुंबकीय तरंग भेजता है तो दूसरे छोर पर रखा क्वाइल इस तंरग से कंपित होने लगता है.
जब दोनों क्वाइल के कंपन मिल जाते हैं तो दोनों के बीच बिजली का प्रवाह शुरु हो जाता है.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक कहते हैं यह ठीक वैसा ही जैसा कि कोई ओपरा सिंगर अपनी आवाज़ के कंपन से वाइन के ग्लास को चटखा दे.
1.स्रोत से बिजली दी गई. 2.एंटेना में कंपन शुरु हुआ. 3. तरंगे बहनी शुऱु हुईं. 4. तरंगों को दूसरी ओर के एंटेना ने पहचाना और कंपन करने लगा. 5. जितनी बिजली का उपयोग लैपटॉप ने नहीं किया वह वापस स्रोत में चली गई.
पहले भी हुए प्रयोग
हालांकि एमआईटी की टीम ऐसी पहली टीम नहीं है जो बिना तार की बिजली पर काम कर रही है.
इससे पहले उन्नीसवीं सदी में एक भौतिक विज्ञानी निकोला टेस्ला ने ऐसा एक प्रयोग करने की कोशिश की थी. वे 29 मीटर टॉवर से ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका प्रयोग अधूरा ही रह गया था क्योंकि उनके पास पैसे ख़त्म हो गए थे.
इसके बाद जो भी प्रयोग हुए उनमें लेज़र के सहारे बिजली भेजने की कोशिश की गई. लेकिन इसके लिए दोनों सिरों को आमने सामने रखना ज़रूरी था, इसलिए वह सफल नहीं हुआ.
प्रोफ़ेसर मैरीन सोल्जैसिक का कहना है कि अब इसमें सुधार करने की ज़रुरत है.
वे कहते हैं कि इन क्वाइलों के आकार घटाने होंगे और इनकी क्षमता बढ़ानी होगी ताकि यह दूर तक काम कर सके.
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Wednesday, June 6, 2007
BBCHindi.com | भारत और पड़ोस | विवाहेत्तर संबं�
BBCHindi.com भारत और पड़ोस विवाहेत्तर संबं�: "विवाहेत्तर संबंध बनाने पर मिली सज़ा-ए-मौत"
पाकिस्तान में एक कबायली पंचायत ने एक महिला और तीन पुरुषों को विवाहेत्तर संबंधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सरेआम गोली मार दी.
मौत की सज़ा का ये फरमान अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे गाँव ख़ैबर की पंचायत यानी जिरगा ने सुनाया.
पाकिस्तान में विवाहेत्तर संबंध अपराध है और अक्सर कबायली पंचायतें इस अपराध में लिप्त लोगों को मौत की सज़ा से दंडित करती हैं.
पिछले साल पाकिस्तान ने बलात्कार और व्याभिचार से संबंधित इस्लामिक क़ानून में संशोधन को मंजूरी दी थी.
नए क़ानून में विवाहेत्तर संबंधों के अपराध में मौत की सज़ा के प्रावधान को हटा दिया गया है.
चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया
हाजी जान गुल, स्थानीय निवासी
ख़ैबर के एक ग्रामीण हाजी जान गुल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "हमने एक पुरुष और एक औरत को आपत्तिजनक अवस्था में पाया. इन दोनो के साथ एक पुरुष और था जो शराब के नशे में था और महिला के साथ पहले ही शारीरिक संबंध बना चुका था. इस काम में मालिक मकान भी लिप्त था."
उन्होंने कहा, "चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया."
ख़बरों के अनुसार जिस वक़्त इन लोगों को गोली मारी गई, उस दौरान वहाँ लगभग 600 लोग मौजूद थे.
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पाकिस्तान में एक कबायली पंचायत ने एक महिला और तीन पुरुषों को विवाहेत्तर संबंधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सरेआम गोली मार दी.
मौत की सज़ा का ये फरमान अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे गाँव ख़ैबर की पंचायत यानी जिरगा ने सुनाया.
पाकिस्तान में विवाहेत्तर संबंध अपराध है और अक्सर कबायली पंचायतें इस अपराध में लिप्त लोगों को मौत की सज़ा से दंडित करती हैं.
पिछले साल पाकिस्तान ने बलात्कार और व्याभिचार से संबंधित इस्लामिक क़ानून में संशोधन को मंजूरी दी थी.
नए क़ानून में विवाहेत्तर संबंधों के अपराध में मौत की सज़ा के प्रावधान को हटा दिया गया है.
चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया
हाजी जान गुल, स्थानीय निवासी
ख़ैबर के एक ग्रामीण हाजी जान गुल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "हमने एक पुरुष और एक औरत को आपत्तिजनक अवस्था में पाया. इन दोनो के साथ एक पुरुष और था जो शराब के नशे में था और महिला के साथ पहले ही शारीरिक संबंध बना चुका था. इस काम में मालिक मकान भी लिप्त था."
उन्होंने कहा, "चारों ने अपना जुर्म स्वीकार किया. हमने अपनी परंपरा और रिवाज के मुताबिक उन्हें दंड दिया."
ख़बरों के अनुसार जिस वक़्त इन लोगों को गोली मारी गई, उस दौरान वहाँ लगभग 600 लोग मौजूद थे.
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BBCHindi.com | पत्रिका | क्योंकि स्मृति ही कभी �
BBCHindi.com पत्रिका क्योंकि स्मृति ही कभी �
हिंदी टेलीविज़न के सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक क्योंकि सास भी कभी बहू थी के दर्शक अब गुरुवार से स्मृति ईरानी को तुलसी के रूप में नहीं देख पाएँगे.
स्मृति ने सात साल इस भूमिका को जिया है. एक नवयुवती से पत्नी, माँ, सास और अब दादी के रूप में उन्होंने अपने चरित्र के साथ पूरा न्याय किया.
स्मृति मल्होत्रा से स्मृति ईरानी तक की यात्रा में हालाँकि उन्होंने अनेक भूमिकाएँ निभाईं लेकिन तुलसी का किरदार दर्शकों के मन में उतर गया.
वह बा या तुलसी का रिश्ता हो या मिहिर और तुलसी के संबंधों का उतार-चढ़ाव, स्मृति ने इस यात्रा को बख़ूबी जिया.
कुछ समय पहले उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउज़ की शुरुआत की और उनके नए धारावाहिक विरुद्ध को भी दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया.
काफ़ी समय से इस तरह की ख़बरें आ रही थीं कि स्मृति के इस नए प्रयास से उनके और बालाजी टेलीफ़िल्म्स की एकता कपूर के बीच तनाव पैदा हो गया है.
ख़ैर, वजह जो रही हो, स्मृति अब तुलसी के रूप में नज़र नहीं आएँगी.
उनकी ख़ाली जगह को भरने के लिए कई नाम सामने आए जिनमें पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लों, जूही चावला और गौतमी गाडगिल के नाम शामिल थे.
अब सुना जा रहा है कि गौतमी के नाम पर सहमति हो गई है और अब क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि नई तुलसी गौतमी ही होंगी.
दर्शकों ने इसी सीरियल में मिहिर की भूमिका में अमर उपाध्याय के बाद रौनित रॉय को भी स्वीकार कर लिया था और बालाजी टेलीफ़िल्म्स के अधिकारियों का मानना है कि इस बार भी ऐसा ही होगा.
स्मृति ने कुछ समय पहले राजनीति में क़दम रखा था और वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालाँकि उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था.
अब क्योंकि...से नाता तोड़ने के बाद हो सकता है स्मृति ईरानी को अपने कुछ अधूरे कामों को अंजाम देने के लिए ज़्यादा समय मिल सके.
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हिंदी टेलीविज़न के सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक क्योंकि सास भी कभी बहू थी के दर्शक अब गुरुवार से स्मृति ईरानी को तुलसी के रूप में नहीं देख पाएँगे.
स्मृति ने सात साल इस भूमिका को जिया है. एक नवयुवती से पत्नी, माँ, सास और अब दादी के रूप में उन्होंने अपने चरित्र के साथ पूरा न्याय किया.
स्मृति मल्होत्रा से स्मृति ईरानी तक की यात्रा में हालाँकि उन्होंने अनेक भूमिकाएँ निभाईं लेकिन तुलसी का किरदार दर्शकों के मन में उतर गया.
वह बा या तुलसी का रिश्ता हो या मिहिर और तुलसी के संबंधों का उतार-चढ़ाव, स्मृति ने इस यात्रा को बख़ूबी जिया.
कुछ समय पहले उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउज़ की शुरुआत की और उनके नए धारावाहिक विरुद्ध को भी दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया.
काफ़ी समय से इस तरह की ख़बरें आ रही थीं कि स्मृति के इस नए प्रयास से उनके और बालाजी टेलीफ़िल्म्स की एकता कपूर के बीच तनाव पैदा हो गया है.
ख़ैर, वजह जो रही हो, स्मृति अब तुलसी के रूप में नज़र नहीं आएँगी.
उनकी ख़ाली जगह को भरने के लिए कई नाम सामने आए जिनमें पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लों, जूही चावला और गौतमी गाडगिल के नाम शामिल थे.
अब सुना जा रहा है कि गौतमी के नाम पर सहमति हो गई है और अब क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि नई तुलसी गौतमी ही होंगी.
दर्शकों ने इसी सीरियल में मिहिर की भूमिका में अमर उपाध्याय के बाद रौनित रॉय को भी स्वीकार कर लिया था और बालाजी टेलीफ़िल्म्स के अधिकारियों का मानना है कि इस बार भी ऐसा ही होगा.
स्मृति ने कुछ समय पहले राजनीति में क़दम रखा था और वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालाँकि उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था.
अब क्योंकि...से नाता तोड़ने के बाद हो सकता है स्मृति ईरानी को अपने कुछ अधूरे कामों को अंजाम देने के लिए ज़्यादा समय मिल सके.
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Monday, June 4, 2007
शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
Welcome to Yahoo! Hindi: "शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में"
शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
पेरिस (भाषा), सोमवार, 4 जून 2007
रूस की धुरंधर टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा ने कड़े मुकाबले में दो मैच प्वाइंट बचाने के बाद पैटी श्नाइडर को 3-6, 6-4, 9-7 से शिकस्त देकर फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।कल अंतिम सेट में 7-7 की बराबरी के बाद 30-0 पर सर्विस करते समय एक विवादास्पद अंक शारापोवा के पक्ष में जाने पर उन्हें दर्शकों के तानों का भी सामना करना पड़ा। श्नाइडर ने शारापोवा की सर्विस होने के बाद कहा कि उन्होंने हाथ उठाकर कुछ समय के लिए ब्रेक माँगा था। अंपायर ने अंक शारापोवा को दिया जो प्रतियोगिता में उनका पहला ऐस था। शारापोवा ने बाद में कहा कि सर्विस करने से पहले उन्होंने श्नाइडर का हाथ नहीं देखा था और जो हुआ उसके लिए उन्हें कोई खेद नहीं है।श्नाइडर दसवें और 14वें गेम में मैच जीतने से मात्र एक अंक दूर थी। इसके अलावा वह 11 मौकों पर जीत से दो कदम दूर थी लेकिन शारापोवा ने सकारात्मक रहते हुए खतरे को टाला और जीत हासिल की। अगले दौर में शारापोवा का मुकाबला अना चाकवेताजे से होगा जिन्होंने चेक गणराज्य की लूसी सफारोवा को 6-4, 0-6, 6-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।(एपी)
(स्रोत - वेबदुनिया)
और भी...
•
डोपिंगमुक्त राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कड़े उपाय
•
मैच के बाद मची भगदड़, 12 मरे
•
जमैका पुलिस की जाँच की खिल्ली उड़ाई
•
'कप्तानी के लिए तैयार हूँ'
•
साजिद महमूद सीरीज से बाहर
•
शतरंज का भविष्य उज्ज्वल: आनंद
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शारापोवा फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में
पेरिस (भाषा), सोमवार, 4 जून 2007
रूस की धुरंधर टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा ने कड़े मुकाबले में दो मैच प्वाइंट बचाने के बाद पैटी श्नाइडर को 3-6, 6-4, 9-7 से शिकस्त देकर फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।कल अंतिम सेट में 7-7 की बराबरी के बाद 30-0 पर सर्विस करते समय एक विवादास्पद अंक शारापोवा के पक्ष में जाने पर उन्हें दर्शकों के तानों का भी सामना करना पड़ा। श्नाइडर ने शारापोवा की सर्विस होने के बाद कहा कि उन्होंने हाथ उठाकर कुछ समय के लिए ब्रेक माँगा था। अंपायर ने अंक शारापोवा को दिया जो प्रतियोगिता में उनका पहला ऐस था। शारापोवा ने बाद में कहा कि सर्विस करने से पहले उन्होंने श्नाइडर का हाथ नहीं देखा था और जो हुआ उसके लिए उन्हें कोई खेद नहीं है।श्नाइडर दसवें और 14वें गेम में मैच जीतने से मात्र एक अंक दूर थी। इसके अलावा वह 11 मौकों पर जीत से दो कदम दूर थी लेकिन शारापोवा ने सकारात्मक रहते हुए खतरे को टाला और जीत हासिल की। अगले दौर में शारापोवा का मुकाबला अना चाकवेताजे से होगा जिन्होंने चेक गणराज्य की लूसी सफारोवा को 6-4, 0-6, 6-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।(एपी)
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शतरंज का भविष्य उज्ज्वल: आनंद
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Friday, June 1, 2007
BBCHindi.com | कारोबार | अंबानी का आलीशान महल
BBCHindi.com कारोबार अंबानी का आलीशान महल: "अंबानी का आलीशान महल"
भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने लिए एक नई इमारत बनवा रहे हैं, इस इमारत की हर बात ख़ास है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी की इस हवेली में कुछ 600 कर्मचारी होंगे जो परिवार के छह सदस्यों की देखभाल करेंगे.
यह इमारत अगले वर्ष तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस साठ मंज़िला इमारत से पूरी मुंबई का नज़ारा दिखाई देगा.
एक मामूली पेट्रोल पंप अटेंडेंट से देश के नंबर वन उद्योगपति बने धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश और अनिल अंबानी के बीच बँटवारा हो चुका है.
इस इमारत पर लगभग 45 अरब रूपए ख़र्च होंगे, यह ख़बर ऐसे समय पर आई है जबकि हाल ही में मुकेश अंबानी देश के पहले खरबपति बन गए हैं.
बताया गया है कि मुकेश अंबानी समंदर का पूरा नज़ारा लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह ऊँची इमारत बनवाने का फ़ैसला किया.
इस शानदार इमारत की पहली छह मंज़िलों पर कार पार्किंग होगी, उसके बाद वाली दो मंज़िलों पर हेल्थ क्लब, उसके ऊपर वाली मंज़िलों पर उनका अमला रहेगा.
अंबानी परिवार ऊपर वाली मंज़िलों पर रहेगा. परिवार में मुकेश अंबानी की माँ कोकिला बेन, उनकी पत्नी नीता अंबानी और तीन बच्चे हैं.
इस इमारत में कई स्विमिंग पूल तो होंगे ही और यहाँ हेलिकॉप्टरों के उतरने के लिए हैलिपैड भी बनाया जा रहा है.
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि जिस देश में इतनी गरीबी है वहाँ ऐसी इमारत का बनाना धन का अभद्र प्रदर्शन है.
मुकेश अंबानी कुल 20 अरब डॉलर की निजी संपत्ति के मालिक हैं और उनका कारोबार लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है जिसमें रिटेल क्षेत्र भी शामिल है.
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भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने लिए एक नई इमारत बनवा रहे हैं, इस इमारत की हर बात ख़ास है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी की इस हवेली में कुछ 600 कर्मचारी होंगे जो परिवार के छह सदस्यों की देखभाल करेंगे.
यह इमारत अगले वर्ष तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस साठ मंज़िला इमारत से पूरी मुंबई का नज़ारा दिखाई देगा.
एक मामूली पेट्रोल पंप अटेंडेंट से देश के नंबर वन उद्योगपति बने धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश और अनिल अंबानी के बीच बँटवारा हो चुका है.
इस इमारत पर लगभग 45 अरब रूपए ख़र्च होंगे, यह ख़बर ऐसे समय पर आई है जबकि हाल ही में मुकेश अंबानी देश के पहले खरबपति बन गए हैं.
बताया गया है कि मुकेश अंबानी समंदर का पूरा नज़ारा लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह ऊँची इमारत बनवाने का फ़ैसला किया.
इस शानदार इमारत की पहली छह मंज़िलों पर कार पार्किंग होगी, उसके बाद वाली दो मंज़िलों पर हेल्थ क्लब, उसके ऊपर वाली मंज़िलों पर उनका अमला रहेगा.
अंबानी परिवार ऊपर वाली मंज़िलों पर रहेगा. परिवार में मुकेश अंबानी की माँ कोकिला बेन, उनकी पत्नी नीता अंबानी और तीन बच्चे हैं.
इस इमारत में कई स्विमिंग पूल तो होंगे ही और यहाँ हेलिकॉप्टरों के उतरने के लिए हैलिपैड भी बनाया जा रहा है.
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि जिस देश में इतनी गरीबी है वहाँ ऐसी इमारत का बनाना धन का अभद्र प्रदर्शन है.
मुकेश अंबानी कुल 20 अरब डॉलर की निजी संपत्ति के मालिक हैं और उनका कारोबार लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है जिसमें रिटेल क्षेत्र भी शामिल है.
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"फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का"
Welcome to Yahoo! Hindi: "फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का"
फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का
- समय ताम्रकर
निर्माता : फिरोज नाडियाडवालानिर्देशक : अहमद खानसंगीत : हिमेश रेशमियाकलाकार : सनी देओल, शाहिद कपूर, आयशा टाकिया, समीरा रेड्डी, विवेक ओबेरॉय, ओमपुरी, परेश रावल, अरबाज खान, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडे, गुलशन ग्रोवर, शर्मिला टैगोरनिर्माता फिरोज नाडियाडवाला ‘हेराफेरी’ और ‘आवारा पागल दीवाना’ जैसी हिट फिल्मों के बाद ‘फूल एन फाइनल’ नामक फिल्म लेकर हाजिर हो रहे हैं। इस फिल्म से बॉलीवुड को बेहद आशाएँ हैं। फिल्म का निर्देशन अहमद खान ने किया है जो ‘लकीर’ जैसी फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। इस फिल्म में तीन कहानियाँ हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। गैर कानूनी बॉक्सिंग और हीरे की चोरी पर यह फिल्म आधारित है। इस फिल्म में सभी कलाकारों को स्टाइलिश कैरेक्टर के रूप में पेश किया गया है। उदाहरण के लिए सनी देओल कॉमिकल टाइप किरदार निभा रहे हैं।एक हीरा है जिसके पीछे कई लोग पड़े हुए हैं। कुछ लोग इसे प्यार की खातिर पाना चाहते हैं तो कुछ लोग पैसों की खातिर इसे हथियाना चाहते हैं। राजा (शाहिद कपूर) को टीना (आयशा टाकिया) से प्यार है। वह टीना से शादी करना चाहता है लेकिन टीना के मामा चौबे (परेश रावल) ने यह शर्त रख दीं कि वह हीरा लाकर उसे दे और शादी कर ले। राजा हीरा चुराने के लिए सबसे तेज कार चलाने वाले ड्राइवर (जॉनी लीवर) की मदद लेता है। जब बात नहीं बनती तो वह मशहूर मुक्केबाज मुन्ना (सनी देओल) की मदद लेता है। मुन्ना गैर कानूनी बॉक्सिंग एजेंट लकी (विवेक ओबेरॉय) का एक तरह से बॉडी गार्ड रहता है। पायल (समीरा रेड्डी) मुन्ना को चाहती है क्योंकि उसने उसे गुंडों के चंगुल से मुक्त कराया है। हीरे के पीछे रॉकी (चंकी पांडे), चॉक्सी (गुलशन ग्रोवर) और मॉस्को चिकना (अरबाज खान) जैसे लोग भी पड़े रहते हैं। कहानी में जी 9 (जैकी श्रॉफ) की भी अहम् भूमिका है। ढेर सारे चरित्र, ढेर सारी कहानियाँ और कॉमेडी के साथ एक्शन का तड़का इस फिल्म को देखने लायक बनाता है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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आवारापन : खुशियों की तलाश
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बॉम्बे टू गोवा : अनोखा सफर
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द ट्रेन- सम लाइन्स शुड नेवर बी क्रॉस्ड
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दिल, दोस्ती एटसेट्रा : युवा पीढ़ी का आईना
•
चीनी कम : बेमेल जोड़ी
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फूल एन फाइनल : कॉमेडी में एक्शन का तड़का
- समय ताम्रकर
निर्माता : फिरोज नाडियाडवालानिर्देशक : अहमद खानसंगीत : हिमेश रेशमियाकलाकार : सनी देओल, शाहिद कपूर, आयशा टाकिया, समीरा रेड्डी, विवेक ओबेरॉय, ओमपुरी, परेश रावल, अरबाज खान, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडे, गुलशन ग्रोवर, शर्मिला टैगोरनिर्माता फिरोज नाडियाडवाला ‘हेराफेरी’ और ‘आवारा पागल दीवाना’ जैसी हिट फिल्मों के बाद ‘फूल एन फाइनल’ नामक फिल्म लेकर हाजिर हो रहे हैं। इस फिल्म से बॉलीवुड को बेहद आशाएँ हैं। फिल्म का निर्देशन अहमद खान ने किया है जो ‘लकीर’ जैसी फ्लॉप फिल्म बना चुके हैं। इस फिल्म में तीन कहानियाँ हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। गैर कानूनी बॉक्सिंग और हीरे की चोरी पर यह फिल्म आधारित है। इस फिल्म में सभी कलाकारों को स्टाइलिश कैरेक्टर के रूप में पेश किया गया है। उदाहरण के लिए सनी देओल कॉमिकल टाइप किरदार निभा रहे हैं।एक हीरा है जिसके पीछे कई लोग पड़े हुए हैं। कुछ लोग इसे प्यार की खातिर पाना चाहते हैं तो कुछ लोग पैसों की खातिर इसे हथियाना चाहते हैं। राजा (शाहिद कपूर) को टीना (आयशा टाकिया) से प्यार है। वह टीना से शादी करना चाहता है लेकिन टीना के मामा चौबे (परेश रावल) ने यह शर्त रख दीं कि वह हीरा लाकर उसे दे और शादी कर ले। राजा हीरा चुराने के लिए सबसे तेज कार चलाने वाले ड्राइवर (जॉनी लीवर) की मदद लेता है। जब बात नहीं बनती तो वह मशहूर मुक्केबाज मुन्ना (सनी देओल) की मदद लेता है। मुन्ना गैर कानूनी बॉक्सिंग एजेंट लकी (विवेक ओबेरॉय) का एक तरह से बॉडी गार्ड रहता है। पायल (समीरा रेड्डी) मुन्ना को चाहती है क्योंकि उसने उसे गुंडों के चंगुल से मुक्त कराया है। हीरे के पीछे रॉकी (चंकी पांडे), चॉक्सी (गुलशन ग्रोवर) और मॉस्को चिकना (अरबाज खान) जैसे लोग भी पड़े रहते हैं। कहानी में जी 9 (जैकी श्रॉफ) की भी अहम् भूमिका है। ढेर सारे चरित्र, ढेर सारी कहानियाँ और कॉमेडी के साथ एक्शन का तड़का इस फिल्म को देखने लायक बनाता है।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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बॉम्बे टू गोवा : अनोखा सफर
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दिल, दोस्ती एटसेट्रा : युवा पीढ़ी का आईना
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चीनी कम : बेमेल जोड़ी
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Welcome to Yahoo! Hindi: "शनि की कृपा"
Welcome to Yahoo! Hindi: "शनि की कृपा"
शनि की कृपा
- संत प्रियदर्शी
शनि रहस्यमयी देवता हैं। पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाली आकाशगंगा के नवग्रहों में से सूर्य से दूरी के क्रम से छठवाँ, सात वलयों वाला शनि ग्रह भी रहस्यमयी है। शनि ग्रह को शनि देवता का प्रतीक रूप माना जाता है। इसलिए शनि की उपासना के लिए शनि ग्रह के पूजन का विधान है। आधुनिक विज्ञान के ज्ञान से लोग प्रश्न किया करते हैं कि शनि ग्रह के पूजन से शनिदेव किस प्रकार प्रसन्न हो सकते हैं? लेकिन संपूर्ण दृश्य जगत चिन्मय है और जड़ नाम का कोई तत्व विद्यमान नहीं है। देवता की प्रसन्नता के लिए प्रतीक का पूजन किया जा सकता है, जो फलदायी होता है। शनिदेव की कृपा के लिए शनि यंत्र के रूप में शनि ग्रह ब्रह्मांड में दृष्टिगोचर हैं।शनि ग्रह की गति सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए इन्हें शनैश्चर कहा गया है। शनि भगवान, शनिदेव भी इन्हें ही कहा जाता है। संस्कृत के 'शनये कर्मति सः' का अर्थ है 'जो धीरे चले'। शनि ग्रह सूर्य की पूरी प्रदक्षिणा करने में 30वर्ष लगाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य सहित 9 ग्रह और 12 प्रकार के आकार में दिखने वाले तारा समूह हैं, जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। इस प्रकार शनि ग्रह प्रत्येक राशि पर 2.5 वर्ष व्यतीत करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि अपनी धीमी चाल के कारण जिस राशि में रहता है उसके 2.5 वर्ष, उसकी पूर्व की राशि के 2.5 और पश्चात की राशि के 2.5 वर्ष, इस प्रकार एक राशि पर कुल साढ़े सात वर्ष (7.5) वर्ष तक प्रभाव डालता है। इसे ही शनि की 'साढ़ेसाती' कहते हैं। शनि का प्रभाव भी उसकी राशि पर स्थिति के अनुसार वर्ष के क्रम में कठोर होता चला जाता है। शनि की साढ़ेसाती से लोग भयभीत रहते हैं। यह आत्मावलोकन और कर्मों में सुधार का समय होना चाहिए। शनि देवता और शनि ग्रह लोक मानस में इतना रचे-बसे हैं कि जब-जब शनिदेव की बात चलती है तो वह शनि ग्रह पर केंद्रित होकर रह जाती है। शनिदेव का भय भी लोगों को बहुत सताता है। यह प्रबुद्धजनों को तय करना चाहिए कि देवता की कृपा चाहिए कि ग्रह की कुदृष्टि से बचना है। संतों की राय में तो कृपा की विनय से सारे काम बना करते हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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शनि की कृपा
- संत प्रियदर्शी
शनि रहस्यमयी देवता हैं। पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाली आकाशगंगा के नवग्रहों में से सूर्य से दूरी के क्रम से छठवाँ, सात वलयों वाला शनि ग्रह भी रहस्यमयी है। शनि ग्रह को शनि देवता का प्रतीक रूप माना जाता है। इसलिए शनि की उपासना के लिए शनि ग्रह के पूजन का विधान है। आधुनिक विज्ञान के ज्ञान से लोग प्रश्न किया करते हैं कि शनि ग्रह के पूजन से शनिदेव किस प्रकार प्रसन्न हो सकते हैं? लेकिन संपूर्ण दृश्य जगत चिन्मय है और जड़ नाम का कोई तत्व विद्यमान नहीं है। देवता की प्रसन्नता के लिए प्रतीक का पूजन किया जा सकता है, जो फलदायी होता है। शनिदेव की कृपा के लिए शनि यंत्र के रूप में शनि ग्रह ब्रह्मांड में दृष्टिगोचर हैं।शनि ग्रह की गति सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए इन्हें शनैश्चर कहा गया है। शनि भगवान, शनिदेव भी इन्हें ही कहा जाता है। संस्कृत के 'शनये कर्मति सः' का अर्थ है 'जो धीरे चले'। शनि ग्रह सूर्य की पूरी प्रदक्षिणा करने में 30वर्ष लगाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य सहित 9 ग्रह और 12 प्रकार के आकार में दिखने वाले तारा समूह हैं, जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। इस प्रकार शनि ग्रह प्रत्येक राशि पर 2.5 वर्ष व्यतीत करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि अपनी धीमी चाल के कारण जिस राशि में रहता है उसके 2.5 वर्ष, उसकी पूर्व की राशि के 2.5 और पश्चात की राशि के 2.5 वर्ष, इस प्रकार एक राशि पर कुल साढ़े सात वर्ष (7.5) वर्ष तक प्रभाव डालता है। इसे ही शनि की 'साढ़ेसाती' कहते हैं। शनि का प्रभाव भी उसकी राशि पर स्थिति के अनुसार वर्ष के क्रम में कठोर होता चला जाता है। शनि की साढ़ेसाती से लोग भयभीत रहते हैं। यह आत्मावलोकन और कर्मों में सुधार का समय होना चाहिए। शनि देवता और शनि ग्रह लोक मानस में इतना रचे-बसे हैं कि जब-जब शनिदेव की बात चलती है तो वह शनि ग्रह पर केंद्रित होकर रह जाती है। शनिदेव का भय भी लोगों को बहुत सताता है। यह प्रबुद्धजनों को तय करना चाहिए कि देवता की कृपा चाहिए कि ग्रह की कुदृष्टि से बचना है। संतों की राय में तो कृपा की विनय से सारे काम बना करते हैं।
(स्रोत - वेबदुनिया)
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